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पटना : जीएसटी बिहार के लिए बहुत अच्छा : डॉ सुब्रमण्यम

वित्तीय संघवाद के लिए एक विश्लेषणात्मक ढांचा विषय पर व्याख्यान में डॉ सुब्रमण्यम बोले पटना : जीएसटी बिहार के लिए काफी अच्छा साबित होगा. आने वाले समय में जीएसटी के जरिये काफी बड़ी मात्रा में सूबे को टैक्स शेयर मिलेगा. उक्त बातें भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रमण्यम ने कहीं. वे बुधवार […]

वित्तीय संघवाद के लिए एक विश्लेषणात्मक ढांचा विषय पर व्याख्यान में डॉ सुब्रमण्यम बोले
पटना : जीएसटी बिहार के लिए काफी अच्छा साबित होगा. आने वाले समय में जीएसटी के जरिये काफी बड़ी मात्रा में सूबे को टैक्स शेयर मिलेगा.
उक्त बातें भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रमण्यम ने कहीं. वे बुधवार को पटना में ‘वित्तीय संघवाद के लिए एक विश्लेषणात्मक ढांचा’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा कि अभी आईजीएसटी (इंटर-स्टेट जीएसटी) में काफी बड़ी मात्रा में रुपये का सेटलमेंट नहीं हो पाया है.
इसके सेटलमेंट के बाद बिहार को टैक्स शेयर में काफी बड़ा हिस्सा मिलेगा. इसका मुख्य कारण है कि बिहार उपभोक्ता प्रधान राज्य है न कि उत्पादन प्रधान राज्य. आईजीएसटी के क्षेत्र में बिहार में काफी रिफॉर्म होगा, जिसका सीधा लाभ राज्य को मिलेगा.
इससे राजस्व संग्रह में सीधा 12-13 फीसदी का ग्रोथ दर्ज होगा. डॉ सुब्रमण्यम ने कहा कि जीएसटी देश में सहकारिता संघवाद का पहला श्रेष्ठ उदाहरण है. जीएसटी में टैक्स की दर को लेकर बहुत से लोग इसका काफी विरोध कर रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में इसके फायदे दिखने लगेंगे. पेट्रोलियम और एल्कोहल पदार्थ भी इसके दायरे में आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस बार 15वें वित्त आयोग कई मायने में बेहद खास होगा. इसमें तीन बड़े बदलाव आये हैं, जिसमें योजना आयोग का भंग होना, नीचले स्तर तक राजकोषीय हस्तांतरण और जीएसटी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि पंचायत, वार्ड, प्रखंड एवं जिला स्तर पर टैक्स संग्रह की व्यवस्था को ज्यादा सशक्त बनाने की जरूरत है. जिलों और पंचायतों के स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा का माहौल तैयार हो. 15वें वित्त आयोग में यह व्यवस्था होनी चाहिए कि केंद्र सरकार राज्य के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे पंचायत स्तरीय संस्थानों को पैसे दे.
उन्होंने कहा कि बिहार जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों के लिए सिस्टम को तैयार रहने की जरूरत है. इसके लिए अलग फंड या अन्य स्तर पर खास व्यवस्था बनाने की जरूरत है, ताकि इस तरह की आपदा की स्थिति में यह शॉक आॅब्जर्बर की तरह काम करे. आपदा प्रबंधन के लिए अलग से मैकेनिज्म विकसित करके रखने की जरूरत है.
राजस्व कैसे बढ़े, होगा इसका अध्ययन : मोदी
डिप्टी सीएम सह वाणिज्य कर मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राज्य में वाणिज्य कर संग्रह में कमी आयी है. इसका अध्ययन डॉ अरविंद सुब्रमण्यम जैसे अर्थशास्त्री से कराया जायेगा. इनके सुझावों को अपनाते हुए इसमें आने वाले बदलाव के बारे में जानकारी मिल सकेगी.
उन्होंने कहा कि पिछले 12 वर्षों के दौरान राज्य की विकास दर दो अंकों में पहुंच गयी है. बावजूद इसके प्रति व्यक्ति आय में राष्ट्रीय औसत की तुलना में 68 फीसदी कम है. इससे क्षेत्रीय विषमता बढ़ती जा रही है.
कार्यक्रम में स्वागत संबोधन आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता ने दिया. जबकि, धन्यवाद ज्ञापन पीके घोष ने किया. इस दौरान वन ए‌वं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव त्रिपुरारी शरण, प्रधान सचिव हरजोत कौर, पूर्व वित्त प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे. बिहार कैडर के नौ प्रशिक्षु आईएएस भी श्रोता के रूप में डॉ अरविंद सुब्रमण्यम को सुन रहे थे. कुछ ने सवाल भी किये.
पिछड़े राज्यों के कुछ फायदे भी: डॉ सुब्रमण्यम ने कहा कि बिहार जैसे अन्य राज्यों के पिछड़े होने के अपने ही फायदे हैं. यहां सस्ता श्रम मिलता है, जिसका उपयोग संसाधन के रूप में करके विकास के काफी कार्य किये जा सकते हैं. अगर कहीं से लोगों का काफी पलायन होता है, तो इससे वहां मौजूद संसाधनों पर आपसी संघर्ष और विवाद की स्थिति पैदा होने की संभावना कम होती है.इस तरह से पिछड़ेपन के कई फायदों का सही से उपयोग करके विकास के कार्य किये जा सकते हैं.
मक्का उत्पादन में बिहार कमा सकता है नाम: उन्होंने कहा कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां कृषि के पारंपरिक पद्धति और अनाजों की उपज के स्थान पर दूसरे विकल्प तलाशने की भी जरूरत है. मक्का की पैदावार के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किये जा सकते हैं. इसमें बिहार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बेहतर और बड़ा उत्पादक साबित हो सकता है.
इसी तरह दूध उत्पादन में भी यहां काफी संभावनाएं मौजूद हैं. तमाम कृषि उत्पादों की मार्केटिंग और ज्यादा तकनीकी सहायता का लाभ लेने की जरूरत है.

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