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बिहार : वित्त विभाग की सख्त हिदायत, बैंकों में पड़ी रकम 31 तक खजाने में करें जमा
आदेश. वित्त विभाग ने विभागों को दी सख्त हिदायत, समय सीमा का किया जाये पालन कौशिक रंजन पटना : राज्य में वित्तीय प्रबंध को दुरुस्त करने और सृजन घोटाले के बाद से वित्त विभाग ने सुधार की कवायद शुरू कर दी है. सभी विभागों को आदेश जारी किया गया है कि वे 31 दिसंबर तक […]
आदेश. वित्त विभाग ने विभागों को दी सख्त हिदायत, समय सीमा का किया जाये पालन
कौशिक रंजन
पटना : राज्य में वित्तीय प्रबंध को दुरुस्त करने और सृजन घोटाले के बाद से वित्त विभाग ने सुधार की कवायद शुरू कर दी है. सभी विभागों को आदेश जारी किया गया है कि वे 31 दिसंबर तक अपने सभी बैंक खातों में महीनों से पड़े रुपये को तुरंत निकाल कर सरकारी खजाने में जमा कराएं.
ऐसा नहीं करने वाले विभागों को 31 दिसंबर के बाद से सरकारी खजाने से किसी तरह की राशि की निकासी पर पूरी तरह से रोक लग जायेगी. ये विभाग न तो किसी योजना के रुपये सरकारी खजाने से निकाल सकेंगे और न ही अपनी योजना आकार में रुपये को खर्च कर पायेंगे. वित्त विभाग ने सभी विभागों को इस मामले को लेकर सख्त हिदायत दी है कि वे हर हाल में निर्धारित समय सीमा के अंदर बैंकों से सभी राशि को निकाल कर तुरंत खजाने में जमा करा दें और इससे संबंधित प्रमाणपत्र भी वित्त विभाग में जमा कर दें.
बैंक खातों में पड़े रुपये निकाल कर खजाना में जमा करवाने का विस्तृत सर्टिफिकेट देना होगा, जिसमें सभी बातों का उल्लेख होगा. संबंधित विभाग ने अपने कितने खातों से कितने रुपये निकाल कर खजाना में कब और कहां जमा कराये. जनवरी 2018 से उसी विभाग का बिल ट्रेजरी से पास होगा, जो इससे संबंधित सर्टिफिकेट को जमा करेगा.
– अलग-अलग मद के हैं रुपये
ये रुपये विभागों में चलने वाली अलग-अलग योजना मद के हैं. इसमें कई योजनाएं अधूरी पड़ी होने के कारण या कई योजनाएं समय पर पूरी नहीं होने के कारण इनके बचे हुए रुपये बैंक खातों में ही पड़े रह गये हैं. अधिकारियों की लापरवाही के कारण कुछ खातों में तो करोड़ों रुपये सालों से अनुपयोगी पड़े हुए हैं.
कुछ के पास तो दर्जनों खाते तो कुछ ने जमा कर रखे करोड़ों
जांच में यह बात सामने आयी है कि कई सरकारी विभागों या वित्तीय संस्थानों ने दर्जनों बैंक खाते खुलवा रखे हैं, तो कुछ ने हजारों करोड़ रुपये बैंक खातों में जमा कर रखा है. मसलन, सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद के पास 72 बैंक एकाउंट हैं. वहीं बुडको ने अपने आठ हजार करोड़ रुपये बैंक खातों में ही जमा कर रखे हैं. इसमें केंद्रीय योजनाओं के रुपये भी शामिल हैं. इसी तरह नगर विकास एवं आवास, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत अन्य कई विभागों के करोड़ों रुपये बैंक खातों में पड़े हुए हैं.
वित्तीय वर्ष में तीन महीने बचे, 10 विभागों का खर्च 25% भी नहीं
पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 समाप्त होने में सिर्फ तीन महीने 12 दिन बचे हुए हैं. ऐसे में राज्य के कुल बजट एक लाख 60 हजार करोड़ में खासकर 80 हजार करोड़ के योजना आकार को खर्च करने का दबाव सभी विभागों पर लगातार बढ़ता जा रहा है. अब भी करीब 10 विभाग ऐसे हैं, जिनके खर्च की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इन्होंने 25 फीसदी से कम राशि ही अब तक खर्च की है.
ऐसे में इनके सामने कम समय में अपने शेष 75 फीसदी राशि खर्च करने के लिए पूरजोर कवायद करने की जरूरत है. जिन विभागों का खर्च 25 फीसदी से कम है, उन विभागों को अपनी रफ्तार बढ़ाने से संबंधित पत्र योजना एवं विकास विभाग ने हाल में ही लिखा है. अगर ये विभाग अपनी राशि खर्च नहीं कर पाते हैं, तो राशि को तेजी से खर्च करने वाले विभागों को ट्रांसफर कर दिया जायेगा. पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पीएचईडी, जल संसाधन समेत अन्य विभागों के खर्च की रफ्तार बेहतर है. इन विभागों को अंतिम तिमाही में कम खर्च वाले दूसरे विभागों के रुपये अतिरिक्त खर्च के लिए ट्रांसफर किये जा सकते हैं.
योजनाओं पर असर
अपने योजना आकार को खर्च करने में जो विभाग पिछड़ गये हैं, उसका असर उनके अंतर्गत चलने वाली सभी योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ा है. कृषि, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में चलने वाली योजनाएं सीधे जनता खासकर किसान और गरीब वर्ग से जुड़ी होती हैं. भवन निर्माण की योजनाएं पिछड़ने से कई बड़े निर्माण कार्य की रफ्तार धीमी या बड़े आधारभूत प्रोजेक्ट पिछड़ सकते हैं.
– इनका खर्च 25 प्रतिशत से कम : कृषि – 21 प्रतिशत, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण – 22 प्रतिशत, भवन निर्माण – 15 प्रतिशत, एससी-एसटी कल्याण विभाग – 18, अल्पसंख्यक कल्याण – 24 प्रतिशत, लघु जल संसाधन विभाग – 15 प्रतिशत, राजस्व एवं भूमि सुधार – 22 प्रतिशत, कला-संस्कृति एवं युवा – 16 प्रतिशत, गन्ना उद्योग और पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग शामिल हैं.
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