पटना: ग्रामीण विकास विभाग ने जॉब कार्ड के रखरखाव को लेकर सख्ती अख्तियार किया है. विभाग ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर हाल में जॉब कार्ड धारक परिवार के पास ही रहना चाहिए. अगर ऐसा कोई भी जॉब कार्ड मुखिया या पंचायत रोजगार सेवक के पास पाया जाता है, तो इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाये. मनरेगा अधिनियम -25 के तहत जॉब कार्ड दूसरे के यहां रखा जाना दंडनीय अपराध है. इसमें सजा का भी प्रावधान है. किसी जनप्रतिनिधि को सजा होने के बाद उसका पद छीन सकता है.
ग्रामीण विकास द्वारा जिलों को हाल में जारी किये गये पत्र में बताया गया है कि इस तरह की सूचना है कि जॉब कार्ड वास्तविक धारक के पास न रख कर मुखिया या रोजगार सेवक उसे अपने पास रखते हैं. अब यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जॉब कार्ड को लेकर जितनी भी कार्यान्वयन एजेंसियां हैं, वे कार्ड को अपने पास किसी भी कीमत पर न रखे. जॉब कार्ड का आवश्यक अपडेट करके उसी दिन धारक परिवार को सौंप दें.
मनरेगा में यह प्रावधान है कि अपडेट के बाद जॉब कार्ड उसी दिन संबंधित व्यक्ति को सौंप दिया जाना चाहिए. बिहार में सवा करोड़ परिवारों के पास जॉब कार्ड हैं. इनमें करीब 40-45 लाख परिवार जॉब कार्ड का उपयोग साल में 100 दिनों के रोजगार के लिए करते हैं. जॉब कार्ड के आधार पर ही मनरेगा के तहत मजदूरी मिलती है. ग्रामीण क्षेत्रों के पलायन को रोकने में इससे काफी मदद मिली है. जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि अगर ऐसे मामले आते हैं, तो इसमें संबंधित व्यक्ति के खिलाफ अविलंब आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए.