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हो जाएं सचेत, 20 फीसदी से कम दुकानों में ही मिल रहे शुद्ध सोने के गहने

पटना : मैरिज सीजन 6 फरवरी से शुरू हो रहा है. लेकिन जिनके घर में शादी है, वे अभी से ही गहने खरीदने में जुटे हैं. इस कारण ज्वेलर्स की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है. अगर आप सोने के गहने खरीदने जा रहे हैं, तो सचेत हो जाएं, क्योंकि हर शहर […]

पटना : मैरिज सीजन 6 फरवरी से शुरू हो रहा है. लेकिन जिनके घर में शादी है, वे अभी से ही गहने खरीदने में जुटे हैं. इस कारण ज्वेलर्स की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है. अगर आप सोने के गहने खरीदने जा रहे हैं, तो सचेत हो जाएं, क्योंकि हर शहर के हर ज्वेलर्स सौ फीसदी और हाॅलमार्क गहने बेचने का दावा करते हैं. लेकिन, सच्चाई कुछ और है.
पटना जिले सहित अन्य जिलों में 20% से कम ज्वेलर्स शुद्ध सोने के गहने अपने ग्राहक को दे रहे हैं. भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार पिछले 17 वर्षों में राज्य के केवल 630 ज्वेलर्स ने ही हॉलमार्क गहने बेचने का लाइसेंस ले रखा है. इनमें पटना के 191 ज्वेलर्स भी शामिल हैं. जबकि, सूबे में 10,500 से अधिक सोने-चांदी की दुकानें हैं. अगर पटना जिले की बात करें, तो पाटलिपुत्र सर्राफा संघ के मुताबिक दो हजार से अधिक छोटी-बड़ी ज्वेलरी दुकानें हैं. जबकि, संघ से लगभग 500 ज्वेलर्स ही जुड़े हैं.
एक अनुमान के अनुसार पटना जिले में सामान्य दिनों में 10 से 15 किलो सोने के गहने प्रतिदिन लोग खरीदते हैं. जबकि मैरिज व फेस्टिवल सीजन में 20 से 25 किलो सोने के गहने बिकते हैं.
यानी सामान्य दिनों में पटना जिले में चार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है. जब पाटलिपुत्र सर्राफा संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार से पटना में कितने का कारोबार होता है. इसके बारे में उन्होंने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया. जानकारों की मानें, तो ब्रांडेड कंपनी या शहर के पुराने व प्रतिष्ठित ज्वेलरी दुकानों से ही सोने-चांदी के गहने खरीदें, क्योंकि यहां के प्रबंधक सोने की शुद्धता के साथ समझौता नहीं करते हैं. यह सच है कि सामान्य दुकानों की तुलना में यहां सोने का भाव कुछ अधिक होता है. लेकिन गहने में गुणवत्ता और शुद्धता की गारंटी रहती है. कम-पढ़े लिखे लोग कम भाव के चक्कर में ठगे जाते हैं, क्योंकि, कोई भी दुकानदार घाटा में रह कर दुकानदारी नहीं कर सकता है.
वैसी स्थिति में दुकानदार ऐसे ग्राहकों को 22 कैरेट के बदले 20 कैरेट या 18 कैरेट के गहने थमा देते हैं. इसकी सच्चाई तब सामने आती है जब उसे बेचने की नौबत आती है. मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण इलाकों के ग्राहक सबसे आसान शिकार होते है. वे स्थानीय ज्वेलर्स से गहने तो खरीदते हैं लेकिन एक बार पूरा भुगतान नहीं करते. एेसी स्थिति में वे अपने ग्राहक को नहीं खोना चाहते. इसलिए वे बाजार भाव से हजार रुपये तक कम कर देते हैं. इसकी भरपाई दुकानदार कैरेट कम करके करते हैं.
हाॅलमार्किंग में बदलाव
भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार गहने अब तीन ग्रेड यानी 14 कैरेट, 18 कैरेट एवं 22 कैरेट में उपलब्ध हैं. उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए शुद्धता के अलावा कैरेटेज भी मुहर अंकित किया जा रहा है. नये प्रावधान के अनुसार सोने के गहने पर हॉलमार्क के लिए अब चार मुहरें लगायी जा रही हैं. इससे पहले पांच मुहरें लगाने का प्रावधान था. बीआईएस मुहर, कैरेटेज में शुद्धता, एसेइंग केंद्र की पहचान मुहर और ज्वेलर की पहचान मुहर. वर्ष मुहर को समाप्त कर दिया गया है.
शुल्क
सोने के आभूषण के लिए ग्राहकों को प्रति नग 35 रुपये तथा चांदी के गहने के लिए 25 रुपये प्रति नग शुल्क लिया जाता है. लेकिन छोटे दुकानदार ग्राहकों को इससे कई गुना शुल्क बताते हैं. इस कारण लोग बिना हॉलमार्क गहने लेने को प्रमुखता देते हैं.
– नौ हॉलमार्किंग
सेंटर : राज्य में कुल नौ हॉलमार्किंग सेंटर हैं. इनमें पटना जिले में आठ अौर मुजफ्फरपुर में एक सेंटर है.
हॉलमार्किंग योजना का मूल उद्देश्य मिलावट से जनता की रक्षा करना है. अगर कोई ज्वेलर्स इसका उल्लंघन करता है या हॉलमार्क गहने बेचने का दावा बिना लाइसेंस करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. अगर किसी ग्राहक को हॉलमार्क को लेकर शिकायत है, तो भारतीय मानक ब्यूरो के पटना कार्यालय में कर सकते हैं.
-केसीएस विष्ट, निदेशक, भारतीय मानक ब्यूरो

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