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बिहार : नर्सिंग एक्ट का पालन नहीं, कार्रवाई हुई तो बंद हो सकते हैं कई प्राइवेट अस्पताल

इलाज का खेल : न डिग्री की हो रही जांच न ही टंगे बोर्ड पर विभाग का जा रहा ध्यान पटना : प्रदेश में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लागू हुए भले ही तीन साल से ऊपर हो गये, लेकिन यहां के प्राइवेट व सरकारी अस्पताल में इस एक्ट का पालन नहीं हो पा रहा है. […]

इलाज का खेल : न डिग्री की हो रही जांच न ही टंगे बोर्ड पर विभाग का जा रहा ध्यान
पटना : प्रदेश में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लागू हुए भले ही तीन साल से ऊपर हो गये, लेकिन यहां के प्राइवेट व सरकारी अस्पताल में इस एक्ट का पालन नहीं हो पा रहा है. एक बीमारी का एक फीस के मानक पर बने इस एक्ट की धज्जियां शहर के कई प्राइवेट अस्पताल उड़ा रहे हैं. यही वजह है कि तीन साल में अब तक सिर्फ 310 सरकारी व प्राइवेट अस्पताल ही इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराएं हैं. एक्ट का पालन नहीं होने का नतीजा है कि मरीजों के साथ खुलेआम लूट हो रही है.
एक्ट लागू होगा तो बंद हो सकते हैं बाईपास के अस्पताल: पटना में इन दिनों डॉक्टरों व अस्पतालों की भरमार हो गयी है. सबसे अधिक अस्पताल तो बाईपास इलाके पर संचालित हो रहे हैं. अगर एक्ट के तहत कार्रवाई होती है तो बाईपास इलाके के कई अस्पताल बंद हो सकते हैं. क्योंकि यहां के सभी अस्पतालों के बड़े-बड़े बोर्ड लगे हुए हैं. किसी बोर्ड पर डॉक्टरों की डिग्री यूएसए से एमडी, एमएस तो किसी पर पीजी व एमसीएच लिखा हुआ है.
इन डॉक्टरों की डिग्रियां फर्जी है या किसी डॉक्टर के पास मेडिकल की डिग्री है या नहीं इसकी जांच करनेवाला कोई नहीं है. यही वजह है कि पटना में अब तक डॉक्टरों की डिग्री पर छापेमारी भी नहीं हुई है. जबकि पटना छोड़ प्रदेश के मोतिहारी, गोपालगंज आदि जिलों में फर्जी डॉक्टर पकड़े जा चुके हैं. सूत्रों की माने तो डिग्री को देख अधिकांश मरीज चले आते हैं और अंत में ठगी का शिकार होते हैं.
क्या कहता है आईएमए
एक्ट में संशोधन की बातें स्वास्थ्य विभाग से चल रही है. लेकिन, सरकार की बातों का भी हम लोगों को ध्यान है. यही वजह है कि बहुत सारे अस्पताल रजिस्ट्रेशन कराएं हैं. वहीं, सरकार की ओर से जो भी फैसला आये हमें मंजूर है फैसले के अनुसार ही आइएमए अपना काम करेगा.
-डॉ सुनील सिंह, उपाध्यक्ष, आईएमए
लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान
एक्ट के लागू होने से लोगों को चिकित्सा क्षेत्र में मरीज व डॉक्टरों दोनों को बेहतर सुविधाएं मिलती हैं
निजी नर्सिंग होम पर नियंत्रण और समय-समय पर छापेमारी होगा
एक अस्पताल का लाइसेंस दूसरे को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता
बगैर लाइसेंस वाले नर्सिंग होम में काम करने वालों पर भी कार्रवाई होगी
नियमों का उल्लंघन करने पर अस्पताल का लाइसेंस रद्द होगा
इन राज्यों में लागू है एक्ट
बिहार, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, सिक्किम और मेघालय में यह एक्ट बगैर किसी संशोधन के लागू है. वहीं महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली ने अपना अलग से एक्ट बनाया है. इसके अलावा कई अन्यराज्य इस पर काम कर रहे हैं.
क्या है एक्ट और क्या हैं प्रावधान
-एक्ट में आनेवाले नर्सिंग होम को
मरीजों के हित में सुविधाएं और सेवाएं देनी होंगी
-एक बीमारी का एक जैसा फीस सभी अस्पतालों को करना होगा
-अस्पतालों में न्यूनतम कर्मी की व्यवस्था होनी चाहिए
-मरीजों का लेखा-बही का भी हिसाब रखना होगा.
-सिविल सर्जन स्तर पर समय-समय पर छापेमारी कर कार्रवाई करना
-नर्सों व डॉक्टरों की संख्या अधिक, एक समान बेड व इलाज चार्ज

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