पटना : बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि युवाओं को ‘जॅाब सीकर’ नहीं, बल्कि ‘जॅाब प्रोवाइडर’ बनने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहिए. यहां 5वें बिहार उद्यमिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा कि दुनिया के समुंदर में खुद ही तैरना होता है, जो इंसान जितना अधिक हूनरमंद होता है, मेहनती होता है, उसे सफलता उतनी ही जल्दी मिलती है. राज्यपाल ने कहा कि बिहार राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है. झारखंड बंटवारे के बाद जब खनिज-संपदा से बिहार राज्य वंचित हो गया, तब इसके विकास का मुख्य आधार कृषि क्षेत्र ही रह गया. यह राज्य कभी-कभी बाढ़ एवं सूखे से एक साथ भी जूझता है. नेपाल की नदियों में आनेवाली बाढ़ से बिहार भी सीधे तौर पर प्रभावित होता है.
उन्होंने कहा कि बिहार में कृषि के विकास के लिए मौजूदा सरकार ने अपने दो कृषि रोड-मैप के जरिये काफी सार्थक प्रयास किये हैं. तीसरे कृषि रोड मैप के द्वारा भी समेकित कृषि को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि-उत्पादकता बढ़ाने, कृषि-उत्पादों की समुचित विपणन-व्यवस्था करने, उत्कृष्ट श्रेणी के खाद-बीज उपलब्ध कराने तथा कृषि के आधुनिक तौर-तरीकों की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराने जैसे कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं. राज्यपाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में हो रहे ठोस प्रयासों को देख कर कहा जा सकता है कि दूसरी हरित क्रांति सबसे बेहतर रूप में बिहार में ही प्रतिफलित होगी. उन्होंने बिहार को इस वर्ष भी कृषि कर्मण पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की.
मलिक ने कहा कि विश्व बैंक के सहयोग से पूरे भारत में 15 पूर्ण-विकसित टूल रूम एवं ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की जानी है. इनमें से एक केंद्र बिहार के पटना जिला के बिहटा में भी खुल रहा है. बिहार सरकार ने इसके लिए 15 एकड़ भूमि उपलब्ध करा दी है. राज्यपाल ने विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का उल्लेख करत हुए कहा कि देश को मैनुफैक्चरिंग हम बनाने तथा सकल घरेलू उत्पाद में दो अंकों में विकास-दर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र को आगे बढ़ाना बेहद जरूरी होगा. उन्होंने कहा कि बिहार में उद्यमिता जगत का विकास भी कृषि एवं इसके अनुषंगी क्षेत्रों के औद्योगिक विकास पर ही निर्भर करेगा.