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पटना : चार वर्षों में 5002 लोगों को सस्ते आवास के लिए कर्ज
हाउसिंग फॉर ऑल व राज्य की किफायती आवास नीति पर बैंकों की सुस्ती से परेशानी पटना : राज्य में गरीब से लेकर मध्यम वर्ग के लोगों के अपने घर के सपने पर बैंक ग्रहण लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में बैंकों ने सौतेला व्यवहार किया है. […]
हाउसिंग फॉर ऑल व राज्य की किफायती आवास नीति पर बैंकों की सुस्ती से परेशानी
पटना : राज्य में गरीब से लेकर मध्यम वर्ग के लोगों के अपने घर के सपने पर बैंक ग्रहण लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में बैंकों ने सौतेला व्यवहार किया है. केंद्र की हाउस फॉर ऑल योजना से लेकर राज्य सरकार की किफायती घर देने के लिए बैंक लोन का हाल ऐसा है कि बीते चार वर्षों में राज्य के मात्र पांच हजार दो लोगों को ही लोन के लिए राशि उपलब्ध करायी गयी है, जबकि अन्य कई राज्यों में लोन देने का आंकड़ा से अधिक तक चला गया है.
केंद्र सरकार की योजना : किनको मिलता है लोन : आवास निर्माण के लिए बैंक लोन के मामले में राज्य व केंद्र सरकार के अलग-अलग वर्ग हैं. वर्ष 2015 के जून से केंद्र सरकार की हाउस फाल ऑल नीति के तहत दो तरह के लोन दिये जाते हैं.
इसमें पहला इडब्यूएस वर्ग के तहत तीन लाख के कम पारिवारिक आमदनी वाले हैं. इसमें चार लाख के लोन पर बैंकों को लोन देना होता है. जिसमें सरकार 6.5 फीसदी की दर से 20 वर्ष के ब्याज की राशि लाभुकों के खाते में योजना स्वीकृत होने के बाद तत्काल दे देती है. वहीं दूसरा वर्ग कम आय वर्ग का है.
इसमें छह लाख के लोन पर 6.5 फीसदी दर से 20 वर्ष के ब्याज की राशि सरकार योजना स्वीकृत होने के तत्काल बाद खाते में भेज देती है. इसमें अगर लोन पर बैंक का ब्याज दर 6.5 फीसदी से जितना अधिक हो, उसे लाभुक को ही चुकाना होता है.
राज्य सरकार की योजना : छह लाख से 18 लाख वालों को लाभ किफायती आवास के लिए बैंकों से लोन लेने के लिए राज्य सरकार दो तरह के वार्षिक पारिवारिक आय के लिए योजना चला रही है.
इसमें पहले वर्ग में छह लाख से अधिक व 12 लाख तक अाय वाले लाभुकों चार फीसदी लोन की राशि सरकार सीधे खाते में देती है. इसी प्रकार 12 लाख से अधिक व 18 लाख के वार्षिक आय वाले लोगों को तीन फीसदी वार्षिक ब्याज की राशि लोन चुकता होने वाले कुल वर्ष के अनुसार सीधे खाते में देती है. इन दोनों वर्ग में चार व तीन फीसदी से अधिक ब्याज की राशि को लाभुक अपने स्तर से भुगतान करना होता है. राज्य में इस योजना को जनवरी 2017 से लागू किया गया था.
अन्य राज्यों में लोन की स्थिति : गुजरात में एक लाख 82 हजार लोगों को बैंकों ने लोन दिया. महाराष्ट्र में 1.65 लाख लोगों को बैंकों ने लोन दिया. यूपी 45 हजार, कर्नाटक में 30195 और मध्य प्रदेश में 37950 लोगों को लोन के माध्यम से योजना का लाभ दिया गया है.
30 सितंबर तक मांगी गयी रिपोर्ट
इधर, बीते दिनों में नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव ने बैंकों के प्रतिनिधियों से बात की थी. इसमें बैंकों को लाभुकों के कागजात सही करने व अन्य जरूरी नियमों को ठीक कर लोन जारी करने की अपील की गयी थी. प्रधान सचिव ने अन्य राज्यों की तुलना में अपने राज्य में कम लोग वाले मुद्दे को भी उठाया था. इसके अलावा अब तक आवेदन करने से लेकर लोन देने का डाटा सभी बैंकों से मांगा गया है, ताकि राज्य अपने स्तर से नियम ला सके.
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