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बिहार : जेलों में जानवरों की तरह ठूस दिये गये हैं कैदी, बढ़ रहा है संक्रामक रोग
विजय सिंह पटना : गैर कानूनी हरकतों के कारण भले ही कुछ लोग सलाखों के पीछे पहुंचे गये हों, लेकिन उन्हें रहने, खाने, सोने और नित्य क्रिया के लिए भी सजा जैसी व्यवस्थाओं में सांस लेना पड़े तो फिर जेल मैनुअल और मौलिक अधिकारों की बात बेमानी लगती है. बिहार के जेलों में सजा काट […]
विजय सिंह
पटना : गैर कानूनी हरकतों के कारण भले ही कुछ लोग सलाखों के पीछे पहुंचे गये हों, लेकिन उन्हें रहने, खाने, सोने और नित्य क्रिया के लिए भी सजा जैसी व्यवस्थाओं में सांस लेना पड़े तो फिर जेल मैनुअल और मौलिक अधिकारों की बात बेमानी लगती है. बिहार के जेलों में सजा काट रहे बंदियों के साथ कमोवेश ऐसे ही हालात हैं.
करीब 350 कैदियों की क्षमता वाले कैदी वार्डों में चार गुना से ज्यादा कैदियों को जानवरों की तरह ठूंस दिया जा रहा है. हालत यह है कि वार्ड में पांव रखने की जगह नहीं है, सोने वाले बेड एक दूसरे से चिपके हुए हैं, वार्ड से अटैच शौचालय में भी नारकीय स्थिति है. इसी बदहाली में बंदी रात और दिन गुजारने को मजबूर हैं.
32 हजार क्षमता
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में कुल 59 जेल हैं जिसमें आठ सेंट्रल जेल भी शामिल हैं. सूबे के जेलों में बंदियों को रखने की क्षमता कुल 32 हजार है जबकि शराब बंदी के करीब डेढ़ साल बाद सिर्फ शराब के मामले में ही 87,129 लोग सलाखों के पीछे पहुंच गये हैं. इसके अलावा हत्या, लूट, बलात्कार, चोरी समेत अन्य आरोपों के कैदी भी पहले से बंद हैं. सभी जेल में क्षमता से तीन से चार गुना बंदी हैं.
87,129 लोग अब तक हो चुके हैं गिरफ्तार. बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद शराब पीने, रखने या सप्लाई के आरोप मेंअप्रैल 2016 में शराबबंदी के बाद शराब की सप्लाई, शराब पीने, स्टोर करने के आरोप में पकड़े गये लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. आंकड़ों के मुताबिक शराबबंदी के बाद से नवंबर 2017 तक सिर्फ मद्य निषेध विभाग ने बिहार में कुल 31, 729 व बिहार पुलिस ने 55, 400 लोगों की गिरफ्तारी की है. कुल मिलाकर करीब डेढ़ साल में 87,129 हजार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
हांफ रहीं व्यवस्थाएं
ठंड के मौसम में जेल की व्यवस्थाएं हांफ रही हैं और यहां रहने वाले बंदियों के दम घुट रहे हैं. जेल की क्षमता नहीं बढ़ी है और होने वाली परेशानियों पर जिम्मेदार जवाब देने के बजाय बंगले झांक रहे हैं. बंदियों के हालत पर बात करें तो इनकी स्थिति बदतर है.
बंदियों की सेहत को बीमारियों ने घेर लिया है. संक्रमण के मरीज जेलों में बढ़ गये हैं. सांस और स्किन से जुड़ी बीमारियां बंदियों को चपेट में ले रही हैं. जेल सूत्रों कीं मानें तो बिहार के सभी जेलों के अस्पतालों का बेड फुल हो गया है. व्यवस्था संभाल रहे लोगों के पसीने छूट रहे हैं और सजायाफ्ता बंदियों की जान पर बन आयी है.
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