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बिहार : अगले साल तक 200 टोलों में मिलेगा स्वच्छ पानी
पटना : राज्य के ग्रामीण इलाकों के फ्लोराइड व आर्सेनिक प्रभावित 200 टोलों में स्वच्छ पानी पहुंचाने को लेकर जलापूर्ति योजना पर काम जल्द शुरू होगा. योजना पर काम शुरू करने के लिए एजेंसी का चयन हो गया है. एजेंसियों को जनवरी के पहले सप्ताह तक एग्रीमेंट कर काम एलॉट कर दिया जायेगा. िवभाग की […]
पटना : राज्य के ग्रामीण इलाकों के फ्लोराइड व आर्सेनिक प्रभावित 200 टोलों में स्वच्छ पानी पहुंचाने को लेकर जलापूर्ति योजना पर काम जल्द शुरू होगा. योजना पर काम शुरू करने के लिए एजेंसी का चयन हो गया है. एजेंसियों को जनवरी के पहले सप्ताह तक एग्रीमेंट कर काम एलॉट कर दिया जायेगा.
िवभाग की अन्य योजना पर काम करनेवाली एजेंसियां पहले से भी ग्रामीण इलाके में काम कर रही है. ऐसी स्थिति में एजेंसियों को काम शुरू करने में अधिक परेशानी नहीं होगी. अगले साल दिसंबर तक सभी 200 टोलों के घरों तक पाइप बिछा कर स्वच्छ पानी पहुंचाने का काम पूरा हो जायेगा. इससे लगभग दो लाख लोगों को स्वच्छ पानी मिल पायेगा. इस योजना पर लगभग 80 करोड़ खर्च होंगे.
मंत्री ने की थी समीक्षा : पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा ने पहले से चली आ रही जलापूर्ति योजना सहित वर्तमान में क्रियान्वित हाेनेवाली योजनाओं को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा की थी. उन्होंने सात निश्चय के तहत
सरकार की योजना हर घर नल का जल के तहत योजनाओं के काम में तेजी लाने की बात कही थी.उन्होंने प्रथम चरण में 532 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं से 2200 वार्डों में स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए 20 दिसंबर तक डीपीआर तैयार करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था. विभागीय सूत्र ने बताया कि तैयार डीपीआर के आधार पर ही 200 टोलों में काम शुरू कराने का निर्णय लिया है. पहले से भी ग्रामीण इलाके में दूषित पानी प्रभावित टोले में काम हो रहा है.
24 जिले हैं दूषित पानी प्रभावित
राज्य के 24 जिले फ्लोराइड व आर्सेनिक प्रभावित हैं. फ्लोराइड प्रभावित नालंदा, गया, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर, नवाद, भागलपुर, बांका, मुंगेर, शेखपुरा व जमुई है. आर्सेनिक प्रभावित जिलों में सारण, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, बक्सर, भोजपुर, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर व कटिहार शामिल हैं.
इन जिलों के चयनित टोलों में एजेंसी को एक साल में ट्रीटमेंट यूनिट के साथ पाइप बिछाकर घरों में स्वच्छ पानी पहुंचना है. साथ ही एजेंसी को डिजाइन, निर्माण, आपूर्ति व चालू करने के साथ पांच साल तक उसका रख रखाव करना है.
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