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इस बार भी डूबने के लिए तैयार रहे पटना

प्रभात पड़ताल : राजधानी के अधिकतर नालों पर अब भी कहीं अतिक्रमण तो कहीं कचरे का ढेर अनिकेत त्रिवेदी पटना : शहर में बरसात से पहले हर बार बड़े नालों की उड़ाही की जाती है. लगभग हर वर्ष जून के पहले सप्ताह तक या दस जून तक नाला उड़ाही का काम पूरा कर लिया जाता […]

प्रभात पड़ताल : राजधानी के अधिकतर नालों पर अब भी कहीं अतिक्रमण तो कहीं कचरे का ढेर
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : शहर में बरसात से पहले हर बार बड़े नालों की उड़ाही की जाती है. लगभग हर वर्ष जून के पहले सप्ताह तक या दस जून तक नाला उड़ाही का काम पूरा कर लिया जाता है. इसके बाद निगम की ओर से दावा किया जाता है कि इस बार काफी बेहतर उड़ाही हुई है. नाले साफ हो चुके हैं और किसी भी स्तर से बरसात में जलजमाव की समस्या नहीं होगी, लेकिन जैसे ही बारिश का मौसम आता है. तेज बारिश होती है, तो शहर के दर्जनों इलाकों में जलजमाव की समस्या होने लगती है.
इस बार भी निगम ने नाला उड़ाही का काम सात अप्रैल से शुरू किया था, अब पांच जून तक इसे पूरा करने का निर्देश दिया गया है. निगम के अंचल पदाधिकारियों का दावा है कि नाला उड़ाही का काम लगभग 90 फीसदी पूरा कर लिया गया है. बड़े नाले साफ हो चुके हैं, लेकिन हकीकत है कि उड़ाही के बावजूद अब भी नाले गंदे हैं. कहीं नालों पर अतिक्रमण है, जो कहीं नाला में भराव इतना हो गया है कि वो सफाई के बावजूद पानी को तेजी से नहीं खींच पाता और तेज बारिश में जलजमाव की समस्या हो जाती है.
दावा
उमा सिनेमा से अंटा घाट तक जानेवाले नाले को बाकरगंज नाला कहा जाता है. इसकी लंबाई करीब 8,500 फुट है. निगम के अनुसार इस नाले की उड़ाही लगभग 90 फीसदी पूरी कर ली गयी है. नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी बताते हैं कि एक सप्ताह के भीतर नाले की उड़ाही पूरी कर ली जायेगी. कुछ शेष समस्या रही, तो दोबारा उड़ाही की जायेगी. लोगों को किसी तरहकी परेशानी नहीं होने दी जायेगी.
बाकरगंज नाले की हकीकत है कि दोनों तरफ भारी अतिक्रमण है. कई जगहों पर नाले में अतिक्रमण कर चार मंजिली भवन का निर्माण किया जा चुका है. अंटा घाट के पास नाले की चौड़ाई दस फुट से भी कम हो गयी है. इस कारण इसकी अधिकांश उड़ाही मैनुअल की जाती है और मशीन से नहीं होने के कारण केवल उपर की गंदगी छान कर साफ कर दिया जाया है. ऐसे में बारिश का पानी तेजी से नाला नहीं खींच पाता.
दावा
मंदिरी नाला बेली रोड से होकर मंदिरी संप हाउस तक जाता है, जो महालेखागार भवन से शुरू होता है और तारामंडल होते हुए मंदिरी संप हाउस तक जाता है. इस नाले की लंबाई 5,500 फुट है. नगर निगम के अनुसार इस नाले की उड़ाही पूरी कर ली गयी है. यह शहर का एक महत्वपूर्ण नाला है, जो नूतन राजधानी अंचल के आधे इलाके का पानी निकालता है. ऐसे में नाले की उड़ाही ठीक से नहीं हो पाती है, तो बड़े इलाके में जलजमाव होगा.
पटना नगर निगम का दावा चाहे जो हो, लेकिन इस नाले पर अब भी गंदगी का अंबार है. प्रतिदिन लोग नाले में ही घरों का कचरा डंप करते हैं. फिलहाल बाहर से देखने से ही नाले में गंदगी दिख जायेगी. कई जगहों पर तो नाले की गहराई सड़क से काफी अधिक है. इसलिए यहां जेसीबी उतारना संभव नहीं हो पाता, इसलिए यहां भी मैनुअल काम लिया जाता है और उड़ाही अच्छे से नहीं हो पाती. ऐसे में इन इलाकों में लोगों को परेशानी हो सकती है.
दावा
कंकड़बाग अंचल का सबसे महत्वपूर्ण नाला बाइपास नाला है, जो बेऊर मोड़ से लेकर नंदलाल छपरा तक जाता है. बेऊर मोड़ से मीठापुर बस स्टैंड मोड़ तक नूतन राजधानी अंचल में आता है, जबकि मीठापुर मोड़ से नंदलाल छपरा तक कंकड़बाग अंचल तक आता है. दावा है कि दोनों अंचलों ने इस नाले की 90 फीसदी उड़ाही का काम पूरा कर लिया है. और आनेवाले दिनों में समस्या कम होगी. नाले की लंबाई 9,000 फुट है.
बेऊर मोड़ से मीठापुर बस स्टैंड तक नाम मात्र की उड़ाही की गयी है. लोगों ने पुल-पुलिया और कहीं स्थायी निर्माण बना कर अतिक्रमण कर लिया है. मीठापुर मोड़ से नंदलाल छपरा तक नाले की स्थिति बेहद खराब है. अतिक्रमण व एनएचआइ के निर्माण के कारण नाला कई जगहों पर डाइवर्ट हो गया है. नाला कई जगहों पर बाइपास से सटे इलाकों से ऊंची हो गयी है, जो शहर के आधे दर्जन से अधिक वार्डों में जलजमाव का कारण बनेगा.
दावा
बांकीपुर अंचल का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण नाला है. इसकी लंबाई 5,280 फुट है, जो मोइनुलहक स्टेडियम से गाय घाट तक जाता है. इस नाले का अधिकांश भाग पक्का है. निगम के अनुसार इस नाले की उड़ाही लगभग पूरी की जा चुकी है. कुछ एक जगहों पर काम अभी भी बाकी है.
वैसे तो इस नाले पर अतिक्रमण नहीं है, लेकिन संप हाउस ने निकलनेवाला पानी से गरमी के मौसम में भी नाले का जल स्तर घरों से निकलने वाले नाले के बराबर हैं. इस कारण जैसे ही बारिश में पानी का बहाव तेज होता है, तो नाले से पानी घरों में रिवर्स जाने लगता है. शनिचरा पुल के निर्माण के बावजूद अभी भी स्थिति अभी बेहतर नहीं हुई है.
दावा
राजीव नगर नाला नेपाली नगर से होकर कुर्जी संप हाउस तक जाता है. दीघा आशियाना नाला भी इसी भाग है. ये एक बड़ा नाला है, जो लगभग 1.5 किमी लंबा है. नाला नूतन राजधानी अंचल क्षेत्र में आता है. निगम के अधिकारियों के अनुसार इस नाले की उड़ाही लगभग पूरा हो चुकी है.
इंद्रपुरी, रेलवे क्राॅसिंग के अलावा कई जगहों पर नाला को लोगों ने कचरा डंपिंग यार्ड बना दिया है. उड़ाही के बाद भी नाले पर कचरा दिखाई देता है. इस नाले से लगभग आधा दर्जन वार्डों का पानी संप हाउस तक जाता है. नाले के लेवल को लेकर कई जगह पर समस्या है. ऐसे में इस इलाके को जलजमाव की समस्या झेलनी पड़ सकती है.

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