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पटना : ध्वनिमत से फैसला, विस में शराबबंदी संशोधन बिल पास सीएम बोले- बेहतरी के लिए बदलाव

शराब पीने के पहले अपराध के लिए कम सजा का प्रावधान पटना : बिहार विधानसभा ने सोमवार को विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच बिहार मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक, 2018 को ध्वनिमत से पास कर दिया. विधान परिषद से इस विधेयक के पास होने के बाद इस विधेयक को कानूनी रूप दे दिया […]

शराब पीने के पहले अपराध के लिए कम सजा का प्रावधान
पटना : बिहार विधानसभा ने सोमवार को विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच बिहार मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक, 2018 को ध्वनिमत से पास कर दिया.
विधान परिषद से इस विधेयक के पास होने के बाद इस विधेयक को कानूनी रूप दे दिया जायेगा. विधानसभा में इस विधेयक पर भोजनावकाश के बाद चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया कि पूर्ण शराबबंदी को लेकर कोई समझौता नहीं होगा. शराबबंदी को और प्रभावी बनाने के लिए शराबबंदी कानून में संशोधन किया गया है. हर तरह से समीक्षा करने के बाद शराबबंदी कानून में दंड को समानुपातिक बनाया गया है.
शराब पीने के पहले अपराध के लिए कम दंड का प्रावधान किया गया है. इससे पहले विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया. विपक्ष की मांग थी कि यह विधेयक पास कराने से पहले सुखाड़ पर बहस करायी जाये. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी कानून को हर तरह से ध्यान में रखते हुए संशोधन प्रस्ताव लाया गया. कठोर कानून होने से इसके दुरुपयोग होने से इन्कार नहीं किया जा सकता. कानूनी प्रावधान के हो रहे दुरुपयोग की समीक्षा को लेकर अधिकारियों की कमेटी गठित की गयी.
शराबबंदी कानून में दो छोटे अपराधों को समानुपातिक बताते हुए जमानतीय बनाया गया. पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने पर जमानत हो जायेगी. पहले अपराध पर 50 हजार रुपये का जुर्माना व तीन माह की सजा का प्रावधान है. दूसरी बार पकड़े जाने पर एक साल की सजा होगी. घर में शराब की बोतल या उपयोग होने पर पकड़े जाने पर केवल जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी.
अन्य लोगों को सजा से अलग रखा गया है. इस तरह अब पहले की तरह पूरे घर की जब्ती नहीं होगी. अवैध शराब का निर्माण या बिक्री अथवा उपभोग किसी गांव या इलाका में बार-बार होने पर लगनेवाले सामूहिक जुर्माना में भी छूट दी गयी है. अपराध में संलिप्त लोगों पर केवल कार्रवाई होगी.
निर्दोष लोगों पर कार्रवाई नहीं होगी. वाहन की जब्ती मामले में नियम बनाया जायेगा. वाहन में शराब मिलने पर ऐसा नहीं होगा कि सभी लोग जिम्मेदार होंगे. इसलिए इस मामले में सजा के कई प्रावधान हटाये गये हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीकर उपद्रव करनेवाले की सजा के प्रावधान में कमी नहीं की गयी है. जिले से निष्कासन के मामले अन्य अपराध के लिए है. इसलिए अलग से सजा का प्रावधान नहीं रहेगा.
लोगों को नहीं पीने के लिए करें प्रेरित
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब नहीं पीने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिए. इसे अभियान के रूप में चलाने की जरूरत है. तभी सामाजिक सुधार संभव है.
जब पहली बार शराबबंदी लागू हुई थी, उसके लिए उत्पाद नियम 1915 का संशोधन विधेयक 2016 में लाया गया था, जो सर्वसम्मति से पारित हुआ था. प्रस्ताव पर जीवंत चर्चा हुई थी. सभी सदस्यों ने प्रस्ताव पारित करते हुए संकल्प लिया था कि लोगों को शराब नहीं पीने के लिए प्रेरित करने के साथ खुद भी शराब नहीं पीयेंगे. शराबबंदी को लेकर जबरदस्त अभियान चला था. इसके बाद पहली अप्रैल 2016 से ग्रामीण इलाके में देशी व विदेशी शराब पर रोक लगायी गयी.
शराबबंदी का अभियान इस तरह सफल होने लगा कि एक करोड़ लोगों ने अपने घरों में बच्चों के समक्ष शराब नहीं पीने के संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किये. नौ लाख लोगों ने दीवारों पर शराबबंदी के समर्थन में हस्ताक्षर किये. इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करना था.
नगर निगम व नगरपालिका क्षेत्र में विदेशी शराब की बिक्री पर रोक नहीं लगायी गयी थी. पहली अप्रैल के बाद शहरी क्षेत्र में शराब दुकान खुलने पर इसका जबरदस्त विरोध होने लगा. तब पांच अप्रैल 2016 को पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी. इसके बाद मद्य निषेध कानून लाया गया, जो दो अक्तूबर 2016 को लागू किया गया. शराबबंदी, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसे सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ 21 जनवरी 2017 को आयोजित मानव शृंखला में चार करोड़ लोग शामिल हुए. शराब के धंधे को लेकर इसकी शिकायत मिलने पर कार्रवाई को लेकर एडीजी मद्य निषेध तंत्र विकसित किया गया .
उन्होंने कहा कि अधिकार मिलने पर कुछ लोग अधिकार दुरुपयोग करने लगते हैं. उसका उपयोग धन कमाने व लोगों को परेशान करने का काम होने लगा.
गरीब-गुरबों के लिए शराबबंदी :
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी से दलित, महादलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा, गरीब-गुरबों को सबसे अधिक लाभ हुआ. वे अपनी अधिकांश कमाई शराब पर खर्च कर देते थे. इससे बच्चे पढ़ नहीं पाते थे. घर में तनाव रहता था.
शराबबंदी के बाद वे अपनी कमाई बच्चों व महिलाओं पर खर्च करने लगे. शराबबंदी लागू करने के लिए महिलाओं ने नारी सशक्तीकरण पर नौ जुलाई 2015 को आयोजित कार्यक्रम में आवाज लगायी थी. उस दिन मैंने कहा था कि अगली बार सरकार में आने पर शराबबंदी लागू करेंगे.
शराब से जीविका चलाने वाले को मिलेगा आर्थिक सहयोग :
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब से अपनी जीविका चलाने वाले लोगों को आर्थिक सहायता देकर योजनाओं का लाभ दिया जायेगा. मुर्गीपालन, बकरीपालन आदि के लिए 60 हजार से एक लाख रुपये तक सहयोग मिलेगा. स्वयं सहायता समूह व जीविका के सहयोग से इसका सर्वेक्षण होगा. 40-50 परिवार पर एक सोशल एक्टिविस्ट रखा जायेगा.
विपक्ष पर कटाक्ष : भले बाहर विरोध करें लेकिन सदन में ऐसा नहीं कर पायेंगे : मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में विपक्ष को भी रहना चाहिए. वे क्यों चले गये. हम तो चाहते थे कि वे लोग बोलें. उन्हें देखना चाहिए कि कानून में क्या-क्या संशोधन की आवश्यकता है. उनके सुझाव भी लिये जाते. सकारात्मक काम में सबको लगना चाहिए. उन्होंने कहा कि बाहर भले वे लोग कानून का विरोध करें, लेकिन सदन के अंदर विरोध नहीं कर सकेंगे. सभी लोगों ने सदन में शराबबंदी कानून का संकल्प लिया था.
पहले अपराध पर सजा कम, लेकिन उसके बाद कठोर दंड
शराब का निर्माण, व्यापार, बिक्री, परिवहन करने पर पहले अपराध के लिए पांच साल की सजा व न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना. ऐसा दोबारा करने पर न्यूनतम 10 साल की सजा व न्यूनतम पांच लाख रुपये का जुर्माना
सील करने से पहले मिलेगा लेखा-जोखा देने का अवसर
भंडारण अथवा निर्माण के मामले में परिवार के सभी वयस्क सदस्यों केअपराधी होने का प्रावधान हटा दिया गया है. अब अपराध में इस्तेमाल होने वाले उपकरण, जानवर, जलयान, वाहन का अधिग्रहण अथवा सील करने के पहले मालिक या उपयोगकर्ता को लेखा-जोखा देने का अवसर दिया जायेगा और संतोषप्रद नहीं होने पर ही दोषी मान कर कार्रवाई की जायेगी.
परिवार के सभी सदस्य दोषी नहीं : धारा 33 व 34 में विकृत स्पिरिट को मानव उपयोग लायक बनाने या शराब में मिलावट करने पर परिवार के सदस्य दोषी हो जाते थे, लेकिन उसमें कब्जा स्पष्टीकरण हटा दिये जाने से अब सिर्फ अपराध में अभियुक्त के विरुद्ध ही कानूनी कार्रवाई होगी और बेवजह निर्दोष कार्रवाई से बच सकेंगे. धारा 35 व 38 को विलोपित कर दिया गया है. कपट करने के अपराध के लिए धारा 30, 33 व 34 में सजा का प्रावधान होने की वजह से इस धारा को विलोपित किया गया है.
सिर्फ 6932 शराब पीने में गिरफ्तार
नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी कानून में हुई गिरफ्तारी को लेकर काफी दुष्प्रचार किया जा रहा था. शराबबंदी कानून में पहली अप्रैल 2016 से 12 जुलाई 2018 तक 62% लाेग शराब पीने में गिरफ्तार हुए, जबकि शराब के अन्य धंधों में 38% लोग गिरफ्तार हुए. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के जेलों की क्षमता 39,436 कैदियों की है. 12 जुलाई तक जेलों में 39,087 कैदी थे. शराब पीने में 6,932 लोग पकड़े गये.
शराब निर्माण की सूचना नहीं देने पर दो साल की सजा
नकली शराब के मामले में भी परिवार के सदस्यों को दोष से बाहर रखा गया है. परिसर मालिक को शराब निर्माण की जानकारी निकटतम उत्पाद अधिकारी या कलक्टर को देना अनिवार्य था. इसमें सजा को घटा कर अब दो वर्ष कर दिया गया है.
चूंकि कई मामले में भवन के स्वामी कहीं दूसरे स्थान पर निवास करते हैं और उस मकान के उपभोगकर्ता द्वारा अपराध किया जाता है. इसलिए सिर्फ मकान या परिसर के उपभोगी को जिम्मेदार बनाया गया है. स्पष्टीकरण के हट जाने से अब जो अपराध में अभियुक्त हैं, उसी के विरुद्ध कार्रवाई होगी. अधिहरण के तौर तरीकों के संबंध में दिशा-निर्देश निर्गत करने की शक्ति राज्य सरकार को दी गयी है.
धारा 64 व 66 काे विलोपित कर दिया गया है. धारा 64 में अवैध शराब के निर्माण या बिक्री पर किसी गांव, शहर या इलाके पर सामूहिक जुर्माना लगाने का प्रावधान था. मगर कुछ अापराधिक प्रवृति के लोगों के लिए किसी भी इलाके के सभी लोगों को दंडित किया जाना उपयुक्त नहीं मानते हुए इसे विलोपित किया गया है. वहीं धारा 66 में कुख्यात अथवा आदतन अपराधियों के निष्कासन का प्रावधान भी विलोपित किया गया है. सरकार ने माना कि डीएम को ऐसी शक्ति अन्य कानून में उपलब्ध है, इसलिए इस कानून में पुन: शक्ति देने की आवश्यकता नहीं है.

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