पटना :बिहारमें प्रारंभिक स्कूलों के सभी नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर निगरानी को जांच के लिए अब तक नहीं मिल पाये हैं. 3.23 लाख नियोजित शिक्षकों में से निगरानी को करीब 2.50 लाख शिक्षकों के सर्टिफिकेट ही मिल सके हैं. अब भी 70 हजार शिक्षकों के सर्टिफिकेट निगरानी ब्यूरो के पास नहीं आ सके हैं, जिससे उनके सर्टिफिकेट की जांच नहीं हो पा रही है. शिक्षा विभाग अब वैसी नियोजन इकाई जहां से नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर नहीं मिल पाये हैं, वहां सीधी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है.
ऐसी नियोजन इकाइयों पर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जायेगी. अब तक 1030 नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट फर्जी मिले हैं और 363 पर प्राथमिकी भी दर्ज की जा चुकी है. इसके साथ-साथ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी व जिला शिक्षा पदाधिकारी की भी जिम्मेवारी तय की जायेगी.
अब तक की कार्रवाई की होगी समीक्षा
शिक्षा विभाग ने वैसी नियोजन इकाई जहां से शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले थे, वहां के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को जल्द-से-जल्द फोल्डर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. कहा गया था कि अगर नियोजन इकाई में सर्टिफिकेट के फोल्डर व मेधा सूची नहीं है, तो शिक्षकों से सर्टिफिकेट लेकर दिया जाये, लेकिन यह भी पूरी तरह से संभव नहीं हो सका है. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो और शिक्षा विभाग इसी महीने सभी जिलों के डीपीओ की संयुक्त बैठक आयोजित करने जा रहा है, जिसमें अब तक की कार्रवाई की समीक्षा की जायेगी. समीक्षा के बाद देखा जायेगा कि जिन नियोजन इकाई के शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर नहीं मिले हैं, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. साथ ही जिलाधिकारी व पंचायती राज विभाग को उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की जायेगी. शिक्षा विभाग से मिले तथ्यों पर नजर डालें, तो अब तक हाइ व प्लस टू स्कूलों के नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच लगभग खत्म होने को है, लेकिन प्रारंभिक स्कूलों के शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच में अभी समय लग सकता है.
हाइकोर्ट के निर्देश पर 2015 में शुरू हुई थी जांच
पटना हाइकोर्ट के निर्देश के बाद अगस्त, 2015 में नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच शुरू की गयी थी. कोर्ट ने दो महीने में जांच पूरी करने का आदेश दिया था. शिक्षा विभाग ने पहले प्लस टू, फिर हाइ और उसके बाद प्रारंभिक स्कूलों के शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच की प्रक्रिया शुरू की. कोर्ट ने दो बार वैसे शिक्षकों, जिनकी बहाली फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर हुई थी, उन्हें हट जाने का निर्देश दिया, नहीं तो पकड़े जाने पर कार्रवाई की बात कही. इस पर प्रारंभिक स्कूलों के करीब 2200 शिक्षकों ने खुद ही सेवा छोड़ दी. दो साल में भी जांच पूरी नहीं होने पर पटना हाइकोर्ट ने निगरानी को निर्देश दे दिया है कि वे अब अपने स्तर से ही सभी नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच कर लें और फर्जी सर्टिफिकेट वाले शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कार्रवाई करें.
नियोजित शिक्षकों की सर्टिफिकेट जांच में जो लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जायेगी, चाहे वे शिक्षक हों, नियोजन इकाई या फिर शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी. बिहार की शिक्षा में फर्जी सर्टिफिकेट पर कोई शिक्षक काम करें, यह बरदाश्त नहीं. निगरानी को जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. इसमें सभी को सहयोग करना चाहिए. डॉ अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री
स्कूल शिक्षक सर्टिफिकेट मिले जांच हुई फर्जी मिले केस हुए
प्लस टू 11,787 65,276 59,507 210 95
हाइ 27,897 1,22,661 95,297 120 78
प्रारंभिक 3,23,386 2.50 लाख 1.30 लाख 700 170