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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बेतिया, पावापुरी और गया मेडिकल कॉलेजों में नामांकन का मामला, सुनवाई गुरुवार को

नयी दिल्ली / पटना : मेडिकल पाठ्यक्रमों में चालू वर्ष में प्रवेश पर रोक संबंधी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेश के खिलाफ बिहार के तीन मेडिकल कॉलेजों ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. मालूम हो कि बिहार के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेज बेतिया, पावापुरी और गया से हैं. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) […]

नयी दिल्ली / पटना : मेडिकल पाठ्यक्रमों में चालू वर्ष में प्रवेश पर रोक संबंधी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेश के खिलाफ बिहार के तीन मेडिकल कॉलेजों ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. मालूम हो कि बिहार के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेज बेतिया, पावापुरी और गया से हैं. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने तीनों मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश की न्यूनतम आवश्यकता नहीं होने पर प्रतिबंध लगाया है. बेतिया, पावापुरी और गया मेडिकल कॉलेजों ने बिहार सरकार के जरिये एमसीआई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की ग्रीष्मकालीन पीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए एमसीआई को नोटिस जारी किया है. साथ ही मामले की सुनवाई के लिए 14 जुन, गुरुवार की तिथि सुनिश्चित कर दी.

क्या है मामला

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता लाने के उद्देश्य से बिहार के तीन मेडिकल कॉलेजों पर गाज गिरायी है. साथ ही एमसीआई ने स्वास्थ्य मंत्रालय को बेतिया, पावापुरी और गया मेडिकल कॉलेजों में नये प्रवेश पर रोक लगाने की सिफारिश भी की है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, एमसीआई ने अपनी सिफारिश में बिहार के तीन कॉलेजों गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज, पश्चिमी चंपारण, वर्धमान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नालंदा और श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज, मुजफ्फरपुर पर रोक लगाने की सिफारिश की है. इन कॉलेजों में चालू वर्ष में प्रवेश पर रोक लगी रहती है, तो सूबे में चालू वर्ष में एमबीबीएस की करीब तीन सौ सीटें कम हो जायेंगी. मालूम हो कि एमसीआई ने तीनों मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ टीम भेज कर जांच करायी थी. पिछले माह ही प्रभात खबर से बातचीत में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा था कि मामला संज्ञान में है. एमसीआई का कहना है कि बिहार के नये मेडिकल कॉलेजों में संसाधनों की कमी है. बिना संसाधन मान्यता देने पर नुकसान ही हैं. इस संबंध में राज्य सरकार के साथ बातचीत भी हुई है. राज्य सरकार वहां डॉक्टरों की कमी दूर करने और आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है.

मेडिकल कॉलेजों में मापदंड के अनुसार क्या-क्या नहीं ?

पश्चिमी चंपारण : गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज, बेतिया

यहां कुल 18 खामियां पायी गयीं

35 फीसदी शिक्षकों की कमी

रेजिडेंट डॉक्टरों की 10 फीसदी कमी

चार वर्षों से चल रहे मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन मशीन नहीं

246 नर्सों में मात्र 186 नर्सें नियुक्त

पैरामेडिकल स्टॉफ व अन्य संसाधनों की भी कमी

नालंदा : वर्धमान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज,पावापुरी

फैकेल्टी के 43.39 फीसदी पद रिक्त

रेजिडेंट डॉक्टरों की 26 फीसदी कमी

ब्लड बैंक और सिटी स्कैन का अभाव

247 की जगह पर मात्र 73 ही नर्सिंग स्टाफ

179 की जगह पर सिर्फ 32 पैरामेडिकल व नॉन टीचिंग स्टाफ

ब्यॉज या गर्ल्स कॉमन रूम में ट्वॉयलेट अटैच नहीं

सात की जगह मात्र एक ऑपरेशन थियेटर दो टेबल पर क्रियाशील

लाइब्रेरी में मापदंड के मुताबिक करीब आधी पुस्तकें ही उपलब्ध

सात लैबोरेटरी की जगह पांच ही कार्यरत

Prabhat Khabar Digital Desk
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