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पर्यूषण पर्व : ‘उत्तम क्षमा जहां मन होई, अंदर-बाहर शत्रु न कोई’ से भाईचारे का आह्वान
क्षमावाणी के साथ दस दिवसीय महापर्व प्रारंभ पटना : जैन धर्म के दिगंबर मतावलंबियों का महापर्व पर्यूषण क्षमावाणी के साथ शनिवार से शुरू हो गया. दस दिवसीय महापर्व का प्रारंभ कदमकुआं-मीठापुर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में उत्तम क्षमा से हुआ. इसमें क्रोध पर विजय पाने और प्रेम भाव से रहने के लिए श्रावकों को बताया […]
क्षमावाणी के साथ दस दिवसीय महापर्व प्रारंभ
पटना : जैन धर्म के दिगंबर मतावलंबियों का महापर्व पर्यूषण क्षमावाणी के साथ शनिवार से शुरू हो गया. दस दिवसीय महापर्व का प्रारंभ कदमकुआं-मीठापुर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में उत्तम क्षमा से हुआ. इसमें क्रोध पर विजय पाने और प्रेम भाव से रहने के लिए श्रावकों को बताया गया. पर्व को लेकर सुबह छह बजे से ही जैन धर्मावलंबी कांग्रेस मैदान कदमकुआं, मीठापुर तथा अन्य जैन मंदिर में इकट्ठे होने लगे थे. इस अवसर पर विकास जैन भरत चक्रवर्ती, बाहुबली अजीत जैन एडवोकेट, दीपक छाबड़ा इंद्र एवं सुनील गंगवाल इंद्रा द्वारा पूजा की गयी.
शांतिधारा के बाद की समवशरण की मनोहर सजावट
महापर्व के पहले दिन की शांतिधारा एम पी जैन परिवार के द्वारा की गयी. मौके पर मंदिर में समवशरण की मनोहारी रचना की गयी. समवशरण वह स्थान है जहां से जैन तीर्थंकर सभी भक्तजनों को उपदेश एवं ज्ञान देते हैं
दमोह मध्य प्रदेश के जैन ज्योतिष प्राच्य विद्या अनुसंधान केंद्र के निदेशक प्रतिष्ठाचार्य डॉ पं अभिषेक जैन शिक्षाशास्त्री ने पर्यूषण की महत्ता के बारे में बताया कि क्रोध का भाव एक ज्वलनशील भाव है जो व्यक्ति को विवेक शून्य बनाकर अनर्थ करवाता है. उन्होंने कहा कि क्रोध धैर्य व ज्ञान का नाश करने के बाद सर्वस्व नाश कर देता है. क्रोध पर विजय प्राप्त करने का उपाय क्षमा है. क्षमा आत्मा का शोधन करने में सहायक है. यह पर्व अपने आप में ही क्षमा का पर्व है. इसलिए क्षमा से वैर भाव को शांत कर मैत्रीपूर्ण व्यवहार करें.
ब्रह्मचारीजी ने बताया की ‘क्षमा वीरस्य भूषणम्‘ अर्थात क्षमा करना वीर का ही स्वभाव होता है. जिसने अपने राग-द्वेष, क्रोध, अहंकार, लोभ-लालच आदि से मुक्ति पाकर अपने मन में क्षमा का अस्त्र धारण कर लिया हो वह वीर होता है. क्षमा धर्म की पूजा का निर्देशन प्रतिष्ठाचार्य डॉ पं. अभिषेक जैन ने तथा स्वर लहरियां जबलपुर से पधारी मशहूर भजन गायिका प्रज्ञा जैन ने एवं समवशरण महामंडल की मनोहारी रचना सागर से पधारे पुजारी राजेश जैन एवं प्रशांत जैन ने किया. पूजा में नंदलाल जैन, मुकेश जैन, मनोज बर्जात्या, प्रकाश साकुनिया, महेश सेठी, अशोक छाबड़ा, कमल पाटनी सहित सैकड़ों ने भाग लिया.
पटना. भक्ति का मार्ग जीवन में न केवल बेहतरी का प्रकाश जगाता है, बल्कि उस प्रकाश से पूरा समाज आलोकित होता है. प्रभु को भक्ति और सत्संग से सहज ही प्राप्त किया जा सकता है. ये बातें कृष्णानुरागी पं शिवम विष्णु पाठक अपने प्रवचन में भक्तों काे भागवत कथा का सार समझाते हुए कही. कथा के पहले दिन प्रभु की लीलाओं के साथ समाज को सकारात्मक संदेश देते प्रसंगों को प्रस्तुत किया.
आयोजन में यजमान रेणु शर्मा और संयोजक निर्मला देवी के अतिरिक्त पंकज अग्रवाल, शरतचंद्र, पुरुषोतम अग्रवाल, राजाराम शर्मा, कमलेश गोयनका भी मौजूद थे. कथा के दूसरे दिन रविवार को दोपहर तीन बजे कपिल देवहूति संवाद का आयोजन होगा.
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