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अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पटना पहुंचे लालू, 30 अगस्त तक करना है सरेंडर

पटना : राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को मुंबई स्थित एशियाई हार्ट इंस्टीट्यूट से छुट्टी मिल गयी है. वहीं, अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद लालू यादव आज पटना पहुंच गये हैं. विदित हो कि कल लालू यादव को दोहरा झटका लगा था. पहला झटका उस वक्त […]

पटना : राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को मुंबई स्थित एशियाई हार्ट इंस्टीट्यूट से छुट्टी मिल गयी है. वहीं, अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद लालू यादव आज पटना पहुंच गये हैं. विदित हो कि कल लालू यादव को दोहरा झटका लगा था. पहला झटका उस वक्त लगा जब झारखंड हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत रद्द कर दी थी और उन्हें 30 अगस्त तक सरेंडर करने के लिए कहा था. वहीं, कल ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और पुत्र तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ 2006 में आईआरसीटीसी होटल टेंडर मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था.

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गौरतलब हो कि लालू यादव को मई में इलाज के लिए छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दी गयी थी जिसे बाद में हाईकोर्ट ने बढ़ा दिया था. चारा घोटाले के एक मामले में दिसंबर 2017 को दोषी करार दिये जाने के बाद लालू रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में रखे गये थे. उन्हें जनवरी व मार्च 2018 में दो अन्य मामलों में दोषी करार दिया गया और 14 साल की जेल की सजा दी गयी. वह साल 2013 में चारा घोटाला मामले में पहली बार दोषी करार दिये गये थे और उन्हें पांच साल की जेल की सजा सुनाई गयी थी.

क्या है आईआरसीटीसी होटल टेंडर मामला
वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल के रखरखाव आदि के लिए आईआरसीटीसी को स्थानांतरित किया था. सीबीआई के मुताबिक, नियम-कानून को ताक पर रखते हुए रेलवे का यह टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दे दिये गये थे. आरोप के मुताबिक, टेंडर दिये जाने के बदले 25 फरवरी, 2005 को कोचर बंधुओं ने पटना के बेली रोड स्थित तीन एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड को बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत ज्यादा थी. जानकारी के मुताबिक, इस जमीन को कृषि जमीन बता कर सर्कल रेट से काफी कम पर बेच कर स्टांप ड्यूटी में गड़बड़ी की गयी. बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी संपत्ति लालू प्रसाद की पारिवारिक कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपये में ही दे दी गयी, जबकि उस समय बाजार में इसकी कीमत करीब 94 करोड़ रुपये थी. मालूम हो कि सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि इस जमीन पर पटना का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल बनाया जा रहा है.

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