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पीएमसीएच और एनएमसीएच का हाल : सीनियर डॉक्टर के इंतजार में घंटों बैठे रहे मरीज

आनंद तिवारी पटना : सुबह के 10 बज चुके थे. सोमवार को पीएमसीएच के ओपीडी में इलाज कराने के लिए रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओपीडी में मरीजों की भारी भीड़ लगी थी. सर्जरी वार्ड के एचओडी डॉ एनपी नारायण मरीजों का इलाज कर रहे थे, लेकिन उनके बगल वाले रूम में जिन सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी […]

आनंद तिवारी
पटना : सुबह के 10 बज चुके थे. सोमवार को पीएमसीएच के ओपीडी में इलाज कराने के लिए रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओपीडी में मरीजों की भारी भीड़ लगी थी.
सर्जरी वार्ड के एचओडी डॉ एनपी नारायण मरीजों का इलाज कर रहे थे, लेकिन उनके बगल वाले रूम में जिन सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगी थी, वे नदारद थे. आठ से 10 मरीज और उनके परिजन संबंधित सीनियर डॉक्टरों के आने का इंतजार करते दिखे. उनकी जगह पर जूनियर डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे थे.
दूसरी ओर रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची काटते देख वहां एकाएक मरीजों की भीड़ जुट गयी. पहले रजिस्ट्रेशन कराने की होड़ मची रही. वहीं, एसी मेंटेनेंस की स्थिति बहुत ही दयनीय है, फिर भी कार्रवाई नहीं हो रही है. एसी खराब होने से ओपीडी में मरीजों का बुरा हाल हो रहा था. मरीजों ने मौजूद सुरक्षाकर्मी व डॉक्टरों से एसी या पंखा चलाने की मांग की. जब उनकी मांग पूरी नहीं हो पायी, तो मजबूरी में मखनियां कुआं स्थित दुकान से हाथ वाला पंखा खरीद कर लाये.
5000 से ज्यादा मरीज आएं : पीएमसीएच व आइजीआइएमएस में सोमवार को 5000 से ज्यादा मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे. दोनों अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन की संख्या पांच हजार के आंकड़े को पार कर गयी.
एक घंटे पहले ही बंद हो गया दवा काउंटर
मरीजों की सुविधा के लिए पीएमसीएच में नि:शुल्क दवा काउंटर की व्यवस्था की गयी है. काउंटर पर करीब 70 प्रतिशत दवाएं मिल रही थीं. काउंटर खुलने का समय सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक निर्धारित किया गया है,लेकिन दोपहरदो बजे ही काउंटर बंद कर दिये गये. काउंटर बंद होने के बाद अधिकांश मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ीं.
क्या कहते हैं मरीज
भाई का पेट का ऑपरेशन कराना है, इसको लेकर पीएमसीएच के ओपीडी में पर्ची कटाने के लिए मारामारी की स्थिति हो गयी. काउंटरों पर लाइन अव्यवस्थित थी और लाइन ठीक कराने के लिए सुरक्षा कर्मी भी मौजूद नहीं थे.
-जितेंद्र कुमार, परिजन
ओपीडी में जब पंखा व एसी काम नहीं कर रहा था, तो मेरा पोता रोने लगा. गर्मी से बुरा हाल होते देख मैंने बेटे से बोल बाहर से हाथ वाला पंखा मंगाया.
-रीना देवी
ओपीडी में एसी तो फेल था लेकिन डॉक्टरों ने अपनी व्यवस्था कर ली थी. डॉक्टरों के लिए अलग से पंखे का इंतजाम है. लेकिन मरीजों को देखने वाला कोई नहीं था.
-बबलू कुमार, परिजन
देखिए सीनियर आ रहे हैं, वही आपको उचित सलाह देंगे, थोड़ा इंतजार कीजिए
अमिताभ श्रीवास्तव
पटना सिटी : देखिए सीनियर आ रहे हैं. वहीं, आपको उचित सलाह देंगे. थोड़ा-सा इंतजार कीजिए, कुछ इसी अंदाज में वैशाली से उपचार कराने आये एक मरीज को जूनियर डॉक्टरों ने सलाह दी. सुबह के 11 बजे रहे हैं. इसी बीच सीनियर डॉक्टर ओपीडी में आते हैं और मरीजों को देखना शुरू करते हैं. यह स्थिति थी सोमवार को नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की. सर्जरी विभाग में महिलाओं व पुरुषों के लिए
अलग-अलग ओपीडी चल रहे थे. विभाग में जूनियर व सीनियर डॉक्टरों की टोली ने 11:30 बजे तक 70 महिला व 75 पुरुष मरीज का उपचार कर चुके थे. विभागाध्यक्ष निर्मल कुमार सिन्हा खुद ओपीडी में मरीजों को देख रहे थे.
जूनियर लिख रहे थे पुर्जा,
सीनियर कर रहे थे जांच : मेडिसिन विभाग के ओपीडी में भी जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमण, डॉ राहुल शेखर, डॉ मनीष, डॉ चिराग अग्रवाल, डॉ
विकास, डॉ शशांक नये-पुराने मरीजों के उपचार में जुट थे. जबकि, सीनियर डॉक्टर जांच कर परामर्श दे रहे थे. दरअसल मामला यह है कि रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को जब ओपीडी आरंभ हुआ, तो मरीजों की भीड़ बढ़ गयी.
धूप में लगती है कतार
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उपचार कराने आये मरीजों को केंद्रीय पंजीयन काउंटर पर पंजीयन कराने के लिए धूप में कतार लगानी पड़ती है. दरअसल पंजीयन काउंटर के बाहर बनाये गये शेड के छोटा पड़ने व कतार शिशु रोग विभाग तक पहुंच जाने की स्थिति में यह समस्या कायम रहती है. सोमवार को उपचार कराने के लिए अस्पताल में लगभग 3100 मरीज पहुंचे थे. कर्मियों की मानें, तो इसमें नये 2360 व पुराने 710 मरीज थे. वहीं, जिस भवन में ओपीडी संचालित होता है, उसी भवन में निचले तल्ले पर दवा वितरण का काउंटर बना है. ओपीडी में उपचार कराने के उपरांत दवा लेने काउंटर पर पहुंचे मरीजों की कतार भी गोलाइ में लगायी जाती है.
मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ रही है : डॉ चंद्रशेखर
ओपीडी में उपचार कराने वाले मरीजों के लिए 84 तरह की दवाएं उपलब्ध हैं. जबकि, भर्ती मरीजों के लिए 74 तरह की दवाएं अस्पताल प्रशासन की ओर से मुहैया करायी जाती है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ चंद्रशेखर बताते है कि मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ रही है.

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