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18 घंटे लेते थे काम, किसी को खांसी, किसी को है बुखार

जयपुर की चूड़ी फैक्टरी से मुक्त कराये गये 139 बाल मजदूर भेजे जायेंगे घर पटना : कड़ाके की ठंड हो या प्रचंड गरमी, हाड़तोड़ मेहनत करने के बावजूद वहां के मालिक मजदूरी के नाम पर हर महीने पांच सौ रुपये देते थे. चहारदीवारी के भीतर अंधेरी कोठरी में जीवन कटता था. मां के गुजर जाने […]

जयपुर की चूड़ी फैक्टरी से मुक्त कराये गये 139 बाल मजदूर भेजे जायेंगे घर
पटना : कड़ाके की ठंड हो या प्रचंड गरमी, हाड़तोड़ मेहनत करने के बावजूद वहां के मालिक मजदूरी के नाम पर हर महीने पांच सौ रुपये देते थे. चहारदीवारी के भीतर अंधेरी कोठरी में जीवन कटता था. मां के गुजर जाने के कारण मेरे पिता सुबोध साहनी ने मुङो राजस्थान भेज दिया.
वहां पिछले तीन सालों से मैं काम कर रहा हूं. यह कहना है मुजफ्फरपुर जिले के कटरा थाने के तेवरा गांव निवासी विश्वजीत साहनी का. विश्वजीत ने बताया कि वह राजस्थान के जयपुर में चूड़ी फैक्टरी में काम करता था.
धर्मेद्र नाम के एक व्यक्ति ने उसके पिता को दो हजार रुपये देकर फैक्टरी में काम करने को मजबूर कर दिया. हाथों में छाले, शरीर पर घाव और आंखों में दर्द लिये 139 बच्चे जब गुरुवार को जयपुर से बाड़मेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस से सुबह आठ बजे पटना जंकशन लौटे, तो जंकशन पर मौजूद यात्रियों की भी आंखें भर आयीं. बाल मजदूर चूड़ी फैक्टरी में काम करते थे.
क्या है मामला
जयपुर में चूड़ी फैक्टरी में काम कर रहे बिहार के अलग-अलग जिलों से कुल 139 बाल मजदूरों को मुक्त करा कर पटना लाये गये. सभी बाल मजदूरों को बिहार सरकार व असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन के सहयोग से मुक्त कराया गया. बच्चों की आयु आठ साल से 14 साल के बीच है.
ये पिछले तीन सालों से वहां काम कर रहे थे. कम रेट पर अधिक काम कर रहे इन बच्चों से पांच सौ रुपये महीने पर 10 से 13 घंटा काम कराया जाता था. असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन के अभिषेक कुमार ने बताया कि बच्चों को घर निजी साधन से भेजा जायेगा.

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