पटना: बाढ़ग्रस्त नदियों को करीब की सामान्य प्रवाह वाली नदियों से जोड़ने के लिए सरकार ने काम शुरू कर दिया है. इसके लिए चार योजनाएं लाने की तैयारी चल रही है. एक योजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) केंद्रीय जल आयोग को भेजी जा चुकी है, जबकि दो योजनाओं के लिए डीपीआर तैयार करने का काम चल रहा है. इन योजनाओं पर अमल हुआ, तो बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, गेहुंआ और उनसे जुड़ी नदियों के कारण बाढ़ग्रस्त बड़े इलाकों को राहत मिलेगी.
बागमती-बूढ़ी गंडक जोड़ : अगर बूढ़ी गंडक में बाढ़ नहीं हो, तो इसे बागमती से जोड़ कर उसके बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है. इसके लिए बागमती की पुरानी धार बेलवा को नहर का रूप देकर उसके माध्यम से बागमती और बूढ़ी गंडक को जोड़ा जा सकता है. इस योजना के लिए राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण डीपीआर तैयार कर रहा है.
बूढ़ी गंडक-नून-बाया-गंगा लिंक : बूढ़ी गंडक घाटी की नून नदी का पानी बूढ़ी गंडक के साथ मिल कर बाढ़ की तबाही लाता है. बाया नदी, नून नदी के समानांतर बहती हुई गंगा में मिलती है. नून और बाया नदियों को आपस में जोड़ दिया जाये, तो बूढ़ी गंडक नदी के बाढ़ वाला पानी को गंगा में मोड़ा जा सकता है. इस योजना का डीपीआर तैयार कर केंद्रीय जल आयोग को कार्रवाई के लिए भेजा जा चुका है.
कोसी-गंगा लिंक : बागमती और कोसी के संगम स्थल के पास के इलाकों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ता है. बागमती, कमला और गेहुंआ नदियों की बाढ़ का पानी कोसी नदी में मिलने से पहले बड़े भू-भाग पर तबाही मचाता है. आमतौर पर बागमती और कमला नदियों में जुलाई-अगस्त में बाढ़ आती है, जबकि गंगा में अगस्त-सितंबर में. बागमती और गेहुंआ नदी की बाढ़ के पानी को मानसी के पास एक कट द्वारा गंगा नदी में मोड़ा जा सकता है. इस योजना से बिजली का उत्पादन भी हो सकता है. इसका डीपीआर तैयार किया जा रहा है.
कोहरा-चंद्रावत लिंक : बूढ़ी गंडक बेसिन की कोहरा नदी और गंडक बेसिन के जलग्रहण क्षेत्र की चंद्रावत नदी को जोड़ कर बूढ़ी गंडक में बाढ़ के पानी को गंडक में मोड़ने का विचार है. बूढ़ी गंडक बेसिन के बाढ़ग्रस्त इलाकों को इससे बड़ी राहत मिलेगी.