वोट डालने के तुरंत बाद मतदाता कागज की पर्ची पर उम्मीदवार का नाम व चुनाव चिह्न देख सकेंगे
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लोस चुनाव में हर बूथ पर वीवीपैट की उपलब्धता होगी बड़ी चुनौती
वोट डालने के तुरंत बाद मतदाता कागज की पर्ची पर उम्मीदवार का नाम व चुनाव चिह्न देख सकेंगे पटना : केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तमाम बूथों पर वीवीपैट (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के उपयोग का दावा किया है. इस उपकरण की मदद से मतदाता वोट डालने के तुरंत […]
पटना : केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तमाम बूथों पर वीवीपैट (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के उपयोग का दावा किया है. इस उपकरण की मदद से मतदाता वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची पर अपने उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न देख सकेंगे. इवीएम से जुड़े शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकेंड तक डिसप्ले होकर बॉक्स में स्टोर हो जायेगी. बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्र में करीब 63 हजार बूथों पर भी रिजर्व सहित करीब एक लाख वीवीपैट की आवश्यकता होगी. एक साथ इतने वीवीपैट की उपलब्धता राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी.
आवश्यकतानुसार निर्वाचन विभाग कर रहा मांग : राज्य निर्वाचन विभाग आवश्यकता के अनुसार केंद्रीय निर्वाचन आयोग से वीवीपैट की मांग कर रहा है. मांग के हिसाब से जिलों को वीवीपैट उपलब्ध भी कराया जा रहा है. लोस चुनाव में एक साथ बड़ी मांग को ध्यान में रख कर वीवीपैट का भंडारण भी शुरू कर दिया गया है. करीब 208 करोड़ की लागत से सभी जिलों में इवीएम के लिए बनाये जा रहे गोदामों में ही वीवीपैट का भंडारण किया जायेगा.
भेल व ईसीआईएल कर रही निर्माण : वीवीपैट का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (भेल) और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) कर रही है. वर्ष 2013 में यह मशीन डिजाइन हुई. उसके बाद मांग के अनुसार इसका निर्माण किया जा रहा है. बिहार में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पटना साहिब संसदीय सीट पर इसका प्रयोग हुआ. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ बूथों पर वीवीपैट लगाये गये. लेकिन, इस वर्ष 2018 में अररिया लोकसभा तथा भभुआ व जहानाबाद विधानसभा उप चुनाव में सभी सीटों पर इसका प्रयोग किया गया. जोकीहाट उप चुनाव में भी सभी बूथों पर इवीएम के साथ वीवीपैट लगाये जायेंगे.
में देश
भर के सभी बूथों पर वीवीपैट की मौजूदगी में होने हैं चुनाव
208 करोड़ रुपये की लागत से सभी जिलों
में इवीएम के लिए बनाये जा रहे गोदामों में ही वीवीपैट का भंडारण किया जायेगा.
स्थिति में हो सकेगा मिलान
वीवीपैट की व्यवस्था इसलिए की गयी है ताकि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके. इसका सबसे पहला इस्तेमाल वर्ष 2013 में हुए नागालैंड चुनाव में हुआ. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त ही चुनाव आयोग ने वर्ष 2019 के आम चुनाव में सभी बूथों पर वीवीपैट के इस्तेमाल का निर्णय लिया था. इसके लिए केंद्र सरकार से 3174 करोड़ रुपये की भी मांग की गयी थी. भेल ने साल 2016 में 33,500 वीवीपैट मशीन बनायी, जिसका इस्तेमाल वर्ष 2017 के गोवा चुनाव में हुआ. बीते दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने 52 हजार वीवीपैट का इस्तेमाल किया.
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