बेरोजगार को विदेशों में शोषण से बचाने की कवायद
पटना : विदेशों में काम करने की इच्छा रखनेवाले बिहारियों को पटना में ही मार्गदर्शन मिलेगा. अब मुंबई में जाकर एजेंटों के हाथों फंसने की नौबत नहीं आयेगी. जिस देश में भी नौकरी के लिए जाना है, उसका मार्गदर्शन पटना में ही पहले मिल जायेगा. प्री काउंसेलिंग में उन्हें बताया जायेगा कि किस देश में किस शैक्षणिक स्तर के युवा को कौन-सी नौकरी में अवसर मिलेगा.
इसे अमलीजामा पहनाने के लिए बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘समुद्र पार नियोजन ब्यूरो’ का चैप्टर फिर से खोलने की कार्रवाई की जा रही है. पिछले वर्ष इसे बंद करने का निर्णय विभागीय स्तर पर लिया गया था.
श्रम संसाधन विभाग समुद्र पार नियोजन ब्यूरो को नये से गठित करने की कार्रवाई कर रहा है. लोकसभा चुनाव के कारण ब्यूरो के गठन की कार्रवाई अटकी पड़ी है.
राज्य से हर वर्ष 60-85 हजार विदेशों में रोजगार के लिए जानेवाले युवाओं को मार्गदर्शन की सुविधा देगी. उनका पूरा रिकॉर्ड भी ब्यूरो में रखा जायेगा. किसी तरह की परेशानी होने पर सहायता प्रदान भी की जायेगी. विदेशों में काम करनेवाले युवाओं को शोषण से भी बचाया जायेगा. सरकार का मानना है कि आर्थिक वैश्वीकरण के इस युग में रोजगार का बाजार अब राज्य की सीमा ही नहीं, बल्कि राष्ट्रों की सीमा के पार तेजी से बढ़ रहा है. विदेशों में युवाओं को नौकरी करने का अवसर पर मिल रहा है, पर सही माध्यम नहीं रहने के कारण ऐसे युवाओं को मानव तस्करी का शिकार भी होना पड़ता है. विदेशों में पहुंचने के बाद उनके सभी कागजात जब्त कर अमानवीय स्थिति में काम कराने पर मजबूर किया जाता है. अब श्रम संसाधन विभाग विदेशों में रोजगार के इच्छुक युवाओं को सही दिशा देने के लिए ब्यूरो का गठन करेगा.
ब्यूरो में प्रोफेशनल पदाधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की जायेगी. विभाग ने इनके पदों को चिह्न्ति भी कर लिया है. इसका पंजीकरण प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय में कराया जायेगा.
चौथे नंबर पर है बिहार
विदेशों में नौकरी के लिए जानेवाले लोगों में बिहार का स्थान चौथे नंबर पर है. उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है.श्रम संसाधन विभाग ने वर्ष 2012 में इस तरह के ब्यूरो की स्थापना करने का निर्णय लिया था. इसके लिए अवर क्षेत्रीय नियोजन कार्यालय, पटना (आयकर चौराहा) में इसका उद्घाटन भी तत्कालीन श्रम संसाधन मंत्री जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने किया था. ब्यूरो का काम आगे बढ़ा भी नहीं था कि अचानक वर्ष 2013 में इसे बंद करने का निर्णय ले लिया गया.
इसकी उपयोगिता को देखते हुए फिर से इसे चालू करने की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. चुनावी बंदिश के कारण इसके गठन की गति धीमी है. चुनाव के बाद इसे अमली जामा पहनाया जायेगा.