पटना:जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वह चाहते हैं कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कोई बिहारी ही बने. उन्होंने कहा कि दिल्ली में रह रहे बिहार के लोग प्रवासी नहीं, निवासी हैं. यह अलग बात है कि दूसरी जगह बसने में कुछ कष्ट होता है. वहां बड़ी संख्या में बिहारी रह रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन की पुस्तक बिहारी मजदूरों की पीड़ा का लोकार्पण के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कनाडा में बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग रहते हैं. कनाडा का प्रधानमंत्री कोई सिख बनना चाहिए. मॉरीशस की कुल आबादी में 52 फीसदी बिहारी मूल के लोग हैं. उन्होंने कहा कि अब तो कई राज्यों से यह सुनने को मिलता है कि बिहार के लोग नहीं आ रहे हैं. बिहार का ग्रोथ बढ़ रहा है. इसमें बाहर में रहनेवाले लोग पैसा भेजते हैं वह शामिल नहीं हैं. बिहार के लोग विभिन्न कारणों से बाहर जाते हैं. कुछ सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण यहां काम नहीं कर दूसरी जगहों पर काम के लिए जाते हैं. कुछ अधिक कमाई के कारण भी जाते हैं. देश के अंदर एक जगह से दूसरी जगह जाकर वहां रहनेवाले प्रवासी नहीं हैं.
सरकार चला रहीं कई योजनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार व बिहार के बाहर रहनेवाले मजदूरों की सुविधा के लिए कई योजनाएं सरकार चला रही है. मजदूरों के कष्ट कम करने के लिए सरकार पहल कर रही है. मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. मजदूरों को साइकिल देने का काम हुआ. कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में काम करनेवाले मजदूरों के लिए कोष का गठन हुआ है. बिहार के बाहर किसी तरह की मजदूरों के साथ समस्या होने पर सरकार संवेदनशीलता के साथ लड़ने का काम करती है. कष्ट कम करने के लिए और स्कीम बनानी पड़ेगी, तो बनायेंगे. उन्होंने जगजीवन राम संसदीय शोध अध्ययन संस्थान के निदेशक से कहा कि गरीबी, मजदूरों की समस्याओं आदि पर अध्ययन करें.
बिहारियों में है क्षमता
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहारियों में इतनी क्षमता है कि जहां जॉब रहेगा, वहां जायेगा. अगर चांद पर रोजगार रहेगा, तो वहां भी लाइन लगा देगा. कहीं कोई गुंजाइश होगी, तो क्यों नहीं जायेगा. मौके पर आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने कहा कि माइग्रेंशन रोकने के लिए पब्लिक इंवेस्टमेंट जरूरी है. पुस्तक के लेखक अरविंद मोहन, राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान व अजय झा ने भी अपने विचार व्यक्त किये.