पटना : सूबे के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में नया सत्र शुरू हो गया है, लेकिन नये शिक्षक नहीं मिल पाये हैं. नये सत्र से पहले शिक्षकों की नियुक्ति के शिक्षा विभाग के दावे की भी पोल खुल गयी है. विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग को रिक्तियां और राजभवन को नियुक्ति का परिनियम (नियमावली) भेज कर अपना पल्ला झाड़ लिया है.
बीपीएससी भी परिनियम के इंतजार में विज्ञापन निकालने में देरी कर रहा है. वहीं, नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी को देखते हुए अनुबंध पर करीब एक हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी मई में शुरू की गयी, लेकिन इसका प्रस्ताव भी अभी तक कैबिनेट में नहीं जा सका है. अनुबंध पर एक हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव अभी वित्त विभाग में ही अटका हुआ है. इसमें 25 हजार नियत मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी. ये शिक्षक तभी तक बहाल रहते, जब तक स्थायी रूप से विवि व कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो जाती. शिक्षा विभाग ने जून के पहले सप्ताह में ही राजभवन को परिनियम को भेजा था.
इसके बाद राजभवन ने तीन कुलपतियों की कमेटी बनायी. कमेटी ने भी 15 दिन पहले अपनी रिपोर्ट राजभवन को सौंप दी है. फिलहाल दूसरे विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इसमें राय ली जा रही है. इसके बाद ही इस पर राज्यपाल का अनुमोदन हो सकेगा. विश्वविद्यालयों में 2003 के बाद से असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली नहीं हुई है. सभी विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों में से 75 फीसदी पदों यानी 3452 पदों पर बहाली के लिए बीपीएससी को रिक्तियां भेजी गयी हैं. वहीं 25 फीसदी पदों को बैकलॉक के पदों के लिए रखा गया है. इस पदों पर 75 फीसदी सीटों पर बहाली होने के बाद नियुक्ति होगी.