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पटना : कैसे शुरू होगा चार वर्षीय बीएड कोर्स

पटना विश्वविद्यालय. शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं कॉलेज पटना : पटना विश्वविद्यालय में चार वर्षीय बीएड कोर्स शुरू करने को लेकर तैयारियां चल रही हैं. लेकिन यह राह इतनी आसान भी नहीं है. इसका कारण हैं कि विवि के दो कॉलेजों पटना ट्रेनिंग कॉलेज व पटना वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज में सिर्फ एक-एक शिक्षक […]

पटना विश्वविद्यालय. शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं कॉलेज
पटना : पटना विश्वविद्यालय में चार वर्षीय बीएड कोर्स शुरू करने को लेकर तैयारियां चल रही हैं. लेकिन यह राह इतनी आसान भी नहीं है. इसका कारण हैं कि विवि के दो कॉलेजों पटना ट्रेनिंग कॉलेज व पटना वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज में सिर्फ एक-एक शिक्षक ही मौजूद हैं. हालांकि आठ शिक्षकों के सीट स्वीकृत हैं.
लेकिन दो वर्षीय कोर्स होने के बाद से ही एनसीटीइ की गाइडलाइन के अनुसार 16 शिक्षक चाहिए. इसी वजह से कॉलेजों को एनसीटीइ की मान्यता बीत में रद्द कर दी गयी थी और काफी मशक्कत के बाद फिर से बहाल हुई है. हालांकि इस बीच एडहॉक गेस्ट फैकल्टी की बहाली विवि द्वारा कर ली गयी. लेकिन चार वर्षीय कोर्स के लिए वर्तमान स्वीकृत सीट से चार गुणा शिक्षक चाहिए होंगे. वर्तमान स्थिति यह है कि दूर-दूर तक इतनी बड़ी संख्या में नियमित शिक्षक बहाल करने की उम्मीद तो नहीं ही दिख रही है. क्योंकि जो स्वीकृत सीटें हैं, उसी पर बहाली पिछले पांच वर्षों से नहीं हुई है. इसके अतिरिक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी कमी है. उसे भी बढ़ाना होगा.
एडहॉक शिक्षकों के लिए भी राशि सरकार से नहीं मिल रही
चूंकि मान्यता पर खतरा मंडरा रहा था, आनन-फानन में गेस्ट फैकल्टी की बहाली कर ली गयी. इसके बाद एनसीटीइ से मान्यता भी कॉलेज को मिल गयी. लेकिन, सरकार द्वारा अब तक शिक्षकों के वेतन मद की राशि विवि को नहीं मिली है. विवि इंटरनल फंड से इस राशि को दे रहे हैं.
वहीं कॉलेज की फीस इतनी कम है कि उक्त राशि को कॉलेज द्वारा देना संभव नहीं है. ऐसे में विवि पर अतिरिक्त बोझ है. सरकार अगर पैसे नहीं देती है, तो इन शिक्षकों को वेतन देना भी विवि के लिए मुश्किल होगा. क्योंकि विवि के पास भी फंड कम है. ऐसे में चार वर्षीय बीएड के लिए अगर और अतिरिक्त शिक्षकों की बहाली करनी होगी, तो उसकी भी राशि का अतिरिक्त बोझ विवि के कंधों पर ही जायेगा. इसी प्रकार से सरकार ने अन्य विषयों के गेस्ट फैकल्टी की राशि भी विश्वविद्यालयों को नहीं जारी की है.
आंतरिक स्तर पर किया जा रहा है प्रयास
पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी मिल जाएं, तो चार वर्षीय कोर्स शुरू किया जा सकता है. हालांकि फिर भी हम लोगों ने इसका प्रयास आंतरिक स्तर पर शुरू कर दिया है. लेकिन अगर फैकल्टी की सीटें स्वीकृत हो जाएं और जो सीटें उपलब्ध हैं, उन पर बहाली हो जाये, तो समस्या दूर हो जायेगी. इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर पहले से हम काफी बेहतर हुए हैं. आगे भी कई योजनाएं पाइप लाइन में हैं.
प्रो ललित कुमार, प्राचार्य, पटना ट्रेनिंग कॉलेज

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