पटना : सीबीएसई 10वीं की परीक्षा में दिव्यांग विद्यार्थी भी सामान्य विद्यार्थियों से पीछे नहीं रहे हैं. बोर्ड की ओर से दृष्टि बाधित, बधिर समेत अन्य कोटि में विद्यार्थियों के रिजल्ट के आंकड़े तैयार किये गये हैं. इसमें हड्डी बाधित या हड्डी रोग से पीड़ित विद्यार्थियों का रिजल्ट सबसे बेहतर 90.4 प्रतिशत रहा है.
इस कोटि के 125 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे, जिनमें से 113 सफल हुए है. इनमें 11 विद्यार्थियों ने 90 व एक ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किया है. इसी तरह 18 दृष्टि बाधित विद्यार्थियों में से 88.89 प्रतिशत यानी 16 विद्यार्थी उत्तीर्ण घोषित किये गये हैं. चार को 90 प्रतिशत से अधिक अंक मिले हैं. 19 बधिर विद्यार्थियों में से 12 पास हुए हैं व रिजल्ट का प्रतिशत 63.15 रहा है.
एक को 90 प्रतिशत से अधिक अंक मिला है. छह अंधव्यवस्थात्मक विद्यार्थियों में से पांच पास हैं यानी रिजल्ट का प्रतिशत 83.33 है. एक को 90 प्रतिशत से अधिक अंक मिला है. डिसलेक्सिया पीड़ित छह में से पांच विद्यार्थी उत्तीर्ण हैं. इनका पास प्रतिशत भी 83.33 है. जबकि ऑटिस्टिक पीड़ित दो में से 1 विद्यार्थी 90 प्रतिशत से अधिक अंकों के साथ उत्तीर्ण हुआ है.
छात्राओं का रहा दबदबा
सीबीएसई 10वीं बोर्ड की परीक्षा में इस बार भी छात्राओं
का दबदबा रहा है. पटना जोन में छात्राओं का पास प्रतिशत 89.30 रहा है, जबकि 87.03 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं. इस तरह छात्राओं का पास प्रतिशत 2.27 रहा है.
इस बार परीक्षा में जोन से 62 हजार 787 छात्राएं परीक्षा में शामिल हुई थीं. इनमें से 56069 छात्राएं उत्तीर्ण हुई हैं. जबकि 1 लाख 20 हजार 657 छात्रों में से 105009 पास हुए हैं. इसी तरह देश भर में भी छात्राओं का रिजल्ट छात्रों की तुलना में बेहतर रहा है.
छात्रों का पास प्रतिशत 88.67 रहा है, जबकि छात्राओं का पास प्रतिशत 85.32 रहा है. कुल मिला कर जोन से लेकर देश भर में छात्राओं का रिजल्ट बेहतर रहा है.
कई विद्यार्थियों को एक व अधिक विषय में शत-प्रतिशत अंक
परीक्षा में कई विद्यार्थियों को एक या एक से अधिक विषय में शत-प्रतिशत अंक मिले हैं. 99.2 प्रतिशत अंकों के साथ स्टेट टॉपर रोहित राज को तीन विषयों में शत-प्रतिशत अंक मिले हैं. उसे संस्कृत, मैथ व साइंस में 100-100 अंक मिले हैं. जबकि सोशल साइंस में उसे 99 अंक मिले हैं. इसी तरह टॉपर्स व अन्य विद्यार्थियों को भी एक-दो विषय में शत-प्रतिशत अंक मिले हैं. इसके अलावा ऐसे भी कई विद्यार्थी हैं, जिन्हें अलग-अलग विषयों में 99 अंक मिले हैं.
दोस्ती हो तो ऐसी, शृचा और क्लिजा जैसी
दोनों कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई के लिए आईआईटी के लिए तैयारी करेंगी. दोनों काफी पल साथ गुजारती थीं.
दोस्ती हो तो शृचा और क्लिजा कश्यप जैसी. इसकी चर्चा भी मंगलवार को डीएवी बीएसईबी स्कूल परिसर में भी खूब हुई. दोनों दिन के काफी समय साथ रहते थे. दोनों में काफी अच्छी दोस्ती थी. दोनों साथ पढ़ाई-लिखाई करती. इसमें क्लिजा कश्यप को 96.8 प्रतिशत और श्रृजा को 96 प्रतिशत अंक प्राप्त हुआ है. दोनों आईआईटी से बीटेक करना चाहिए चाहती है. श्रृजा कहती है कि आगे मैथ लेकर पढ़ाई करनी है.
कंप्यूटर में 100 अंक प्राप्त हुआ है. इसलिए आगे भी कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करनी है. दोनों कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई के लिए आईआईटी के लिए तैयारी करेगी. दोनों ने कहा कि हम दोनों काफी पल साथ गुजारते थे. हम दोनों में अच्छी दोस्ती है. किसी भी सब्जेक्ट को लेकर दोनों में काफी चर्चा होती थी. हम दोनों की
दोस्ती में सबसे ज्यादा पढ़ाई को लेकर ही चर्चा होती थी. स्कूल के बच्चों ने भी कहा कि दोनों हमेशा साथ रहते थे. पढ़ाई को लेकर दोनों क्लास में गंभीर रहती थी.
सेल्फ स्टडी भी दोनों साथ करती थी. क्लिजा कहती है कि घर में छह से सात घंटे तक पढ़ाई करती. इसके बाद जब भी मौका मिलता पढ़ने के लिए बैठ जाती. रेगुलर पढ़ाई करने से एग्जाम के समय टेंशन नहीं रहता है. एग्जाम के समय बिल्कुल ही टेंशन फ्री थी. दोनों दोस्त आपस में किसी भी सब्जेक्ट को लेकर चर्चा कर लेते थे. चर्चा करने के बिना पढ़े ही कई बातों याद हो जाती थी. डिस्कशन करके पढ़ाई करने से लाभ मिला.
इंसिया फातमा बनी डीपीएस की गर्ल्स टॉपर
वे आगे चल कर मेडिकल की पढ़ाई करना और उसके बाद आईएएस बन कर समाज की सेवा करना चाहती हैं.
पीएस की छात्रा इंसिया फातमा 96 फीसदी अंक लाकर अपने स्कूल की गर्ल्स टॉपर बनी. सैयद हसन और डॉ अंजुम फातमा की सुपुत्री इंसिया को साइंस में 100 में 98, सोशल साइंस में 96, मैथ में 94, इंगलिश में 92 और हिंदी में 91 अंक आये हैं जबकि अतिरिक्त विषय फाउंडेशन ऑफ आईटी में उन्हें 100 में 100 अंक मिले हैं. इंसिया की इच्छा आगे बायोलॉजी से 12वीं साइंस की पढ़ाई करने की है ताकि वह मेडिकल की तैयारी कर डॉक्टर बन सके.
डॉक्टर बनने के बाद वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती हैं ताकि आइएएस बन कर अपने प्रदेश व समाज के लिए कुछ बेहतर कर सके और वंचित तबके को उसका अधिकार दिलवा सके़ अपनी अबतक की सफलता का पूरा श्रेय इंसिया अपने माता पिता और परिवारजनों के सहयोग को देती है़ खासकर अपने पिता से उसे बहुत प्रेरणा व प्रोत्साहन मिला़ स्कूल व शिक्षकों की भूमिका भीबहुत सहयाेगी रही.