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जेट एयरवेज संकट : दो माह से वेतन नहीं, नौकरी बचने की उम्मीद भी कम

पटना : दो महीने से वेतन नहीं मिला है. घर का खर्च चलाना पहले से ही मुश्किल हो रहा था. अब नौकरी बचने की उम्मीद भी कम रह गयी है. कुछ इन्हीं शब्दों में जेट एयरवेज के कर्मियों ने प्रभात खबर की टीम से शुक्रवार को अपनी पीड़ा साझा की. जेट की डंवाडोल आर्थिक स्थिति […]

पटना : दो महीने से वेतन नहीं मिला है. घर का खर्च चलाना पहले से ही मुश्किल हो रहा था. अब नौकरी बचने की उम्मीद भी कम रह गयी है. कुछ इन्हीं शब्दों में जेट एयरवेज के कर्मियों ने प्रभात खबर की टीम से शुक्रवार को अपनी पीड़ा साझा की. जेट की डंवाडोल आर्थिक स्थिति से उसके कर्मी पिछले छह महीने से परेशान थे. पहले कर्मियों की छंटनी की गयी.

उसके बाद भी जब कंपनी अपने खर्च के लायक राशि जुटाने में सफल नहीं रहने लगी तो वेतन भुगतान देर से होने लगा और दो महीने से यह पूरी तरह बंद है. इसके बावजूद जब तक जेट के विमान परिचालित होते रहे, कर्मियों के मन में स्थिति ठीक होने की उम्मीद थी, लेकिन परिचालन बंद होने के बाद अब यह उम्मीद भी दम तोड़ने लगी है.
इएमआइ भरना भी मुश्किल होगा
जॉब बदलने पर हमें वेतन वृद्धि मिलती है, लेकिन जेट की खराब स्थिति से अब कोई भी कंपनी कम-से-कम में हमें रखना चाहेगी. इएमआइ भरना भी मुश्किल होगा.
संजय यादव, स्टेशन मैनेजर, जेट एयरवेज, पटना
गाड़ी में पेट्रोल भराने के लिए भी पैसे नहीं
पहले की बचत अब खत्म हो चुका है. पेट्रोल भराने के लिए भी पैसे नहीं हैं. पैदल एयरपोर्ट आना जाना पड़ता है. संयोग है कि घर नजदीक है ,नहीं तो परेशानी और भी बढ़ जाती.
मुकेश कुमार सिन्हा
किराना और दूध भी उधार लाना पड़ रहा
मकान किराया नहीं चुकाया, किराने का समान और दूध भी उधार लाना पड़ रहा है. कर्ज बढ़ते जा रहा है और वेतन मिलने का ठिकाना नहीं है.
मनीष कुमार, सीनियर कस्टमर सर्विस असिस्टेंट
होगा नुकसानदायक
न केवल यह हमारे प्रोफेशनल करियर के प्रति घातक होगा बल्कि सरप्लस लेबर के कारण अन्य एयरलाइंस के कर्मियों के लिए भी यह बेहद नुकसानदायक होगा.
स्मृति दीवान, सुपरवाइजर, कस्टमर सर्विस
मकान किराया और बिजली बिल बाकी
दो महीने का मकान किराया और बिजली का बिल बाकी है. कुछ दिन और वेतन बंद रहा तो खाना पीना और घर का सामान्य खर्च चलाना भी मुश्किल होगा. परेशानी बढ़ रही है.
शेखर सिन्हा, सीनियर कस्टमर सर्विस असिस्टेंट
बच्चे की स्कूल फीस बाकी
पहले भी केवल 11 हजार रुपये मिलता था. दो महीने से वह भी बंद है. बच्चे का स्कूल का फीस बाकी है. नयी कक्षा में दाखिला भी नहीं करवाया. किताब तक नहीं खरीदा.
दिलीप कुमार, लोडर

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