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प्रभात खबर से खास बातचीत: फरवरी माह से सरकारी अस्पतालों में सभी मरीजों को मिलेंगी मुफ्त दवाएं : मंगल पांडेय

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय प्रभात खबर पटना कार्यालय आये. उनसे हमारे संवाददाता शशिभूषण कुंवर ने बातचीत की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश. जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति के लिए पहली बार स्वास्थ्य विभाग ने कटऑफ डेट निर्धारित किया है. राज्य के सरकारी अस्पतालों में फरवरी से मरीजों को मुफ्त दवाएं मिलने लगेंगी. चाहे […]

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय प्रभात खबर पटना कार्यालय आये. उनसे हमारे संवाददाता शशिभूषण कुंवर ने बातचीत की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश.

जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति के लिए पहली बार स्वास्थ्य विभाग ने कटऑफ डेट निर्धारित किया है. राज्य के सरकारी अस्पतालों में फरवरी से मरीजों को मुफ्त दवाएं मिलने लगेंगी. चाहे मेडिकल काॅलेज अस्पताल हो या सदर अस्पताल, सभी जगह जरूरी दवाएं उपलब्ध करा दी जायेंगी. यहां तक कि उप स्वास्थ्य केंद्रों तक, जहां पर एएनएम की सेवाएं बहाल की गयी हैं, वहां पर भी प्राथमिक इलाज के लिए आने वाले मरीजों को दवाएं उपलब्ध करायी जायेंगी.

प्रभात खबर दफ्तर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि पूर्व के स्वास्थ्य मंत्री ने विभाग को ‘अस्वस्थ’ कर दिया है. मैंने पद संभालते ही अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित की हैं. उन्होंने बताया कि राज्य में सभी 8858 उप स्वास्थ्य केंद्र, 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 1243 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 70 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 36 जिला अस्पताल और नौ मेडिकल काॅलेज अस्पतालों में मरीजों को इलाज की सुविधाएं दी जा रही हैं. हमारी पहल पर सबसे पहले 91 प्रकार की दवाओं की आपूर्ति अस्पतालों में होने लगी हैं. 10 दिनों के अंदर
और आठ दवाओं को उनमें जोड़ दिया जायेगा. अगले दो माह में 40 और दवाएं जोड़ दी जायेंगी. हमारी प्राथमिकता है कि सबसे निचले स्तर पर उप स्वास्थ्य केंद्रों में भी मरीजों के लिए भी मुफ्त दवाएं उपलब्ध हों.

उन्होंने कहा, दवाओं की खरीदारी की व्यवस्था को ठीक करने के लिए बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड (बीएमएससीआइएल) की संरचना को दुरुस्त किया जा रहा है. दवाओं की केंद्रीकृत खरीदारी की व्यवस्था करना और सेवा को तकनीकी आधारित बनाने पर फोकस है. तकनीकी के माध्यम से मॉनिटरिंग की जायेगी कि किस अस्पताल में कौन-सी दवा नहीं है.

स्वास्थ्य विभाग ने जीवनरक्षक दवाओं की सूची तैयार की है. एपीएचसी से जिला अस्पतालों के ओपीडी में 33 प्रकार की दवाएं, पीएचसी से जिला अस्पतालों के भर्ती मरीजों को 112 प्रकार की दवाएं, मेडिकल काॅलेज अस्पताल के ओपीडी में 65 प्रकार की दवाएं, भर्ती मरीजों को 120 प्रकार की दवाएं और ऑपरेशन थियेटर में 43 प्रकार की दवाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि दवाएं घटिया नहीं हों. मार्च, 2018 तक राज्य के ड्रग एंड फूड लेबोरेटरी को पूरी तरह से मानव संसाधन और उपकरणों से लैस किया जायेगा. ड्रग एंड फूड लेबोरेटरी अत्याधुनिक होगी और जो भी दवा या खाद्य सामग्री के नमूने जांच के लिए इसमें आयेंगे, उनका समय पर जांच हो जायेगी. दवा मंडी में सिर्फ गुणवत्तापूर्ण दवाओं की ही बिक्री होगी. नकली या घटिया दवाएं बेचने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी.

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि दूसरी प्राथमिकता है अस्पतालों तक मरीजों को लाने के लिए 24 घंटे एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध करना. जनवरी, 2018 तक पूरे राज्य को एंबुलेंस सेवा से पूरी तरह कवर कर दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि विभाग में अभी दो स्तरों पर काम किया जा रहा है. पहला, आधारभूत और बुनियादी सुविधाओं को बहाल करना. इसमें अस्पतालों के भवनों का निर्माण करना शामिल हैं. नौ मेडिकल काॅलेज अस्पतालों की व्यवस्था को ठीक करना है. यहां ओपीडी सेवाओं को मजबूत किया गया जायेगा. यह सुनिश्चित किया जायेगा कि यहां भर्ती मरीजों को बेहतर इलाज मिले और ऑपरेशन समय पर हो जाये. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरह जितनी सेवाएं उपलब्ध करायी जानी हैं, उनके मानकों को राष्ट्रीय स्तर पर लाया जायेगा, चाहे वह शिशु मृत्यु दर हो या मातृ मृत्यु दर है, टीकाकरण हो या संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना. विभाग ने तकनीक आधारित सिस्टम खड़ा करना की दिशा में पहल की है. मेरे इस काम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का निरंतर मार्गदर्शन मिलता रहता है.

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