पटना : राज्य सरकार ने अपने कार्यों के साथ ही कांडों की जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में तीन एसडीपीओ (अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी) पर विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश दिया है. इनमें मधुबनी की एसडीपीओ कामिनी बाला के अलावा कहलगांव (भागलपुर) के तत्कालीन एसडीपीओ मनोज कुमार सुधांशु और रोसड़ा (समस्तीपुर) के तत्कालीन एसडीपीओ अरुण कुमार दुबे शामिल हैं. कामिनी बाला ने मधुबनी जिला के बाबूबरही थाना के एक कांड की जांच की थी. इस मामले की दोबारा जांच दरभंगा आइजी के स्तर से की गयी, जिसमें कई स्तर पर बड़ी गड़बड़ी पायी गयी.
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तीन तत्कालीन डीएसपी पर कार्रवाई का आदेश
पटना : राज्य सरकार ने अपने कार्यों के साथ ही कांडों की जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में तीन एसडीपीओ (अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी) पर विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश दिया है. इनमें मधुबनी की एसडीपीओ कामिनी बाला के अलावा कहलगांव (भागलपुर) के तत्कालीन एसडीपीओ मनोज कुमार सुधांशु और रोसड़ा (समस्तीपुर) के तत्कालीन एसडीपीओ अरुण […]
कामिनी बाला ने 16 अभियुक्तों में सिर्फ चार को दोषी पाया था, जबकि इस मामले में सभी दोषी पाये गये. इसके अलावा भी उनके स्तर से अनुसंधान किये गये कुछ अन्य मामलों में भी काफी त्रुटि पायी गयी. इसके बाद उनसे लिखित जवाब मांगा गया, जो संतोषजनक नहीं था. इसके बाद विभागीय कार्रवाई का निर्णय लिया गया है.
उनके मामले की जांच के लिए भागलपुर के डीआइजी विकास वैभव को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. इस तरह मनोज कुमार सुधांशु जब कहलगांव में एसडीपीओ के रूप में तैनात थे. तब झारखंड सीमा पर ओवरलोड वाहनों को पार कराने में अवैध वसूली करने वाले गिरोह पर छापेमारी करायी गयी थी. इस मामले में प्राथमिकी अभियुक्त लालू मंडल के किराये के मकान से 12 लाख रुपये नगद, चेक बुक, एटीएम कार्ड और सात बैंक खाते जब्त किये गेय थे.
इन बैंक खातों में 50 लाख से अधिक रुपये जमा थे. इन्होंने इस मामले से संबंधित जांच रिपोर्ट कोर्ट में जमा की थी, लेकिन इस पर किसी वरीय पदाधिकारी से निर्देश प्राप्त किया और जब्ती के सामान के बारे में किसी अधिकारी को जानकारी दी. इनके कार्यकाल में 61 अहम विशेष कांड लंबित पड़े थे, जिनकी जांच में लापरवाही की गयी थी. इन तमाम वजहों से उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश दिया गया है.
एसटीएफ के डीआइजी विनय कुमार को संचालन पदाधिकारी तैनात किया गया है. रोसड़ा के तत्कालीन एसडीपीओ अरुण कुमार दुबे के स्तर से भी कांडों के अनुसंधान और पर्यवेक्षण में गंभीर लापरवाही बरती गयी है. इन्होंने जब पदभार संभाला था, तब लंबित मामलों की संख्या 272 थी, जो एक मई, 2019 को बढ़ कर 289 हो गयी. 28 विशेष कांड लंबित थे. एसपी के निरीक्षण में लापरवाही उजागर हुई. स्पष्टीकरण का जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का निर्णय लिया गया है.
मुंगेर के डीआइजी मनु महाराज को उनका संचालन पदाधिकारी बनाया गया है. तीनों पदाधिकारियों को 10 दिनों के अंदर अपने-अपने संचालन पदाधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया गया है.
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