पटना: रूपसपुर पुलिस द्वारा विश्वेश्वरैया नगर के बिहार फार्मेसी कॉलेज रोड स्थित सुमित इंक्लेव अपार्टमेंट से भारी मात्र में सरकारी दवाओं की बरामदगी के बाद यह आशंका काफी बलबती हो गयी है कि सरकारी अस्पतालों में जानेवाली दवाइयां बीच रास्ते में ही तो गायब नहीं हो जा रही हैं? इस गोरखधंधे में दवाओं की सप्लाइ करनेवाली कंपनी के कर्मचारी व अस्पतालों के कर्मियों की मिलीभगत का खेल तो नहीं चल रहा है? औषधि नियंत्रक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले के खुलासे के बाद अब इस बिंदु पर अनुसंधान किया जायेगा कि पहले भी इस तरह का गोलमाल तो नहीं किया गया था. क्योंकि, जिस कंपनी का लेखापाल इस गोरखधंधे में शामिल था, उसे कई सरकारी अस्पतालों में दवाओं को भेजने की जिम्मेवारी मिली थी.
वर्ष 2010 में ही कंपनी को टेंडर मिला था. इन तीन साल में कई बार दवाओं को सरकारी अस्पताल पहुंचाने के बजाय बीच में ही गायब किये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
की गयी पूछताछ
इस गोरखधंधे में शामिल होने के आरोप में पकड़े गये जहानाबाद जिला अस्पताल के लेखा प्रबंधक कौशल कुमार झा (उमरी बलिया, मधुबनी), प्रबंधक वासीम दाउदीम (जी 36, पीसी कॉलोनी, कंकड़बाग) व नेक्सस लाइफ सायंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के लेखापाल अवधेश कुमार (कुसुमपुरी, किशमी, मेनपुर, यूपी) को रूपसपुर पुलिस ने शुक्रवार को पूछताछ करने के बाद जेल भेज दिया है. इन तीनों को रिमांड पर भी लेकर पूछताछ की जा सकती है.
जहानाबाद- खगड़िया भेजी जानी थीं दवाएं
कंपनी द्वारा इन दवाओं को जहानाबाद व खगड़िया के अस्पताल में भेजा जाना था. लेकिन इन अस्पतालों में भेजने के बजाये रुपसपुर में सुमित इंक्लेव में उतारा गया था. इसी दौरान पुलिस ने जहानाबाद अस्पताल के दो पदाधिकारियों व कंपनी के लेखापाल को दवाओं के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया था.