पटना : सूबे में एक दशक पीछे चलें, तो डकैती की घटनाएं कहर बरपाती दिखती हैं. पुलिस के आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि वर्ष 2010 और उससे पहले यहां डकैती की घटनाएं एक डरावनी हकीकत की तरह थीं. लेकिन धीरे-धीरे इसमें गिरावट आयी है. 2016 में दर्ज की गयी डकैती की घटनाआें की तुलना 2010 से करें, तो करीब 50 प्रतिशत की गिरावट आयी है. बड़ी बात यह है कि यह गिरावट जारी है लेकिन घटनाओं का अंदाज आज भी वैसा ही है, जैसा पहले था. हमले उसी तरह से किये जाते हैं, फर्क बस इतना है कि पहले ये हमले डंडा, धारदार हथियार, राइफल, बंदूक से किये जाते थे. अब धारदार हथियार के साथ ही पिस्टल जैसे छोटे हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश व बिहार के मुंगेर के हैं घुमंतू गैंग : दरअसल घटनाओं में गिरावट के साथ इस तरह के गैंग पर भी काबू करना जरूरी है, जो घुमंतू है. यह ऐसा गैंग है, जो एक जगह पर स्थायी नहीं रहता है. इसके लोग घूम-घूम कर घटनाओं को अंजाम देते हैं. इसमें बिहार की बात करें, तो मुंगेर, भागलपुर के कुछ गैंग हैं, जो बड़े ही वीभत्स तरीके से घटना को अंजाम देते हैं. इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ ऐसे गैंग हैं, जो पूरे देश में डकैती की घटनाओं को अंजाम देते हैं. इस गैंग को कच्छा-बनियान गैंग के नाम से जाना जाता है.