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बिहार में बदली सियासी फिजा-‘गांधी जी’ के बहाने आर-पार की लड़ाई के मूड में नीतीश और लालू

आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना पटना : भारतीय राजनीति में हाल के दिनों में सबसे ज्यादा चर्चा के केंद्र में यदि किसी राज्य की राजनीति रही है, तो वह बिहार है. बिहार में बड़े भाई-छोटे भाई की महागठबंधन वाली सरकार टूट गयी. रास्ते अलग-अलग हो गये. अब एक बार फिर राजद नेता और लालू पुत्र […]

आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना

पटना : भारतीय राजनीति में हाल के दिनों में सबसे ज्यादा चर्चा के केंद्र में यदि किसी राज्य की राजनीति रही है, तो वह बिहार है. बिहार में बड़े भाई-छोटे भाई की महागठबंधन वाली सरकार टूट गयी. रास्ते अलग-अलग हो गये. अब एक बार फिर राजद नेता और लालू पुत्र तेजस्वी यादव जनादेश अपमान यात्रा के बहाने बिहार की सियासत साधने मेंजुटे हैं. तेजस्वी यादव यात्रा के बहाने चंपारण में गांधी जी से माफी मांग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ‘लालच’ भारत छोड़ो का नारा दे रहे हैं. जानकार मानते हैं कि गांधी जी के बहाने ही सही जदयू और राजद के दो शीर्ष नेता कथित सरोकार की सियासत साधने में जुट गये हैं. हमला एक-दूसरे पर तेज हो गया है. लालू के सामने आगामी 27 अगस्त की होने वाली महारैली है, तो नीतीश कुमार के सामने भ्रष्टाचार पर लगातार प्रहार करने का अचूक हथियार. दोनों ओर से जुबानी जंग जारी है. हां, इस लड़ाई के केंद्र में ‘भ्रष्टाचार’ और ‘लालच’ जैसे मूल मुद्दे जुड़ गये हैं. दोनों पार्टिया एक दूसरे पर इन्हीं शब्दों के जरिये लड़ाई को आगे बढ़ा रही हैं. हाल में हुए घटनाक्रम के आईने में बिहार की सियासत को नजदीक से देखें, तो अब इसमें शरद यादव की इंट्री हो गयी है और बिहार की राजनीतिहोगयी है दिलचस्प.

बिहार के सियासत की शतरंजी बिसात

अब जरा नीतीश कुमार के बुधवार के उस बयान को देखना जरूरी होगा, जो उन्होंने बिहार वृक्ष दिवस के अवसर पर सार्वजनिक मंच से कही. उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी को मन में यह तय करना चाहिए कि जैसे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधी जी ने नारा दिया था ‘अंग्रेजो भारत छोडो ‘, उसी तरह हम सब यह नारा लगायेंगे कि ‘लालच भारत छोड़ों ‘,इससे समाज में प्रेम होगा, भाईचारा होगा, एकता होगी. नीतीश ने कहा कि उन्होंने :बापू: ने कहा था कि यह धरती मानव की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम है पर उसके ‘लालच ‘ को नहीं. लालच की बढ़ती प्रवृत्ति को रोके जाने की नित्तांत आवश्यकता है. नीतीश ने हालांकि किसी का नाम नहीं लिया पर इसे लालू और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगने पर हमले के रूप में समझा जा सकता है. उधर, लालू यादव ने संवाददाता सम्मेलन में नीतीश कुमार पर नकल को लेकर लगे जुर्माने और उनके ऊपर चल रहे दफा 302 के मुकदमे की चर्चा कर पूछा कि किस मुंह से गद्दी पर बैठे हैं. दोनों लोगों ने ‘लालच ‘ को लेकर एक दूसरे पर आज प्रहार करते हुए इसके खिलाफ लड़ाई के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उद्धत किया.

लालच और भ्रष्टाचार बना मुद्दा

गांधी जी के बहाने बिहार की सियासत को साधने वालों पर राजनीतिक पंडितों की नजरें बनी हुई हैं. जानकार कहते हैं कि लालू यादव ने बेटे तेजस्वी को गांधी जी की कर्मस्थली से यात्रा का आरंभ करवाया है. वह राजनीतिक ‘लालच’केसाथ आम जनता की भावनाओं में जनादेश के अपमान की बात भीतर तक पहुंचाना चाहते हैं. उधर, 27 अगस्त को होने वाली अपनी रैली के बहाने लालू एक बड़ा राजनीतिक दावं खेलने की ताक में भी हैं. बिहार में नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव को लालू प्रसाद यादव अपने खेमे में जोड़ने की ताक में हैं. लालू यादव चाह रहे हैं कि 27 अगस्त को महारैली के दौरान शरद यादव को जदयू से तोड़कर आरजेडी में शामिल कर लें. इसके लिये लालू यादव ने शरद यादव को केंद्र के खिलाफ सबसे विश्वासी विपक्षी चेहरा भी करार दिया है. लालू यादव ने कहा है कि देश भर में केंद्र के खिलाफ इन दिनों शरद यादव से बड़ा एवं विश्वासी कोई चेहरा नहीं हो सकता. लालू ने बुधवार को कहा कि असली जदयू शरद के साथ है और राजद का उससे गठबंधन बरकरार है. लालू ने यहां तक कह दिया कि शरद पर नीतीश के लोग अंडे, पानी के बोतल और चप्पल से प्रहार कर सकते हैं.

सरोकारी मुद्दे बिहार की सियासत के केंद्र में

लालू प्रसाद ने बुधवार को नीतीश पर पलटवार यह कहते हुए किया कि गांधी जी ने ‘लालच ‘ के बारे में ठीक ही कहा है, पर राजनीतिक ‘लालच ‘ भ्रष्टाचार से कहीं अधिक घातक है. लालू ने यह टिप्पणी नीतीश के महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस से नाता तोड़कर बिहार में नयी सरकार बनाने के लिए भाजपा का हाथ थाम लेने की ओर इशारा करते हुए कही. नीतीश ने अवैध बालू उत्खनन मामले की तथा भागलपुर में राज कोषागार से 250 करोड रुपये की कथित अवैध निकासी भी चर्चा की. अवैध बालू उत्खनन में राजद के कुछ नेताओं का नाम सामने आया है. मुख्यमंत्री ने हालांकि यह नहीं बताया कि मामले की जांच जारी है, पर भागलपुर से प्राप्त जानकारी के मुताबिक राजकोषागार से कथित अवैध निकासी का मामला महिलाओं को खाद्य पदार्थ बनाने की छोटे स्तर की एक इकाई के संचालन में मदद करने वाले एक स्वयंसेवी संस्थान से जुड़ा है. इस मामले में भागलपुर के जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के निर्देश पर तिलकामांझी थाना में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी है. करीब 250 करोड़ रुपये के इस फर्जीवाड़े की मुख्यमंत्री द्वारा चर्चा किये जाने के कुछ ही देर बाद आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस महानिरीक्षक जी एस गंगवार के नेतृत्व में एक टीम मामले की त्वरित जांच के लिए बुधवार को भागलपुर पहुंची. फिलहाल, गांधी जी के बहाने ही सही एक सार्थक मुद्दे पर बिहार की राजनीति धीरे-धीरे ही सही आगे बढ़ रही है.

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