पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमारने कहा कि अब पर्यावरण में काफी परिवर्तन आ गया है. इस बार जिस प्रकार से जेठ महीने में 20 से 25 दिनों तक पुरवइया हवा चली है, उससे यह स्पष्ट हो गया कि सावन में भी धूल उड़ेगी. अंदेशा है कि इस बार भी बिहार में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
हालांकि, कुदरत की कृपा हो जाये, तो कुछ राहत मिल सकती है. मुख्यमंत्री शुक्रवार को विधानमंडल के सेंट्रल हॉल में आयोजित नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में विधानसभा सचिवालय के नवनियुक्त कर्मियों विधानसभा अध्यक्ष व सीएम ने नियुक्ति पत्र सौंपा.
सीएम ने कहा कि पर्यावरण एक्सपर्ट के साथ सभी विधान पार्षदोें और विधायकों का इंटरैक्शन कार्यक्रम कराया जायेगा. इसमें सूखा, बाढ़, पर्यावरण और स्वच्छता से जुड़े विषयों पर संवाद होगा और इस दौरान सभी विधानमंडल सदस्य अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को विस्तार से बतायेंगे.
इन्हें रिकॉर्ड करके दस्तावेजीकरण कराया जायेगा और इस पर उचित कार्रवाई की जायेगी. इस कार्यक्रम के माध्यम से जो भी समस्याएं सामने आयेंगी, उनका निवारण कराने के लिए पूरी गंभीरता के साथ तुरंत कार्रवाई की जायेगी, ताकि लोगों को तुरंत राहत मिल
सके. इस व्यापक पहल में जो अधिकारी लापरवाही करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. इस तरह का इंटरैक्शन प्रोग्राम कराने के लिए सीएम ने विधानसभा के अध्यक्ष और विधान परिषद के कार्यकारी सभापति से तुरंत पहल करने को कहा है.
मुख्यमंत्री ने पर्यावरण की भयावह स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि 1966 में सूखे की भयंकर स्थिति उत्पन्न हुई थी. उस समय तो राहत के लिए सरकारी तंत्र भी नहीं के बराबर था. लेकिन आज ऐसी स्थिति नहीं है. उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र में भू-जल स्तर इतना नीचे चला जायेगा, इसकी परिकल्पना किसी ने नहीं की थी.
इससे यह स्पष्ट है कि भयंकर स्थिति आने वाली है. कुछ राज्यों में बारिश हो रही है, जहां से नदियों के माध्यम से बिहार में भी बाढ़ के हालात पैदा हो सकते हैं, लेकिन जहां बारिश होती थी, वहां अब न के बराबर बारिश हो रही है. इसलिए सूखे का खतरा ज्यादा है.
ऐसे में नयी-नयी बीमारियां भी पनपती हैं. उन्होंने कहा कि इस बार लू और वज्रपात का कहर भी काफी लोगों को झेलना पड़ा है. इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए हम सभी को प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना पड़ेगा. दोनों सदनों के सदस्यों को प्राकृतिक चीजों के बारे में जागरूक होना पड़ेगा. इसके लिए पुस्तकालय में अध्ययन के अलावा उन्हें एक्सपर्ट के माध्यम से इन सब चीजों की जानकारी देना बेहद जरूरी है.
इससे वे अपने इलाके के लोगों को भी जागरूक कर सकेंगे. सीएम ने कहा कि विधानमंडल सत्र के अलावा हर क्षेत्र से जुड़े विषयों पर भी यहां अलग से इंटरेक्शन होना चाहिए. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त कर्मियों को नियुक्ति पत्र देते हुए उन्हें बधाई दी. कहा कि बिहार विधान परिषद में भी जो पद रिक्त हैं, उन पर भी नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाये.
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार विधानसभा सचिवालय की नयी नियमावली 2018 के तहत यह पहली नियुक्ति है. इसका निर्माण मुख्यमंत्राी के मार्गदर्शन और उनकी परिकल्पना के अनुरूप किया गया है. व्यक्तिगत रुचि लेकर उन्होंने इसे मूर्त रूप दिलाया है. कार्यक्रम को डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, कार्यकारी सभापति हारूण रशीद, संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार, अब्दुल बारी सिद्दीकी व अन्य ने संबोधित किया.
विधानसभा सचिवालय के नवनियुक्त कर्मियों को सौंपे नियुक्ति पत्र
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पटना का मोइनुल हक स्टेडियम बीसीसीआइ व आइसीसी के मानकों पर तैयार किया जायेगा. इससे यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच हो सकेंगे. उसकी गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं किया जायेगा. स्टेडियम के निर्माण पर आवश्यकता पड़ी तो 100 करोड़ तक सरकार खर्च करने को तैयार है. उन्होंने कहा कि इस स्टेडियम की ऑथोरिटी किसी को भी नहीं दी जायेगी.
स्टेडियम को मामूली दो-पांच रुपये के किराये पर दिया जा सकता है, पर ऑथोरिटी नहीं दी जा सकती है. शुक्रवार को विधानसभा स्थित अपने कार्यालय कक्ष में पत्रकारों से मुख्यमंत्री ने कहा कि मोइनुल हक स्टेडियम की ऑथोरिटी देने के लिए जैसे ही एमओयू किया जायेगा, वैसे ही एमओयू करनेवाली एजेंसी उलझन में डाल देगी. उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव उनके पास आया था.
उन्होंने कला संस्कृति एवं युवा विभाग को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर निर्माण कराने का आदेश दे दिया है. उन्होंने कहा कि स्टेडियम की ऑथोरिटी देने के नाम पर ही स्थानीय लोगों का बड़ा विरोध है. आखिर स्थानीय बच्चे वहां कैसे खेलेंगे? अधिकार लेनेवाले लोग उसकी अपने तरीके से बाउंड्री खींचने लगेंगे. स्टेडियम का बाहरी हिस्सा स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षित रहेगा.
राजगीर में एयरपोर्ट की संभावना
मुख्यमंत्री ने बताया कि राजगीर में एयरपोर्ट स्थापना की संभावनाएं हैं. वहां पर सिविल एविएशन के लोगों ने जायजा भी लिया है. उनको 1200-1500 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता थी. वहां जमीन उपलब्ध भी कराने की दिशा में प्रयास भी किया गया था. इसके लिए पांच साल तक वहां की जमीन बिक्री पर रोक भी लगी थी. लेकिन अंत में इंतजार के बाद जमीन की बिक्री पर से रोक हटा दी गयी. उन्होंने कहा कि अब भी वहां एयरपोर्ट की संभावना है.
जमीन बहुत बड़ी बाधा है. लेकिल वह वहां की स्थानीय जनता से हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन करेंगे तो उम्मीद है कि जनता से जमीन मिल जायेगी. उन्होंने बताया कि राजगीर पहुंचने की दूरी अब 100 किमी की जगह 80 किमी हो जायेगी. राजगीर को दो-तीन अन्य सड़कों से जोड़ा जा रहा है.