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नीतीश का इस्तीफा : क्या मोदी-शाह ने विपक्ष के सबसे संभावनाशील नेता की संभावनाओं को थाम लिया?

नयी दिल्ली : राजद नेता व लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के बिहार के डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा नहीं देने के सवाल पर नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया.नीतीशकुमार के इस फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत ट्वीट कर स्वागत किया. नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि […]

नयी दिल्ली : राजद नेता व लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के बिहार के डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा नहीं देने के सवाल पर नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया.नीतीशकुमार के इस फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत ट्वीट कर स्वागत किया. नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि – भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई. नरेंद्र मोदी ने एक और ट्वीट किया – देश के, विशेष रूप से बिहार के उज्ज्वल भविष्य के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठ कर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक होकर लड़ना, आज देश और समय की मांग है. नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद संसदीय बोर्ड की बैठक में जब नरेंद्र मोदी पहुंचे तो उनके चेहरे पर खुशी, संतोषऔर मुस्कान था और उन्होंने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया. अब जब नरेंद्र मोदी और भाजपा लगातार नीतीश कुमार के प्रति अपनी शुभेच्छा जता रही है तो सवाल यह उठता है कि क्या नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने दूरगामी राजनीतिक तानाबाना बुन रखा था, जिस पर वे अलग-अलग माध्यमों से खेल रहे थे और आज विपक्ष के सबसे संभावनाशील माने जा रहे नेता को अपने पक्ष में करने के करीब आ गये हैं.


सुशील कुमार मोदी का सबसे लंबा प्रेस कान्फ्रेंस का क्रम

भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने मई-जून महीने में सिलसिलेवार लालू प्रसाद यादव के परिवार पर हमला कर रहे थे तो उन्होंने एक बार कहा था कि लगातार इतने दिनों तक एक ही मुद्दे पर प्रेस कान्फ्रेंस करने का रिकाॅर्ड उनके नाम बन गया. सुशील कुमार के हर प्रेस कान्फ्रेंस को मीडिया में भरपूर जगह मिली. उन्होंने लालू प्रसाद यादव के दोनों मंत्री बेटों, उनकी बेटियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये. साथ ही रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव की भूमिका पर भी सवाल उठाये. सुशील कुमार मोदी द्वारा जबरदस्त भूमिका बनाये जाने केकुछदिनों के बाद केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआइ व इडी ने लालू परिवार के खिलाफ कार्रवाई शुरू की. यह सब एक संयोग रहा है या योजनाबद्ध घेराबंदी यह सोचने की बात है.

नीतीश कुमार का इस्तीफा क्या मोदी शाह की मुराद पूरा हो जाना है?

नीतीश कुमार का बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना क्या नरेंद्र मोदी-अमित शाह की मुराद पूरा हो जाना है? यह सवाल इसलिए मौजूं है क्योंकि भाजपा यह उम्मीद पाले हुए है कि नीतीश कुमार उसके साथ मिल कर सरकार बनायेंगे. नीतीश ने हाल के दिनों में प्रधानमंत्री की मेजबानी में आयोजित कार्यक्रम में सहर्ष हिस्सा लिया है और उनके खिलाफ कड़े राजनीतिक शब्दों का प्रयोग नहीं किया है. नीतीश कुमार को विपक्षी नेताओं में सबसे संभावनाशील माना जाता रहा है. हाल में इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने एक कार्यक्रम में कहा था कि नीतीश कुमार को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए, उनकी कुछ चीजें अपील करती हैं. उन्होंने यह बात 2019 में नरेंद्र मोदी से विपक्ष के मुकाबले के संदर्भ में कही थी. लेकिन, अब अगर नीतीश कुमार भाजपा के साथ जाते हैं, तो विपक्ष का राष्ट्रीय चेहरा बनने की नीतीश कुमार की संभावना खत्म हो जायेगी. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए कोई मजबूत चुनौती नहीं हो पायेगी. राहुल गांधी के युवा नेतृत्व में कांग्रेस विपक्ष को वह धार नहीं दे पा रही है, जिसकी जरूरत है.

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