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एक अस्पताल के भरोसे किडनी ट्रांसप्लांट
पटना : बिहार में किडनी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. आलम यह है कि मरीज सिर्फ आईजीआईएमएस के बदौलत ट्रांसप्लांट की राह देख रहे हैं. ट्रांसप्लांट के लिए जिम्मेवार अधिकारियों की सुस्ती के कारण मरीजों को दूसरे राज्यों में जाकर […]
पटना : बिहार में किडनी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. आलम यह है कि मरीज सिर्फ आईजीआईएमएस के बदौलत ट्रांसप्लांट की राह देख रहे हैं.
ट्रांसप्लांट के लिए जिम्मेवार अधिकारियों की सुस्ती के कारण मरीजों को दूसरे राज्यों में जाकर महंगे दामों में ट्रांसप्लांट कराना पड़ रहा है. दूसरी ओर पीएमसीएच में डायलिसिस की तीन मशीनें खराब होने और न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में डायलिसिस की एक मशीन रहने से मरीजों को डायलिसिस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. इस कारण से मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैं.
आईजीआईएमएस सूबे का इकलौता अस्पताल हैं जहां किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा है. लेकिन यहां भी मरीजों का समय पर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता है. दो साल में अब तक सिर्फ 36 मरीजों का ही ट्रांसप्लांट हो पाया है. जबकि 15 ऐसे मरीज भर्ती हैं जो अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे हैं.
पीएमसीएच में तीन मशीनें खराब, मरीजों को हो रही परेशानी
पीएमसीएच में डायलिसिस की तीन मशीनें खराब हैं. इससे किडनी फेल्योर की समस्या से पीड़ित मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. पीएमसीएच में डायलिसिस की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है, लेकिन मशीनों के खराब होने से डायलिसिस नहीं हो पाता है. अधिकांश मरीजों को बाहर जाना पड़ रहा है.
प्राइवेट में एक बार डायलिसिस कराने का चार्ज तीन से चार हजार रुपये है. यहां डायलिसिस के लिए कुल 12 मशीनें हैं. लेकिन तीन मशीनों के खराब होने से सभी मरीजों का समय पर डायलिसिस संभव नहीं हो पाता है. ्यहां हर दिन 25 से 30 किडनी के रोग के मरीज आते हैं. मरीज अधिक और मशीन कम होने से वेटिंग लिस्ट अधिक लंबी हो गयी है.
यहां न विभाग न विशेषज्ञ डॉक्टर : पीएमसीएच व आईजीआईएमएस छोड़ बाकी अस्पतालों में किडनी के मरीजों का इलाज तक नहीं हो पाता है. क्योंकि बाकी के सरकारी अस्पतालों में न तो अलग से किडनी विभाग है और नहीं नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ. ऐसे में किडनी से संबंधित बीमारी के मरीजों का इलाज मेडिसिन, सर्जरी व यूरोलॉजी में किया जाता है़
डॉक्टरों के परामर्श पर डॉक्टर पीएमसीएच में डायलिसिस के लिए रेफर करते हैं. हालांकि जिला शहरी अस्पतालों में किडनी डायलिसिस करने की सुविधा देने की बात चल रही है, लेकिन यह अभी तक धरातल पर नहीं उतर पायी है. इससे मरीजों को परेशानी हो रही है और उनको बाहर जाना पडता है़.
ये हैं लक्षण
पेशाब रुक-रुक कर आना
अचानक रक्त चाप बढ़ जाना
भूख-प्यास न लगना
सांस फूलना
बेहोशी आना
बार-बार उलटी होना
आंख की रोशनी कम होना
थकान का होना
शरीर का फूलना
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