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राज्य के वित्तीय प्रबंधन में सीएफएमएस तकनीक बनी बाधा

पटना : राज्य सरकार ने सूबे के वित्तीय प्रबंधन को दुरुस्त करने और पारदर्शी बनाने के लिए अप्रैल के शुरू में ही सीएफएमएस (कॉम्प्रेहेंसिव फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम) की शुरुआत की थी. परंतु इस प्रणाली के शुरू होने के साथ ही इसके परिचालन से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आने लगी हैं. पहले तो […]

पटना : राज्य सरकार ने सूबे के वित्तीय प्रबंधन को दुरुस्त करने और पारदर्शी बनाने के लिए अप्रैल के शुरू में ही सीएफएमएस (कॉम्प्रेहेंसिव फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम) की शुरुआत की थी. परंतु इस प्रणाली के शुरू होने के साथ ही इसके परिचालन से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आने लगी हैं.
पहले तो इससे किसी विभाग या निदेशालय से योजना और गैर-योजना समेत अन्य मद के रुपये की ही निकासी नहीं हो पा रही थी. थोड़ा प्रयास करने पर स्थिति थोड़ी सुधरी, लेकिन अब भी समस्या बनी हुई है. अब भी राज्य के सभी निदेशालय के प्रमुख या निदेशक रुपये की निकासी नहीं कर पा रहे हैं और न ही किसी योजना या अन्य किसी मद के रुपये को अपने से नीचे ट्रांसफर नहीं कर पा रहे हैं. निदेशालय के स्तर पर एलॉटमेंट की समस्या बनी हुई है.
इसके मद्देनजर वित्त विभाग ने इस सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाली संबंधित कंपनी को अल्टीमेटम जारी करके पूरी व्यवस्था को 15 दिनों के अंदर दुरुस्त करने के लिए कहा है. नहीं तो कंपनी का बचा हुआ भुगतान रोक दिया जायेगा. साथ ही कंपनी को नये सिरे से पूरी प्रणाली को सुधारने के लिए कहा गया है.
काफी हद तक इसी तरह की स्थिति विभागों के स्तर पर भी बनी हुई है. हालांकि, विभाग खासकर आधारभूत संरचना या सड़क निर्माण से जुड़े विभाग के स्तर पर रुपये का आवंटन हो रहा है. परंतु कृषि, पशुपालन समेत अन्य कई विभागों में रुपये का आवंटन नहीं हो पा रहा है. सीएफएमएस प्रणाली लागू होने के बाद सभी विभागों को बजट आवंटन, खर्च का ब्योरा, योजना के रुपये का आवंटन समेत अन्य सभी वित्तीय संबंधित कार्य इसके माध्यम से ही कराने की शुरुआत की गयी है.
इस सॉफ्टवेयर के काम शुरू करने के बाद विपत्र समेत फाइल और अन्य तमाम कार्य को बंद कर दिया गया था. नये वित्तीय वर्ष का बजट भी सभी विभागों को इसके जरिये ही तैयार करने की योजना है. परंतु इस सॉफ्टवेयर के ठीक से काम नहीं करने और पुराने सॉफ्टवेयर या प्रणाली को बंद करने की वजह से रुपये का आवंटन ही अटकने लगा है.
नये सिरे से किये जा रहे कुछ खास बदलाव
इस सॉफ्टवेयर को टीसीएस ने तैयार की है. प्राप्त सूचना के अनुसार, इस सॉफ्टवेयर को पूरी तरह से तैयार होने और फाइनल टेस्टिंग के पहले ही आनन-फानन में लांच कर दिया गया. इस वजह से इसमें कई समस्याएं आने लगी हैं. अब कंपनी को नये सिरे से सुधारने के लिए कहा गया है. इसका मौजूदा इंटरफेस भी पश्चिम बंगाल की प्रणाली के समान है, जिसे भी बदला जायेगा. इसके अलावा इसमें डिजिटल हस्ताक्षर से बिल को जमा या निकासी करने की सुविधा शुरू होगी.
पूरी प्रणाली पहले इन, पहले आउट के सिद्धांत पर काम करेगा. यानी जो निवेदन या किसी विभाग का रिक्वेस्ट पहले आयेगा, उसे यह सॉफ्टवेयर पहले प्रॉसेस करके पूरा करेगा. इसमें ट्रेजरी कोड, बजट बिल समेत अन्य सभी सिस्टम को फिर से लिखा जा रहा है, ताकि पूरी व्यवस्था को नये स्वरूप में बिना किसी परेशानी के लागू की जा सके.

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