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अब पटना एम्स में कीमोथेरेपी प्रक्रिया के दौरान मरीजों को नहीं होगी पीड़ा
ऑपरेशन से पेट में डाली जायेगी दवा पटना : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज कराने आ रहे कैंसर के मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. क्योंकि अब पेट के कैंसर से जूझ रहे मरीजों का इलाज नयी तकनीक से होगी. इस तकनीक में मरीजों को दवा नस के माध्यम से नहीं दी […]
ऑपरेशन से पेट में डाली जायेगी दवा
पटना : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज कराने आ रहे कैंसर के मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. क्योंकि अब पेट के कैंसर से जूझ रहे मरीजों का इलाज नयी तकनीक से होगी.
इस तकनीक में मरीजों को दवा नस के माध्यम से नहीं दी जायेगी, बल्कि ऑपरेशन के दौरान एक मशीन के जरिये पेट में ही डाली जायेगी. इससे मरीजों को कीमीयोथेरेपी के दौरान होनेवाली असहनीय दर्द से राहत मिलेगी. दिल्ली एम्स में पेट से जुड़े कैंसर (कोलोन कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर) के उपचार के इस नये तरीके पर पिछले डेढ़ साल से शोध चल रहा है. इस शोध में वहां के डॉक्टरों ने सफलता भी पा ली है. अब देश के सभी एम्स में कैंसर के इस नयी तकनीक को विकसित किया जा रहा है.
नि:शुल्क या रियायती दरों पर होगा इलाज, अभी कुछ प्राइवेट अस्पतालों में ही हो रहा है इस तकनीक से उपचार
एम्स के कैंसर रोग विशेषज्ञों की माने तो यह तकनीक देश के कुछ बड़े प्राइवेट अस्पतालों में ही शुरू किया गया है. जहां इलाज में अच्छा रिजल्ट आ रहा है. हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में एक बार दवा देने का चार्ज 40 से 50 हजार रुपये तक लिया जाता है.
लेकिन पटना एम्स में यह सुविधा पूरी तरह से नि:शुल्क या रियायती दरों पर इसका इलाज किया जायेगा. अस्पताल के अधिकारियों की माने तो अभी रेट तय नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद जतायी जा रही है कि यह सुविधा मरीजों को नि:शुल्क दी जाये. अस्पताल प्रशासन की माने तो अभी यह सुविधा जून से शुरू कर दी जायेगी.
नहीं होगा दर्द : कैंसर रोग विशेषज्ञों की माने तो इस नयी तकनीक से मरीज को थोड़ा भी दर्द नहीं होगा. हाइपरथर्मिक इंटोपेरिटनील कीमोथेरेपी (एचआईपीईएस) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कीमोथेरेपी के दौरान होने वाले दर्द से मरीजों को पूरी तरह से छुटकारा मिल जायेगा.
नयी सुविधाओं का हो रहा इजाफा
एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ एसएस गुप्ता ने बताया कि मरीजों को बेहतर सुविधा मिले इसके लिए पटना एम्स में लगातार नयी सुविधाओं का इजाफा हो रहा है. कई नयी तकनीक विकसित की जा रही है. हर मर्ज का इलाज नयी व आधुनिक मशीन से की जा रही है. यह सुविधा भी उसी नयी तकनीक का एक पार्ट है. एम्स में लिनियर एक्सीलरेटर मशीन भी मरीजों के लिए लायी गयी है.
क्या है तकनीक
डॉक्टरों की मानें तो वर्तमान समय में अधिकांश अस्पतालों में सामान्य कीमोथेरेपी की प्रक्रिया से इलाज किया जा रहा है. हालांकि यह प्रक्रिया भी सही है, लेकिन इसमें मरीज को पीड़ा होती है. लेकिन इस नयी तकनीक में कीमोथेरेपी की दवाओं को मैन्यूअली गर्म कर ऑपरेशन के तुरंत बाद हृदय और फेफड़ों की मशीन से पेट में पहुंचाया जाता है. दवाओं को गर्म करके जैसे ही यह मशीन में जाता है तुरंत काम करना शुरू कर देता है.
वहीं कैंसर के डॉक्टरों ने बताया कि नई तकनीक आरामदायक होने के साथ ही बहुत जटिल भी है. इसमें दवाओं के डोज और तापमान को लेकर बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी होती है.
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