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पटना : विकास पर पैसे खर्च करने में विधायक व विधान पार्षद सुस्त

सीएमएलएडी के तहत खर्च करनी है तीन करोड़ की राशि पटना : राज्य में विधान पार्षद (एमएलसी) और विधायक (एमएलए) को अपने-अपने क्षेत्र में विकासात्मक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक वर्ष तीन करोड़ रुपये दिये जाते हैं. यह राशि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना (सीएमएलएडी फंड) के तहत खर्च होती है. परंतु चालू वित्तीय वर्ष […]

सीएमएलएडी के तहत खर्च करनी है तीन करोड़ की राशि
पटना : राज्य में विधान पार्षद (एमएलसी) और विधायक (एमएलए) को अपने-अपने क्षेत्र में विकासात्मक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक वर्ष तीन करोड़ रुपये दिये जाते हैं. यह राशि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना (सीएमएलएडी फंड) के तहत खर्च होती है. परंतु चालू वित्तीय वर्ष में इस राशि को खर्च करने में विधायक अब तक सुस्त पाये गये.
वित्तीय वर्ष में करीब छह महीने समाप्त होने को हैं, लेकिन अब तक महज एक विधायक और 24 एमएलसी ने ही अलग-अलग योजनाओं में राशि खर्च करने की अनुशंसा सरकार को भेजी है. एमएलसी का क्षेत्र विधायक की तुलना में बड़ा और कई जिलों से जुड़े होते हैं.
लिहाजा इन्हें अपनी राशि खर्च करने की अनुशंसा करने से पहले क्षेत्र का निर्धारण करना होता है. परंतु बाकी बचे हुए 51 विधान पार्षदों ने अब तक अपने क्षेत्र का निर्धारण नहीं किया है. सरकार की तरफ से इस मद में 243 विधायक और 75 एमएलसी के लिए तीन करोड़ सालाना के हिसाब से 954 करोड़ रुपये आवंटित हैं. जैसे-जैसे माननीयों की अनुशंसा प्राप्त होगी, इसकी राशि खर्च होती जायेगी.
318 विधायकों में से केवल 25 ने की अनुशंसा
राज्य में विधायक के 243 और एमएलसी की 75 सीटें हैं, लेकिन वर्तमान में विधायकों के छह-सात सीटें खाली पड़ी हैं. फिर भी शेष बचे अन्य सभी विधायकों में एक महिला विधायक को छोड़कर किसी ने अपनी राशि खर्च करने की कोई अनुशंसा नहीं की है. जिन 24 एमएलसी ने अपने फंड की राशि खर्च करने की अनुशंसा की है, उनमें प्रमुख रूप से मदन मोहन झा, संतोष कुमार सिंह, गुलाम रसूल बलियावी, प्रो नवल किशोर यादव, डॉ एनके यादव के नाम हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में एक दर्जन से ज्यादा विधायक अपनी पूरी राशि खर्च नहीं कर पाये थे.
इससे यह होगी समस्या
सीएमएलएडी फंड में राशि खर्च करने की अनुशंसा में देर करने से योजनाओं का क्रियान्वयन संबंधित वित्तीय वर्ष में नहीं हो पायेगा. योजनाएं देर हो जायेंगी. देर से अनुशंसा आने पर इसका क्रियान्वयन कराने में जिला कार्य एजेंसियों को समस्या होगी. 2020 में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में इस फंड के खर्च की अनुशंसा में देरी होने से इसके समुचित क्रियान्वयन पर प्रभाव पड़ेगा.

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