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पटना : केस सुपरविजन में लापरवाह दो दर्जन डीएसपी को नोटिस
पटना : अपराध पर नकेल कसने के लिए पुलिस मुख्यालय के स्तर पर सख्त मॉनीटरिंग और लापरवाह पदाधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गयी है. इसके तहत मुकदमों या एफआईआर के सुपरविजन में लापरवाही बरतने वाले दो दर्जन से अधिक डीएसपी या एसडीपीओ को मेमो (नोटिस) जारी किया गया है. इनमें पटना, नालंदा, […]
पटना : अपराध पर नकेल कसने के लिए पुलिस मुख्यालय के स्तर पर सख्त मॉनीटरिंग और लापरवाह पदाधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गयी है.
इसके तहत मुकदमों या एफआईआर के सुपरविजन में लापरवाही बरतने वाले दो दर्जन से अधिक डीएसपी या एसडीपीओ को मेमो (नोटिस) जारी किया गया है. इनमें पटना, नालंदा, आरा, सीतामढ़ी, जहानाबाद, दरभंगा, अररिया, बांका समेत अन्य जिलों में अलग-अलग अनुमंडलों में तैनात डीएसपी व एसडीपीओ शामिल हैं.
इन्हें अपनी आदत को तुरंत बदलते हुए लंबित मुकदमों के निबटारे में तेजी लाने के लिए कहा गया है. डीजीपी केएस द्विवेदी ने सभी डीएसपी को 30 जून तक की डेडलाइन देते हुए अल्टीमेटम दिया है कि वे अपने क्षेत्र में मौजूद सभी थानों में लंबित मामलों का निबटारा तेजी से करें.
प्रत्येक महीने में जितने मुकदमे दर्ज होते हैं और जिनमें सुपरविजन की जरूरत है, खासकर जो एसआर (सुपरविजन रिपोर्ट) से जुड़े मुकदमे हैं, उनमें 50% से ज्यादा लंबित मामले नहीं होने चाहिए.
यानी कुल दर्ज मुकदमों की संख्या में लंबित पड़े मामलों की संख्या 50% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर 30 जून के बाद किसी एसडीपीओ या डीएसपी के क्षेत्र में मामले लंबित पाये जाते हैं, तो उन्हें मेमो जारी किया जायेगा. इस तरह अगर किसी के खिलाफ दो से ज्यादा मेमो जारी हो जाता है, तो उनकी एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा. डीजीपी ने सख्त चेतावनी दी है कि ऐसे पदाधिकारियों या कर्मियों की एसीआर भी बिगड़ सकती है.
हालात : मानक से दोगुने लंबित मुकदमे
हाल में सभी जिलों में हुई आपराधिक घटनाओं को देखते हुए डीजीपी ने प्रमंडलीय और जिला वार अपराध और लंबित पड़े मामलों की समीक्षा की है. घूम-घूम कर समीक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अब इसके नियंत्रण के लिए कई स्तर पर ठोस कदम उठाने शुरू कर दिये हैं.
समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि लंबित पड़े मुकदमों की संख्या मानक से दोगुनी है. वर्तमान में एक लाख 19 मुकदमे सभी थानों में विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं, जबकि इनकी संख्या 60 हजार से अधिक नहीं होनी चाहिए थी.
इसके लिए तय फॉर्मूले के अनुसार सभी थानों में कुल दर्ज मुकदमों की संख्या से तीन गुना ज्यादा लंबित मामलों की संख्या नहीं होनी चाहिए. वर्तमान में करीब 20 हजार 413 मामले सभी थानों में दर्ज हैं, इस आधार पर तीन गुना यानी 60 हजार के आसपास ही लंबित मामले होने चाहिए थे. मामलों को तेजी से निबटारे के लिए व्यापक स्तर पर पहल करने का आदेश सभी जिलों को डीजीपी ने दिया है.
िनर्देश : बिना एसडीपीओ के सुपरविजन के भी आईओ जमा करें रिपोर्ट
सभी थानों या केस के आईओ के यह आदेश दिया गया है कि अगर किसी मामले में डीएसपी या एसडीपीओ के स्तर पर सुपरविजन रिपोर्ट जमा नहीं की जा रही या इसमें काफी देरी होती है, तो उन मामलों में आईओ या जांच अधिकारी बिना सुपरविजन रिपोर्ट के ही अपनी डायरी या रिपोर्ट जमा करें. इसके लिए संबंधित जिलों के एसपी को मॉनीटरिंग करने के लिए कहा गया है. इनमें संवेदनशील मामलों, खासकर कांट्रैक्ट किलिंग के मामलों पर ज्यादा फोकस करने के लिए कहा गया है.
केस लंबित रहने के कारण
आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं होना
मामले में कुर्की-जब्ती के लिए पहल नहीं करना
एफएसएल की रिपोर्ट लंबित रहना
डायरी जमा नहीं करना या नहीं लिखना
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