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बिहार : बालू, मिट्टी व पत्थर ढोने वाली गाड़ियों में 15 तक लगें GPS

खान एवं भूतत्व विभाग ने अल्टीमेटम जारी करते हुए इसे अनिवार्य कर दिया है पटना : प्रदेश में अब बालू, पत्थर और मिट्टी ढ़ोने वाली सभी गाड़ियों को अनिवार्य रूप से जीपीएस लगाना होगा. इसमें ट्रैक्टर भी शामिल हैं. खान एवं भूतत्व विभाग ने निर्देश जारी करते हुये जीपीएस लगाने की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर […]

खान एवं भूतत्व विभाग ने अल्टीमेटम जारी करते हुए इसे अनिवार्य कर दिया है
पटना : प्रदेश में अब बालू, पत्थर और मिट्टी ढ़ोने वाली सभी गाड़ियों को अनिवार्य रूप से जीपीएस लगाना होगा. इसमें ट्रैक्टर भी शामिल हैं. खान एवं भूतत्व विभाग ने निर्देश जारी करते हुये जीपीएस लगाने की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर तय कर दी है. विभाग ने कहा है कि जीपीएस विभागीय मानक के अनुरूप होना चाहिये. इसके साथ ही ओवरलोडिंग का मामला सामने आने पर गाड़ी का चालक, गाड़ी मालिक और संबंधित बंदोबस्तधारी पर प्राथमिकी दर्ज की जायेगी.
विभाग ने बालू का दर निर्धारित करने के लिए सभी जिले से इस साल जून और सितंबर महीने में बाजार में चल रहे बालू का दर पूछा था. कुछ जिलों से रिपोर्ट आयी है. इसमें हर जिले में बालू की कीमत अलग-अलग है. इस संबंध में विभाग ने सभी जिलों को फिर से निर्देश दिया है कि वे पीला और सफेद बालू का अलग-अलग दर निर्धारित कर पंचांग वर्ष 2018 के लिए भेजें.
नये निगम के लिए बनेगा भंडारण स्थल : विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक ने कहा है कि खनिजों का थोक और खुदरा व्यापार नये बनाये गये निगम द्वारा किया जायेगा. इसके लिए हर जिले में भंडारण स्थल की जरूरत है. एक भंडारण स्थल के लिए पांच एकड़ जमीन की जरूरत होगी.
इस संबंध सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गयी थी, लेकिन अभी तक केवल सात जिलों से इसके लिए जमीन का विवरण भेजा गया है. इन सभी जगहों पर निगम या विभाग का बोर्ड लगाने और भवन निर्माण विभाग से वहां अस्थायी भवन निर्माण करवाने का अधिकारियों को निर्देश दिया गया है. वहां जब्त की गई बालू, मिट्टी और पत्थर रखे जायेंगे. अन्य जिलों से भी अविलंब जमीन की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है. इस जमीन का किराया विभाग देगी.
मिट्टी का व्यवसाय करने के लिए लेना होगा परमिट
विभाग ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि साधारण मिट्टी एक लघु खनिज है. इसलिये इसके खनन और व्यवसाय के लिए भी परमिट लेना आवश्यक है. इसके लिए व्यवसायी और जमीन मालिक को खान एवं भूतत्व विभाग से निबंधन करवाना होगा. इसके बिना मिट्टी का व्यवसाय करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जायेगा.
जीएसटी में निबंधन
इसके साथ ही सभी ट्रांसपोर्टर और बंदोबस्तधारियों से कहा गया है कि वे एक महीने में जीएसटी में अपना निबंधन करवा लें. जो वाहन जीएसटी में निबंधित नहीं होंगे ऐसे वाहनों से बालू और पत्थर की ढुलाई करवाने से बंदोबस्तधारियों को मना कर दिया गया है. इनकी ढुलाई के समय इन्हें तारपोलिन से ढकना अनिवार्य है जिससे कि सड़क पर ये न गिरें. साथ ही ई-चालान व्यवस्था पूरी तरह लागू कर दी गयी है.
पर्यावरण की स्वीकृति अनिवार्य
विभाग ने कहा है कि बालूघाटों की बंदोबस्ती पांच साल के लिए हुई थी, इसमें से तीन साल बीत चुके हैं. इसके बावजूद 854 बालूघाटों में से केवल चार सौ के लिए ही पर्यावरणीय स्वीकृति ली गयी है. वहीं सभी ने धर्मकांटा भी नहीं लगाया है.
समीक्षा के दौरान यह पाया गया है कि औसतन सभी बंदोबस्तधारियों ने खनिज नियमावली 1972, बालू नीति और नीविदा के शर्तों का उल्लंघन किया है. इसमें पर्यावरणीय स्वीकृति, धर्मकांटा, खनिजों का परिवहन नियमानुसार नहीं करना, खनन क्षेत्र का सीमांकन नहीं करना और खनन सीमा से अधिक मात्रा में बालू निकालना शामिल हैं.

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