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रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले बिल्डरों की रजिस्ट्री और बैंक लोन पर लगेगी रोक

सख्ती. राज्य के बिल्डरों पर अब कसेगा चौतरफा शिकंजा पटना : चालू प्रोजेक्ट का निबंधन नहीं कराने वाले बिल्डरों पर रियल इस्टेट रेगुलेशन अथॉरिटी (रेरा) चौतरफा शिकंजा कसेगा. तीन गुना जुर्माने के साथ 30 जून तक रजिस्ट्रेशन की समय सीमा खत्म होने के बाद रेरा प्रोफेशनल एजेंसी के माध्यम से सभी जिलों में सर्वे करा […]

सख्ती. राज्य के बिल्डरों पर अब कसेगा चौतरफा शिकंजा
पटना : चालू प्रोजेक्ट का निबंधन नहीं कराने वाले बिल्डरों पर रियल इस्टेट रेगुलेशन अथॉरिटी (रेरा) चौतरफा शिकंजा कसेगा. तीन गुना जुर्माने के साथ 30 जून तक रजिस्ट्रेशन की समय सीमा खत्म होने के बाद रेरा प्रोफेशनल एजेंसी के माध्यम से सभी जिलों में सर्वे करा कर बगैर निबंधन चल रहे प्रोजेक्ट व बिल्डरों की पहचान करेगा. इसके बाद उनके प्लॉट-फ्लैटों की रजिस्ट्री, बैंक कर्ज, नक्शा व दूसरी कंपनी बनाने पर तत्काल रोक लगायी जायेगी. साेमवार को रेरा बिहार के अध्यक्ष अफजल अमानुल्लाह ने प्रेस काॅन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी. इस मौके पर रेरा सदस्य राजीव भूषण सिन्हा और सुबोध कुमार सहाय भी मौजूद रहे.
निबंधन महानिरीक्षक को लिखेंगे पत्र : अध्यक्ष ने बताया कि रेरा से अनिबंधित प्लॉट-फ्लैटों की रजिस्ट्री पर रोक के लिए निबंधन महानिरीक्षक को पत्र लिखा जायेगा. इसमें वैसे तमाम प्रोजेक्टों की रजिस्ट्री पर रोक लगाने की अपील की जायेगी, जिसका 30 जून तक रेरा से निबंधन नहीं हुआ हो. इसके साथ ही बैंकों व वित्तीय संस्थाओं को भी निर्देशित किया जायेगा कि वे अनिबंधित प्रोजेक्ट्स को कर्ज न दें. एक बार बिल्डर के डिफॉल्टर साबित होने पर उनका किसी निकाय में कोई भी प्रोजेक्ट का नक्शा पास नहीं होगा. इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी जायेगी.
डिफॉल्टर कंपनी नहीं बना सकेंगे दूसरी कंपनी : अमानुल्लाह ने कहा कि डिफॉल्टर डेवलपर्स कंपनी के सदस्य कभी-कभी दूसरी कंपनी बना कर कारोबार शुरू कर देते हैं. इस पर रोक लगाने के लिए भी प्रावधान किया जा रहा है. इसके लिए डिफॉल्टर कंपनी के सभी सदस्यों के नाम सोसाइटी रजिस्ट्रेशन विभाग को भेजे जायेंगे, ताकि उनके नाम से किसी भी दूसरी कंपनी का गठन न किया जा सके. इसके साथ ही डिफॉल्टर कंपनी की डिटेल देश के दूसरे रेरा ऑफिसों को भी भेजी जायेगी, ताकि उन राज्यों में भी उनके कारोबार पर रोक लगायी जा सके.
प्रोजेक्ट के हिसाब से नहीं आ रहे आवेदन : रेरा सदस्य राजीव भूषण सिन्हा ने बताया कि सूबे में अनुमानत: 1500 से 2000 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, लेकिन 390 प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन के आवेदन ही मिले हैं. इसको देखते हुए प्रोफेशनल एजेंसी, सैटेलाइट मैपिंग व नगर निकायों के माध्यम से प्रोजेक्टों के संबंध में जानकारी लिये जाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन महीनों में बिल्डरों के खिलाफ 1000 से अधिक शिकायतें आयी हैं, जिनमें 100 से अधिक को नोटिस भी भेजी गयी है.
रियल इस्टेट एजेंट का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य : सिन्हा ने बताया कि रियल इस्टेट का कारोबार करने वाले एजेंट व ब्रोकरों को भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. महज 10 हजार रुपये में लाइसेंस लेकर जमीन-मकान का वैध कारोबार कर सकते हैं. रजिस्ट्रेशन नहीं कराने की स्थिति में उनके प्राक्कलित प्रोजेक्ट का पांच फीसदी जुर्माना से लेकर जेल भेजे जाने तक का प्रावधान है.

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