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दूसरा चरण : प्रचार ने पकड़ा जोर, वोटों की गोलबंदी अंतिम चरण में
कोसी-पूर्व बिहार के पांच लोकसभा क्षेत्रों में पीएम, सीएम, नेता प्रतिप्रक्ष की हो चुकी हैं सभाएं पटना : दूसरे चरण के मतदान में कोसी-पूर्व बिहार के पांच लोकसभा क्षेत्रों- किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर व बांका में मतदान होना है. पांच दिन बाद 18 अप्रैल को वोटिंग है. प्रचार जोर पकड़ चुका है. चुनाव का समय […]
कोसी-पूर्व बिहार के पांच लोकसभा क्षेत्रों में पीएम, सीएम, नेता प्रतिप्रक्ष की हो चुकी हैं सभाएं
पटना : दूसरे चरण के मतदान में कोसी-पूर्व बिहार के पांच लोकसभा क्षेत्रों- किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर व बांका में मतदान होना है. पांच दिन बाद 18 अप्रैल को वोटिंग है. प्रचार जोर पकड़ चुका है. चुनाव का समय ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है, सरगर्मी बढ़ती जा रही है. सभी दलों के नेताओं की जनसभाएं लगातार हो रही हैं.
शहरी क्षेत्रों में जहां बड़ी सभाएं हो रही हैं, वहीं प्रखंड मुख्यालयों में भी प्रचार का शोर जोर पकड़ चुका है. क्षेत्र में पीएम नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी की सभाओं के साथ ही सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सुशील मोदी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आदि भी लोगों को संबोधित कर रहे हैं. इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा सीएम नीतीश कुतार व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सभाएं अब हुई हैं.
त्रिकोणीय लड़ाई और मतदाताओं की खामोशी से कई दिग्गजों की नींद उड़ी
बांका लोक सभा क्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणात्मक बना हुआ है. राजद के जयप्रकाश नारायण यादव, जदयू के गिरिधारी यादव व निर्दलीय प्रत्याशी पुतुल कुमारी के बीच कांटे की टक्कर है. मौजूदा स्थिति में मतदाताओं के बीच कन्फ्यूजन सा माहौल है.
कन्फ्यूजन तीनों प्रत्याशियों के कैडर वोट में अधिक दिख रहा है. तीनों प्रत्याशी जातिगत समीकरण को साधने में पसीना बहा रहे हैं. राजद के पक्ष में माय समीकरण बरकरार है, तो जदयू को अपने आधार वोट के साथ-साथ भाजपा के एक खेमा का साथ मिल रहा.
भागलपुर सीट पर दोनों गठबंधनों के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है. राजद के शैलेश कुमार उर्फ बूलो मंडल व जदयू के अजय मंडल गांव में भी अपने-अपने समर्थकों के साथ रात-दिन घूम रहे हैं. इससे इतर आप के सतेंद्र व अन्य कुछ निर्दलीय भी प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं.
इस सीट पर गंगोता जाति निर्णायक माना जा रहा है. राजद व जदयू के कैडर वोट अब तक गोलबंद हैं, लेकिन सवर्ण वोट फिरकी खा रहे हैं. यह वोट बैंक बड़ा फैक्टर है. इसमें भी शहर के वोटर इस बार अन्य वोटों के विखंडन के कारण कीमती माने जा रहे हैं.
किशनगंज में वादों और दावों के बीच उलझी त्रिकोणीय लड़ाई में मतदाताओं की खामोशी से जिले की राजनीतिक तपिश लगातार बदल रही हैं. मतदाता इन दिनों उम्मीदवारों के लिए अबूझ पहेली बन गये हैं. मतदाताओं की चुप्पी बड़ा तूफान आने के पूर्व की सन्नाटे जैसी लग रही है.
हर दिन बनते बिगड़ते समीकरण से कई दिग्गजों की नींद गायब है. अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तीन सभा, उप मुख्यमंत्री की दो, राजद नेता तेजस्वी की एक सभा यहां हो चुकी है. कांग्रेस नेता व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की भी एक सभा शुक्रवार को हुई है.
…लेकिन यहां पेच सवर्ण मतदाताओं के कारण फंसा हुआ है. सवर्ण मतदाताओं का रुझान पार्टी से अलग दूसरी ओर मुड़ता दिख रहा है. निर्णायक भूमिका में कुशवाहा, दलित व महादलित के वोट हैं.
यहां की सभाओं में भी इनकी भागीदारी कम देखी जा रही है. आम शहरी खुल कर किसी दल या उम्मीदार के पक्ष में बोलते नहीं दिख रहे. इस चुप्पी के कारण रणनीतिकार परेशान हैं और किसी बड़े उलट-फेर की आशंका जता रहे हैं.
एआइएमआइएम नेता अशद्दुदीन ओवैसी भी अगले दो दिनों तक यहां कैंप करने वाले हैं. यहां चुनाव प्रचार में और तेजी की संभावना है. अभी तक कुल मिलाकर इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष (जदयू, कांग्रेस और एआइएमआईएम) ही दिख रहा है.
कटिहार संसदीय क्षेत्र में रोचक मुकाबला होने के आसार दिख रहा है. यहां कांग्रेस के तारिक अनवर व जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी अपनी ताकत झोक चुके हैं. अब स्थिति कुछ साफ दिखने लगी है. पिछले चुनाव की तरह ही इस बार के चुनाव का समीकरण दिख रहा है.
यहां अल्पसंख्यक वोट हमेशा ही निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. इस बार एमवाई के साथ-साथ निषाद वोट का भी तारिक को भरोसा है. जदयू प्रत्याशी को भाजपा की परंपरागत वोट के साथ-साथ अतिपिछड़ा वोट का भरोसा है.
..इधर, एनसीपी भी शकूर को उम्मीदवार बना कटिहार के चुनाव में अलग समीकरण बनाने की कवायद में जुटा है. इस सीट से कुल नौ उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं.
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