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पटना : शादी के 20 साल के बाद किया ग्रेजुएशन, अब जीविका संकुल संघ में हैं मास्टर बुक कीपर
जूही स्मिता 13 साल की उम्र में ही सविता की हो गयी थी शादी पटना : ‘‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो.’’ इसे सच कर दिखाया है समस्तीपुर जिले के ताजपुर के रहीमाबाद गांव की सविता देवी ने. सविता ने शादी के 20 साल बाद […]
जूही स्मिता
13 साल की उम्र में ही सविता की हो गयी थी शादी
पटना : ‘‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो.’’ इसे सच कर दिखाया है समस्तीपुर जिले के ताजपुर के रहीमाबाद गांव की सविता देवी ने. सविता ने शादी के 20 साल बाद 2019 में ग्रेजुएशन पूरा किया. लेकिन, उनका यह सफर इतना आसान नहीं था. शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा. अगर हौसले बुलंद होते हैं तो आपकी मदद के लिए भी कई लोग आगे आते हैं. कुछ ऐसा है सविता देवी के साथ हुआ.
13 साल की उम्र में हुई शादी
सविता देवी बताती हैं कि पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं होने कारण उनकी शादी 1999 में 13 साल की उम्र में कर दी गयी थी. उस वक्त आठवीं कक्षा में थीं. शादी के बाद वह पारिवारिक जिम्मेदारियां संभालने लगीं और 2007 तक दो बच्चों की मां बन चुकी थीं. पति खेती करते थे. लेकिन आर्थिक परेशानी होने लगी. उस वक्त उन्होंने उनकी पंचायत रहीमाबाद में सहायिका की रिक्तियां निकाली गयीं, जिसके लिए उन्होंने आवेदन दिया. उस वक्त उन्हें आठवीं पास का सर्टिफिकेट देना था, जिसके लिए उन्होंने अपने गांव के स्कूल, जहां पढ़ाई की थी, वहां पर बात की.
उसे आठवीं का सर्टिफिकेट मिल गया. लेकिन, तभी संयोग से उनकी जेठानी की नौकरी एक स्कूल में शिक्षक के तौर पर हुई और उनके आग्रह पर सविता ने आगे की पढ़ाई करने की ठानी. उस वक्त उनकी जेठानी ने उनकी एडमिशन फीस भरी और उन्होंने 2007 में मैट्रिक और 2009 में इंटर पास कर लिया. पारिवारिक परेशानी बढ़ने पर उन्होंने स्वास्थ्य पर काम करनेवाले एनजीओ पीसीआइ में सहेली के तौर पर काम शुरू किया. फिर 2014 में जीविका से जुड़ी और ट्रेनिंग के बाद जीविका मित्र के तौर पर काम शुरू किया.
जीविका में आने के बाद जीविका की दीदी कुमारी स्मिता वर्धन और ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर ओसामा हसन ने उनसे आगे पढ़ाई जारी रखने की बात की. उन्होंने कहा कि अगर ग्रेजुएशन करती हो, तो आप मास्टर बुक कीपर, जीविका में समुदित समन्वयक या उससे ऊंचे पोस्ट के लिए अप्लाइ कर सकोगी. उनके द्वारा प्रेरित करने की वजह से उन्होंने 2015 में ग्रेजुएशन में नामांकन कराया और 2019 में ग्रेजुएशन पूरा कर लिया. अब वह जीविका संकुल संघ में बुक कीपर के तौर पर कार्यरत है. इसमें उन्हें गांव और पंचायत में होने वाली ट्रेनिंग और कार्यों का लेखा-जोखा रखना होता है. इसमें किस महीने कहां-कहां महिलाओं को ट्रेनिंग मिली और संघ की ओर से क्या-क्या काम हुए, इसकी जानकारी रखनी होती है.
देर से ही सही, पति का साथ मिला
सविता बताती हैं कि 20 साल का यह सफर आसान नहीं था. लोग उनका मजाक उड़ाते थे. घर पर जेठानी का ही साथ मिला. काफी समझाने के बाद पति ने साथ दिया. घरेलू महिला के लिए खेती करना, घर का काम, बच्चों की परवरिश और समूह की बैठक कराते हुए पढ़ाई करना आसान नहीं था. मां को पढ़ता देख उनके दोनों बच्चे भी पढ़ाई में बेहतर कर रहे हैं.
पति के लिए लोन लेकर दो गाड़ियां खरीदीं
सविता ने जीविका की मदद से लोन पर दो गाड़ियां ली हैं. इन गाड़ियों की जिम्मेदारी उनके पति ने ली है. वह गांव-गांव जाकर फल-फूल, मसाले व अन्य खाद्य सामग्री बेचते हैं. इससे उन्हें महीने में 10 हजार रुपये की कमाई हो जाती है. वहीं, बुक कीपर के तौर पर सविता को चार हजार रुपये मिल रहे हैं. दोनों के कमाने से अब उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है. सविता कहती हैं कि वह उन महिलाओं को जीविका समूह से जोड़ने में मदद करती हैं, जो आर्थिक तौर पर कमजोर हैं.
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