पटना : होली का त्योहार डाक टिकटों में भी खूब दिख चुका है. भारत सरकार का इंडिया पोस्ट 2002 में पहली बार बाल दिवस के अवसर पर डाक टिकट जारी कर चुका है. इसमें रंगों के त्योहार को बच्चों से जोड़ कर दिखाया गया था. इसके बाद दूसरी बार 2017 में इंडिया पोस्ट ने होली पर डाक टिकट जारी किया था.
इसमें रंगों को लेकर समाज के उमंग और उल्लास को दिखाया गया. इस डाक टिकट में देश की रंगों से भरी संस्कृति की छटां दिखती है. इसके साथ ही इंडिया पोस्ट ने 2013 में मथुरा की लट्ठमार होली पर विशेष आवरण निकाला था. इसमें बताया गया है कि लाठी का इस्तेमाल कर होली खेलने की यह अनोखी परंपरा आज भी कायम है.
गुयाना में दशकों से प्रभावी रही है बिहारी संस्कृति
डाक टिकटों के मशहूर संग्रहकर्ता प्रदीप जैन बताते हैं कि ब्रिटिश गुयाना में बड़ी संख्या में भारतवंशी हैं. इनमें से ज्यादातर बिहारी मूल के हैं. इसका असर उनकी बोली और संस्कृति में भी है. 26 फरवरी 1969 को यहां होली पर चार डाकटिकटों का सेट जारी हुआ था. इसका नाम फगुआ डाकटिकट था जो बताता है कि बिहारी संस्कृति वहां कितनी प्रभावी है. इसमें भगवान कृष्ण को राधा और गोपियों संग होली खेलते दिखाया गया है.