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सीबीआइ गवाह बने कर्मियों को धमकी दे रहा अवामी बैंक
पटना : नोटबंदी के बाद राज्य में ब्लैक मनी को व्हाइट करने के एक बड़े मामले में राजद के पूर्व एमएलसी अनवर अहमद के अवामी सहकारिता बैंक और अल-राबिया ट्रस्ट के खिलाफ सीबीआइ ने बड़ी कार्रवाई की थी. इस बैंक में ब्लैकमनी को व्हाइट करने के खेल का उजागर आयकर विभाग की छापेमारी में हुआ […]
पटना : नोटबंदी के बाद राज्य में ब्लैक मनी को व्हाइट करने के एक बड़े मामले में राजद के पूर्व एमएलसी अनवर अहमद के अवामी सहकारिता बैंक और अल-राबिया ट्रस्ट के खिलाफ सीबीआइ ने बड़ी कार्रवाई की थी. इस बैंक में ब्लैकमनी को व्हाइट करने के खेल का उजागर आयकर विभाग की छापेमारी में हुआ था. मामला बेहद संजीदा होने पर इसे सीबीआइ को ट्रांसफर किया गया.
सीबीआइ की जांच के दौरान अवामी बैंक में काम करने वाले आधा दर्जन कर्मचारियों को भी अभियुक्त बनाते हुए उन्हें गवाह बनाया गया है. पूछताछ के दौरान इन कर्मचारियों ने जांच एजेंसी को ब्लैक से व्हाइट करने के पूरे गोरखधंधे की विस्तृत जानकारी भी दी है. अब अवामी बैंक के अध्यक्ष, जीएम से लेकर पूरा मालिकान इन कर्मचारियों को लगातार धमकी दे रहा है. इन पर सीबीआइ के समक्ष अपना बयान बदलने का लगातार दबाव दिया जा रहा है. इसके अलावा इन आधा दर्जन कर्मचारियों को मार्च महीने से अब तक का वेतन तक नहीं दिया जा रहा है.
जबकि बैंक के अन्य कर्मचारियों को नियमित वेतन मिल रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ दिनों पहले इन छह कर्मचारियों में एक कर्मचारी को किसी जरूरी कार्य के लिए छुट्टी की जरूरत थी. लेकिन बैंक के शीर्ष प्रबंधन ने इस कर्मचारी को छुट्टी देने से साफ मना कर दिया. जब कर्मचारी ने ज्यादा जोर दिया, तो एक सीनियर प्रबंधक ने उस पर हाथ तक उठा दिया और उसे नौकरी से निकालने तक की बात कह दी. अंत तक उसे छुट्टी नहीं दी गयी. इस तरह से इन कर्मचारियों को कई तरह से परेशान किया जा रहा है, ताकि वे अपना बयान सीबीआइ के समक्ष बदल दें. बैंक हुकमरान चाह रहा है कि ये कर्मचारी सीबीआइ से कहे कि किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है और खोले गये सभी खाते सही हैं.
सीबीआइ की पूछताछ में यह बात सामने आयी कि 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद एक दिन में ही आनन-फानन में 50-55 बेनामी बैंक खाते खोले गये और इनमें करीब 70 लाख ब्लैक मनी जमा करके इसे सफेद कर दिया गया. यह खाते अवामी बैंक के तीन अलग-अलग शाखाओं में खोले गये थे. इन खातों को खोलने के लिए पहले तो बैंककर्मियों ने मना किया, लेकिन अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन का दबाव बहुत ज्यादा होने की वजह से इन्हें मजबूरन खाता खोलना पड़ा. सभी खाते बिना किसी सही नाम, पता और आइडी प्रूफ के खोल दिये गये थे. इनमें जिन लोगों के पैसे को ब्लैक से व्हाइट किया गया था, उसमें राजद के कुछ बड़े और नामचीन नेताओं के भी पैसे शामिल हैं. सीबीआइ फिलहाल इन सभी पहलुओं पर जांच कर रही है.
बयान बदला, तो मिलेगी बड़ी राहत : अवामी सहकारिता बैंक के अध्यक्ष अनवर अहमद और उसका बेटा अरशद अहमद (फुलवारीशरीफ स्थित मदर इंटरनेशनल स्कूल का निदेशक) मनीलांड्रिंग के इस पूरे खेल का मुख्य किंगपिन है. साथ ही इनसे जुड़े बड़े नेटवर्क का भी खुलासा होने की आशंका है. अगर इनके खिलाफ बैंक के कर्मचारी अपना बयान बदल देते हैं, तो इन्हें बड़ी राहत मिल सकती है. मनीलांड्रिंग के तमाम आरोपों में ये बड़ी कार्रवाई से भी बच सकते हैं. इस वजह से ये लोग गवाहों पर बयान बदलने का लगातार दबाव बना रहे हैं.
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