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बिहार : 1 साल में 18 हजार महिलाओं ने करायी नसबंदी, 200 पुरुष ही आये आगे
पटना : परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत महिला व पुरुष नसबंदी करा सकते हैं. लेकिन, आज भी जब पुरुष नसबंदी की बात आती है भ्रांतियों का शिकार होकर पुरुष नसबंदी से दूर भागते हैं. आंकड़ों की मानें तो 2016-17 में महज 200 पुरुषों ने ही नसबंदी कराया है, जबकि महिलाओं का आंकड़ा 18 हजार से […]
पटना : परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत महिला व पुरुष नसबंदी करा सकते हैं. लेकिन, आज भी जब पुरुष नसबंदी की बात आती है भ्रांतियों का शिकार होकर पुरुष नसबंदी से दूर भागते हैं. आंकड़ों की मानें तो 2016-17 में महज 200 पुरुषों ने ही नसबंदी कराया है, जबकि महिलाओं का आंकड़ा 18 हजार से अधिक है. जबकि, चिकित्सकों की मानें तो पुरुष नसबंदी सरल-सुरक्षित प्रक्रिया है. इसमें सिर्फ शुक्रवाहिका नामक दो ट्यूबों को काटा जाता है. इससे किसी तरह की कमजोरी नहीं आती. पुरुष नसबंदी करवाने में समय भी कम लगता है.
नसबंदी के बाद मिलने वाली राशि
परिवार नियोजन के लिए कोई महिला नसबंदी कराती है, तो उसे सरकार की ओर से 1400 रुपये प्रोत्साहन राशि मिलती है. इसी तरह कोई पुरुष नसबंदी के लिए आता है तो उसे 2000 रुपये मिलते हैं. बावजूद इसके पुरुष नसबंदी को नहीं आते हैं. पुरुषों में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए जिला प्रशासन अब जागरूकता अभियान चलायेगा.
अस्पतालों में जागरूकता की कमी, गांवों में भी नहीं होता प्रचार-प्रसार
शहरी क्षेत्र में परिवार नियोजन अभियान का प्रचार-प्रसार गांव व शहरों में नहीं किया जाता है. हालांकि सभी अस्पतालों में परिवार नियोजन अभियान को गति देने के लिए काउंसेलरों व डॉक्टरों की टीम है, लेकिन मानीटरिंग ठीक नहीं होने से सभी लोग कोताही कर रहे हैं.
प्रचार-प्रसार के लिए आशा कार्यकर्ता की जरूरत है, ताकि आस-पास के लोगों को जागरूक किया जा सके. सरकार की ओर से नसबंदी कराने वाले को प्रोत्साहन राशि दी जाती है, लेकिन गांव में परिवार को कम करने को लेकर कोई जागरूकता नहीं है. सरकारी अस्पतालों में प्रसव के दौरान जब महिलाएं इलाज के लिए आती हैं, तो उसको भी परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करना होता है, लेकिन अस्पतालों के डॉक्टर ऐसा नहीं करते हैं.
यह है नसबंदी की प्रक्रिया
नसबंदी करने के पहले बिना चीरे के टांके की तरह सबसे पहले अंडकोषों के ऊपर वाली खाल पर सुई लगा कर उसे सुन्न किया जाता है. फिर सुन्न की गयी खाल में खास तरह की चिमटी से बहुत बारीक सुराख करके उस नली को बाहर निकाल कर अंडकोष से पुरुष बीजों को पेशाब की नली तक पहुंचाया जाता है. फिर इस नली को बीच से काट कर दोनों कटे हुए सिरों को बांध कर उनके मुंह बंद कर देते हैं और वापस अंडकोष थैली के अंदर डाल देते हैं.
सरकार से िमलने वाली सुविधाएं
एक रुपये में तीन कंडोम मिलते हैं.
एक रुपये में माला एन मिलता है.
दो रुपये में आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां मिलती हैं जो 72 घंटे के भीतर काम करती हैं.
डिलेवरी के बाद कॉपर-टी लगाने की प्रक्रिया.
इंजेक्शन से परिवार नियोजन, जो अभी पीएमसीएच, आईजीआईएमएस व एनएमसीएच में महिलाओं को मुफ्त लगाया जाता है.
समाज में परिवार नियोजन के लिए पुरुषों को जागरूक होना होगा. महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की नसबंदी बेहद आसान है. नसबंदी से पुरुषों में कोई कमजोरी या परेशानी नहीं होती है. पुरानी ख्यालों से निकलकर पुरुषों को इस काम में आगे आना चाहिए. तब ही परिवार नियोजन सक्सेस होगा.
– स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ मीना सामंत, कुर्जी हॉस्पिटल.
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