नौ जुलाई, 2014 से 450 मेगावाट बिजली की होनी थी आपूर्ति
पटना : जुलाई से राज्य को 450 मेगावाट बिजली आपूर्ति के करार से पीछे हटने का खामियाजा एस्सार पावर को उठाना पड़ सकता है. बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी का कहना है कि करार की शर्तो को पूरा नहीं करने पर एस्सार पावर के खिलाफ कार्रवाई होगी. एस्सार पावर पहली यूनिट से बिजली आपूर्ति के लिए तीन साल और दूसरी यूनिट से बिजली आपूर्ति के लिए दो साल ज्यादा समय मांग रहा है.
मांगी मोहलत
बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी ने एस्सार पावर के साथ दो दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते किये थे. एस्सार पावर को झारखंड के चंदवा में बन रहे बिजली घर की 600-600 मेगावाट क्षमता की दो यूनिट से बिहार को 750 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करनी है. 600 मेगावाट की पहली यूनिट से नौ जुलाई, 2014 से 450 मेगावाट बिजली की आपूर्ति बिहार को होनी थी.
600 मेगावाट की दूसरी यूनिट से 17 अक्तूबर, 2015 से 300 मेगावाट बिजली बिहार को दी जानी है,लेकिन एस्सार पावर ने अपने इस थर्मल पावर स्टेशन प्रोजेक्ट में देरी होने का रोना रोया है. उसने कहा है कि दोनों यूनिट 2017 तक शुरू होने की उम्मीद है. इसके बाद ही वह बिहार को बिजली दे पायेगा.
देरी की वजह
कोल लिंकेज नहीं मिलने के कारण एस्सार के थर्मल पावर प्रोजेक्ट पर असर पड़ रहा है. इस वजह से पर्यावरण क्लीयरेंस भी अधर में है. प्लांट की कुछ जमीन के लिए भी वन विभाग से अनुमति लंबित है. इन कारणों से बिजली उत्पादन लंबित है.