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पटना : थीसिस में चोरी पकड़ी गयी तो रद्द हो जायेगा पीएचडी रजिस्ट्रेशन, सुपरवाइजर भी नपेंगे

पटना : पीएचडी के थीसिस में चोरी पकड़े जाने पर मुश्किल खड़ी हो सकती है. यूजीसी की ओर से जारी नये नियमों के अनुसार थीसिस में प्लेगरिज्म यानी साहित्य चोरी पाये जाने और डिग्री मिल जाने की स्थिति में शिक्षकों को वेतनवृद्धि और नये छात्रों के सुपरविजन के अधिकार नहीं दिये जायेंगे. वहीं, शोधार्थी दोषी […]

पटना : पीएचडी के थीसिस में चोरी पकड़े जाने पर मुश्किल खड़ी हो सकती है. यूजीसी की ओर से जारी नये नियमों के अनुसार थीसिस में प्लेगरिज्म यानी साहित्य चोरी पाये जाने और डिग्री मिल जाने की स्थिति में शिक्षकों को वेतनवृद्धि और नये छात्रों के सुपरविजन के अधिकार नहीं दिये जायेंगे. वहीं, शोधार्थी दोषी पाया जाता है तो उसका रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता है.
यूजीसी ने साफ तौर पर कहा है कि अगर चोरी पकड़ी गयी, तो शोधार्थी का रजिस्ट्रेशन रद्द होने के साथ ही शोध कराने वाले प्रोफेसर्स की नौकरी पर भी संकट पड़ सकता है. यूजीसी ने नयी गाइड लाइन जारी कर दी है. यूनिवर्सिटी, कॉलेज, शोधार्थी और शोध कराने वाले शिक्षक नये गाइड लाइन को यूजीसी की वेबसाइट पर देख सकते हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूजीसी (उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अकादमिक सत्यनिष्ठा और साहित्य चोरी की रोकथाम को प्रोत्साहन) विनियम, 2018 को इस हफ्ते अधिसूचित किया है. गौरतलब है कि यूजीसी ने इस साल मार्च में अपनी बैठक में नियमन को मंजूरी देते हुए प्लेगरिज्म के लिए दंड का प्रावधान किया. इसमें थीसिस चोरी को विभिन्न स्तरों में बांट दिया गया है.
थीसिस जमा करने से पहले शोधार्थी को देना होगा शपथपत्र
नये नियम में यह साफ तौर पर कहा गया है कि थीसिस, डिजर्टेशन या इस तरह का अन्य कोई दस्तावेज जमा करने से पहले शोधार्थी को एक शपथपत्र देना होगा. उसमें उल्लेख करना होगा कि दस्तावेज छात्र की ओर से खुद तैयार किया गया है और असली काम है. उसमें यह भी उल्लेख करना होगा कि संस्थान की ओर से साहित्यिक चोरी पकड़ने वाले उपकरण से दस्तावेज की गहन जांच कर ली गयी है. प्रत्येक सुपरवाइजर को एक सर्टिफिकेट जमा करना होगा, जिसमें उल्लेख करना होगा की शोधार्थी की ओर से किया गया काम चोरी मुक्त है.
चोरी पकड़ने वाला सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने को कहा
यूजीसी ने नये नियम में संस्थानों को भी कई गाइड लाइन दिये गये हैं. संस्थान को साहित्यिक चोरी पकड़ने वाले सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने को कहा गया है. सॉफ्टवेयर लागू करने के साथ ही इसके प्रशिक्षण की भी व्यवस्था करने को कहा गया है.
कोई भी कर सकता है शिकायत या संस्थान खुद लेगा संज्ञान : शोध में चोरी रोकने को लेकर नये नियम में कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत संबंधित संस्थान से कर सकता है. साथ ही संस्थान खुद भी मामले पर संज्ञान ले सकता है.
इस तरह रखा गया है साहित्यिक चोरी का स्तर
अगर थीसिस में 10 प्रतिशत तक समानता या मामूली समानता पाया जाता है तो इसे लेवल ‘शून्य’ में रखा जायेगा. शून्य लेवल में रहने पर किसी तरह के दंड का प्रावधान नहीं है.
अगर किसी के थीसिस में 10-40 % तक समानता मिली तो शोधार्थी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. इस लेवल में पाये जाने पर छह महीने के अंदर निर्धारित समय पर छात्र को संशोधित स्क्रिप्ट जमा करने को कहा जायेगा. अगर डिग्री मिल चुकी है तो मैन्युस्क्रिप्ट वापस लेने को कहा जायेगा.
40-60 % तक का समानताएं रहने पर एक साल तक संशोधित आलेख नहीं जमा कर सकते हैं. साथ ही शोध कराने वाले शिक्षकों को भी एक साल तक कोई इन्क्रिमेंट नहीं मिलेगा और दो सालों तक किसी नये स्कॉलर का सुपरवाइजर बनने पर रोक लग जायेगा.
60 प्रतिशत से अधिक समानताएं रहने पर रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जायेगा. अगर डिग्री मिल चुकी है, तो मैन्युस्क्रिप्ट वापस लेना होगा. वहीं, गाइड को दो सालों तक इन्क्रिमेंट नहीं मिलेगा. तीन सालों तक किसी नये स्कॉलर का सुपरवाइजर बनने पर रोक लग जायेगा.

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