पटना : बिहार के तकरीबन साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों के समान वेतन पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुना सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नियोजित शिक्षकों के इंतजार की घड़ी समाप्त हो जायेगी. मीडिया रिपोर्टस में चल रही खबरों के मुताबिक 4 दिसंबर को समान काम, समान वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है.जानकारीकेमुताबिककोर्ट में इस केस की लिस्टिंग कर ली गयी है और फैसले सुनाने के लिए 4 दिसंबर की तारीख तय की गयी है. जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस यू यू ललित की बेंच कोर्ट नंबर 8 में सुनवाई के लिए बना दिया है. इस बेंच का समय दोपहर बाद 1:30 बजे रखा गया है.
विदित हो कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को लंबे समय से समान काम, समान वेतन के फैसले का इंतजार है. लेकिन, अब उम्मीद जागी है कि 4 दिसंबर को कोर्ट किसी नतीजे पर पहुंच पायेगा. इस मामले में 25 दिनों तक सुनवाई चली थी. अब तीन दिसंबर, सोमवार को कॉज लिस्ट जारी किये जाने की बात भी सामने आ रही है. हालांकि, कॉज लिस्ट अभी तक जारी नहीं किया गया है. साथ कोर्ट की ओर से अभी तक का कोई भी ऐसी तारीख निर्धारित नहीं की गयी है.
गौरतलब हो कि बीते तीन अक्टूबर को जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और उदय उमेश ललित की खंडपीठ में होने वाली सुनवाई के दौरान कोर्ट में शिक्षक संगठनों के वकील और केंद्र और राज्य सरकार के वकील अपना-अपना पक्ष रखा था. पटना हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर, 2017 को नियोजित शिक्षकों को अन्य शिक्षकों की भांति समान काम के बदले समान वेतन देने का फैसला दिया था, जिसके विरोध में राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में अपील में गयी है. इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने लगातार चली सुनवाई के क्रम में शिक्षक संगठनों, राज्य सरकार के साथ ही अटॉर्नी जनरल का पक्ष जान लिया है.
पिछली सुनवाई के दिन कोर्ट ने तीनों पक्षों को तीन अक्टूबर की सुनवाई में अपनी बात समाप्त करने के निर्देश दिया गया था. इससे पहले केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन का विरोध किया था. कोर्ट में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के स्टैंड का समर्थन किया था. केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर 36 पन्नों के हलफनामे में कहा गया था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता क्योंकि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. ऐसे में इन नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन अगर दिया भी जाता है तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36,998 करोड़ का अतिरिक्त भार आयेगा. केंद्र ने इसके पीछे यह तर्क दिया था कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को इसलिए लाभ नहीं दिया जा सकता क्योंकि बिहार के बाद अन्य राज्यों की ओर से भी इसी तरह की मांग उठने लगेगी.