नयी दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बृहस्पतिवार को बिहार सरकार को जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट पैदा करने वाले अस्पतालों और स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्रों की संख्या दो हफ्ते के अंदर बताने को कहा है. न्यायमूर्ति रघुवेंद्र एस राठौड़ की अगुवाई वाली पीठ ने प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) को 25 फरवरी को उसके सामने पेश होने का भी निर्देश दिया.
अधिकरण ने यह कहते हुए यह आदेश जारी किया कि सरकारी और निजी अस्पतालों की कुल संख्या बताने के 10 जनवरी के उसके आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने बस अधूरा हलफनामा दाखिल किया जो बहुत संक्षिप्त है. पीठ ने कहा, ‘‘आदेश स्पष्ट रूप से कहता है कि बिहार सरकार से 2017 से जो ब्योरा मांगा जा रहा है, वह सभी मायनों में पूर्ण और प्रामाणिक हो. लेकिन, उस दिशा में जरूरी कदम नहीं उठाये गये.”
अधिकरण ने कहा, ‘‘अतएव प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) को 10 जनवरी, 2019 के आदेश का आज से दो हफ्ते के अंदर अक्षरश: पालन करने के लिए आखिरी मौका दिया जाता है.” एनजीटी एनजीओ वेटेरंस फोरम फार ट्रांसपैरेंसी इन पब्लिक लाइफ की अर्जी पर सुनवाई कर रही है. इस एनजीओ ने एनजीटी से उसके 24 अक्टूबर, 2017 के आदेश को लागू करवाने की मांग की है.