पटना : सीबीआई की छापेमारी के बाद अब सवाल उठने लगा है कि आरोपित लालू के छोटे बेटे और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का अगला कदम क्या होगा? कानूनी जानकारों की मानें तेजस्वी यादव इसके बाद या तो इस्तीफा दे सकते हैं, या फिर सीबीआई की ओर से आरोप पत्र दाखिल होने तक का इंतजार कर सकते हैं. संवैधानिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो तेजस्वी यादव आरोप पत्र दाखिल होने तक इंतजार कर सकते हैं. उधर, इस मामले में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने पूरे मामले को नीतीश के पाले में डाल दिया है. भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने छापेमारी के बाद दिये अपने बयान में कहा कि यह नीतीश कुमार की अग्निपरीक्षा है कि लालू के दोनों बेटों को मंत्रिमंडल से बरखास्त करते हैं या नहीं. सुशील ने कहा कि नीतीश कुमार को यह तय करना है कि वो भ्रष्टाचार से लड़ते हैं या फिर समझौता करते हैं.
हालांकि, सुशील मोदी के इस बयान के बाद सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छापेमारी की हलचल के बीच मुख्य सचिव को तलब कर दिया है. सुशील मोदी ने गेम को जदयू के पाले में डालते हुए नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया और कहा कि नीतीश कुमार का आज सपना पूरा हुआ है. उन्होंने कहा कि डिलाइट मार्केटिंग के जरिये इस खेल का सबसे पहले खुलासा जदयू के पूर्व नेता और राज्यसभा सांसद शिवानंद तिवारी और वर्तमान सरकार में मंत्री ललन सिंह ने किया था. सुशील मोदी ने कहा कि उनकी पार्टी ने जो पहले आरोप लगाया था वो आज रंग लाया है. इसका श्रेय सुशील मोदी को नहीं बल्कि नीतीश कुमार को जाना चाहिए. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि आखिर तेजस्वी यादव कौन सा कदम उठाते हैं ?
ज्ञात हो कि शुक्रवार सुबह से ही सीबीआई इस सिलसिले में दिल्ली, पटना, रांची, पुरी और गुरुग्राम के 12 ठिकानों पर आज छापेमारी कर रही है. सीबीआई ने 2006 में रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव, पत्नी राबड़ी देवी, उनके बेटों के साथ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इन सभी लोगों पर रांची और पुरी में रेलमंत्रालय द्वारा होटल बनाने के लिए जारी टेंडर में धांधली का आरोप है. उस दौरान लालू यादव रेल मंत्री थे. लालू पर आरोप है कि उन्होंने आईआरसीटीसी के माध्यम से कई निजी होटलों को फायदा पहुंचाया और उसके एवज में करोड़ों की जमीन अपने परिवार और बेटों के नाम पर करवा ली.
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