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बिहार : साढ़े चार लाख बच्चों का घरों में होता है जन्म

दीपक कुमार मिश्रा पटना : पिछले दस सालों में राज्य में संस्थागत प्रसव में करीब 15 गुना की वृद्धि हुई है. इसके बाद भी अभी करीब साढ़े चार लाख बच्चों के जन्म घरों में हो रहे हैं. अस्पताल या डिलेवरी प्वाइंट पर इनका जन्म कराना स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. विभाग ने इस […]

दीपक कुमार मिश्रा
पटना : पिछले दस सालों में राज्य में संस्थागत प्रसव में करीब 15 गुना की वृद्धि हुई है. इसके बाद भी अभी करीब साढ़े चार लाख बच्चों के जन्म घरों में हो रहे हैं. अस्पताल या डिलेवरी प्वाइंट पर इनका जन्म कराना स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. विभाग ने इस चुनौती से निबटने के लिए कमर कसी है. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय इसके लिए तत्पर हैं.
स्वास्थ्य विभाग का आकलन है कि राज्य में हर साल 30 लाख के करीब प्रसव होते हैं. 2006-07 में राज्य में 1.12 लाख बच्चों का जन्म सरकारी अस्पतालों में हुआ था. विभाग के प्रयास से सरकारी अस्पतालों में 2016-17 में सह संख्या बढ़कर करीब साढ़े 15 लाख हो गयी.
विभाग का अनुमान है कि दस लाख के करीब बच्चों का जन्म निजी अस्पतालों में होता है. यानी 25.50 लाख बच्चों का जन्म संस्थागत होता है. साढ़े चार लाख के करीब बच्चों का जन्म घरों में होते हैं.
सरकार इससे निजात पाना चाह रही है. सरकार अपने संस्थानों को इतना सुविधा संपन्न बना देना चाहती है कि लोग प्रसव के लिए वहां पहुंचें.
सरकार संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देेने के लिए कृत संकल्पित है. यह सुरक्षित भी है. संसाधनों को बढ़ाया जा रहा है. संस्थागत प्रसव में काफी बढ़ोतरी हुई है. इसे और बढ़ाना है.
मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री
ममता व आशा को किया जायेगा सक्रिय
साढ़े चार लाख के करीब प्रसव जो बाहर हो रहे हैं, उसे समाप्त करने के लिए सरकारी अस्पतालों व डिलेवरी प्वाइंट में संसाधन बढ़ाया जा रहा है. ममता व आशा कार्यकर्ताओं को और सक्रिय किया जा रहा है. राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (मातृ) डाॅ फूलेश्वर झा बताते हैं कि राज्य में 1222 जगहों पर डिलेवरी प्वाइंट हैं. 68 जगहों पर सिजेरियन की सुविधा है. सरकार गर्भावस्था से लेकर प्रसव व उसके बाद का भी ख्याल रखती है. सरकारी तौर पर चार बार प्रसव पूर्व जांच की व्यवस्था है.
गर्भवतियों को आयरन की 180 व 360 कैल्शियम की टेबलेट दी जाती है. प्रसव पूर्व जांच में हिमोग्लोबीन की जांच होती है. विभाग जागरूकता के लिए पंचायत प्रतिनिधियों खासकर महिला प्रतिनिधियों को जागरूक करेगा, ताकि महिलाएं प्रसव के लिए सरकारी संस्थानों में आएं.

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